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न्यू हैम्पशायर के चुनाव में ट्रम्प ने हेली को हराया:रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की रेस में आगे; डेमोक्रेटिक पार्टी से बाइडेन जीते

अमेरिकी राज्य आयोवा में भी ट्रम्प ने जीत हासिल की थी। हालांकि, हैम्पशायर में निक्की पूर्व राष्ट्रपति को कड़ी चुनौती दे रही थीं।

अमेरिका में इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी में उम्