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टेलीफोन से बात, आखिरी पलों में कस्तूरबा के साथ:कभी हंसते, कभी उदास; महात्मा गांधी की 21 देखी-अनदेखी तस्वीरें 3 घंटे पहले

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टेलीफोन से बात, आखिरी पलों में कस्तूरबा के साथ:कभी हंसते, कभी उदास; महात्मा गांधी की 21 देखी-अनदेखी तस्वीरें

3 घंटे पहले
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साउथ अफ्रीका में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करते सूट-बूट वाले गांधी, लंदन में हजारों अंग्रेजों के बीच एक धोती पहने सीना तानकर चलते गांधी, सुभाष चंद्र बोस के साथ ठहाके लगाते गांधी, कस्तूरबा के निधन पर आगा खां पैलेस में उदास बैठे गांधी।

आज गांधी जयंती पर ऐसी 21 तस्वीरें चुनकर लाए हैं, जो महात्मा गांधी की शख्सियत के अलग-अलग पहलुओं और उनकी जीवनयात्रा को समेटे हुए हैं…

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ये तस्वीर महात्मा गांधी के बचपन की है। माथे पर टीका लगाए और सिर पर टोपी पहने गांधी की ये तस्वीर 1876 में ली गई थी। तब उनकी उम्र 7 साल थी।

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ये तस्वीर साल 1900 की है, जब गांधी जोहान्सबर्ग में वकालत की प्रैक्टिस कर रहे थे। इस समय वह अंग्रेजी सूट-बूट पहनते थे। गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में अपनी जिंदगी के 21 साल बिताए। भारत लौटने के बाद 22 सितंबर 1921 को गांधी ने अंग्रेजी ड्रेस छोड़कर सिर्फ एक वस्त्र पहनने का फैसला किया था।

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जुलाई 1914 की ये तस्वीर भी जोहान्सबर्ग की है। इसमें कुर्सी पर बैठी कस्तूरबा के पीछे गांधी खड़े दिख रहे हैं। इस वक्त गांधी अफ्रीका में अश्वेतों के हक के लिए आंदोलन चला रहे थे। आंदोलन की सफलता और गांधी की मजबूती के पीछे कस्तूरबा की बड़ी भूमिका थी।

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1918 में होने वाले खेड़ा सत्याग्रह के वक्त की तस्वीर में गांधी काठियावाड़ी ड्रेस पहने दिख रहे हैं। दरअसल, पोरबंदर, जामनगर, राजकोट, जूनागढ़ समेत गुजरात के 10 जिले काठियावाड़ी रीजन में आते हैं। इस तरह की पगड़ी यहां के पुरुषों की ड्रेस का खास हिस्सा है।

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1921 में मद्रास के यात्रा के समय महात्मा गांधी और एनी बेसेंट के बीच मुलाकात हुई थी। ये तस्वीर उसी समय की है। एनी बेसेंट 1917 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं। विदेशी होने के बावजूद बेसेंट में भारत की आजादी के लिए जुनून किसी हिन्दुस्तानी से कम नहीं था।

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सितंबर 1921 में दिल्ली में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास किया था। इस दौरान हर रोज उनका वजन नापा जाता था। तस्वीर में वजन करवाते हुए गांधी को देखा जा सकता है।

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ये फोटो अगस्त 1931 की है। जब गांधी ब्रिटिश पैसेंजर शिप एसएस राजपुताना के डेक पर सवार होकर दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने इंग्लैंड जा रहे थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जाने वाले एकमात्र कांग्रेस प्रतिनिधि थे।

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गोलमेज सम्मलेन में शामिल होने इंग्लैंड जा रहे महात्मा गांधी की ये फोटो 11 सितंबर 1931 की है। इसमें महात्मा गांधी ब्रिटिश पैसेंजर शिप एसएस राजपुताना से उतरते हुए दिख रहे हैं। इंग्लैंड जाते हुए वो फ्रांस के मार्सिले में भी रुके थे। तभी की ये तस्वीर है।

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1931 में महात्मा गांधी ने ब्रिटेन के लैंकाशिर यात्रा के दौरान टेक्सटाइल मिल विजिट किया था। हर तरफ सूट-बूट पहने लोगों के बीच गांधी देसी कपड़ों में दिख रहे हैं। गांधी इतने लोकप्रिय थे कि बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने पहुंचे थे।

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अगस्त 1935 की इस तस्वीर में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और मौलाना आजाद को एक ही फ्रेम में देखा जा सकता है। दरअसल, भारत सरकार अधिनियम-1935 के जरिए भारत को ब्रिटिश सरकार के अंदर ले लिया गया था। इसके खिलाफ भारतीय नेता एकजुट होने लगे थे।

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ये फोटो 1936 की है। इसमें देखा जा सकता है कि गुजरात के वर्धा में मीराबेन गांधी का चरखा सही करने में मदद कर रही हैं। मीराबेन इंग्लैंड में जन्मी थी। उनका नाम मैडेलीन स्लेड था। मीराबेन गांधी जी से बहुत प्रभावित थीं और इसी वजह से 1920 में वो अपना घर छोड़कर भारत की आजादी के आंदोलन में जुड़ गई।

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यह फोटो फरवरी 1937 की है, जब महात्मा गांधी वर्धा पहुंचे थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल को गांधीजी की गाड़ी का दरवाजा खोलते देखा जा सकता है। महात्मा गांधी के भारत आने के बाद शुरुआती सालों में सरदार पटेल उनके विचारों से प्रभावित नहीं थे, लेकिन वक्त के साथ दोनों के बीच संबंध बेहतर भी हुए।

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ये तस्वीर 6 मई 1938 को अफगानिस्तान में ली गई है। इस तस्वीर में फ्रंटियर गांधी के नाम से मशहूर अब्दुल गफ्फार खान के साथ महात्मा गांधी दिख रहे हैं। दरअसल, अब्दुल गफ्फार खान गांधी से काफी ज्यादा प्रभावित थे। इसी वजह से स्वतंत्रता सेनानी अमीर चंद बोमवाल ने उन्हें यह नाम दिया था।

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1938 की इस तस्वीर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ गांधीजी चर्चा करते नजर आ रहे हैं। इन दोनों के पीछे पत्नी कस्तूरबा खड़ी हैं। एक आम धारणा है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बोस और गांधी के बीच मतभेद थे। इस तस्वीर में दोनों को एकसाथ हंसते देखना सुखद लग रहा है।

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महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना सिर्फ दो शख्स नहीं, दो अलग-अलग विचार भी थे। एक-दूसरे के विपरीत दिशा में देख रहे जिन्ना और गांधी की ये तस्वीर किसी मुद्दे पर उनके विपरीत नजरिए की गवाह है। 1 नवंबर 1939 की ये तस्वीर उस वक्त की है, जब दोनों बड़े नेता वाइसराय लार्ड लिनलिथगो से मिलने गए थे।

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1938 में सेवाग्राम में ली गई इस फोटो में महात्मा गांधी बेहद गंभीर होकर फोन पर किसी से बात करते हुए दिख रहे हैं।

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मार्च 1939 में महात्मा गांधी राजकोट में भूख हड़ताल कर रहे थे। ये तस्वीर उसी वक्त की है। इसमें देखा जा सकता है कि हड़ताल के दौरान महात्मा गांधी लेटे हुए हैं और उनकी बड़ी बहन रलियत बेन और एक रिश्तेदार गांधी जी के हाथ-पैर दबा रही हैं।

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5 मार्च 1940 की ये तस्वीर सेवाग्राम में ली गई है। इस तस्वीर में महात्मा गांधी पत्नी कस्तूरबा के कंधे पर हाथ रखकर चलते दिख रहे हैं। गांधी जब 13 साल के थे, तब उनकी शादी हुई थी। कस्तूरबा ने मरते दम तक गांधी जी का साथ दिया।

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ये मार्मिक तस्वीर फरवरी 1944 में आगा खां पैलेस में ली गई है। इसमें कस्तूरबा मृत्यु शय्या पर हैं और महात्मा गांधी करीब बैठकर उनको एकटक निहार रहे हैं।

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सरदार वल्लभ भाई पटेल की बेटी मणिबेन पटेल के साथ गांधी जी की ये फोटो पंचगनी में जुलाई 1944 में क्लिक की गई है। बॉम्बे से पढ़ाई पूरी करने के बाद मणिबेन ने 1918 गांधीजी के साथ आजादी की लड़ाई में जुड़ने का फैसला किया।

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1946 में देशभर में हिन्दू मुस्लिम दंगे शुरू हो गए। बिहार में भी उस वक्त हालात खराब हो चुके थे। 28 मार्च 1947 को बिहार के जहानाबाद में दंगे शुरू होने के बाद गांधी खुद यहां पहुंचे थे। उन्होंने शांति यात्रा निकाली थी। ये तस्वीर उसी समय की है। इस तस्वीर में उनके साथ अब्दुल गफ्फार खान भी नजर आ रहे हैं।

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News Desk

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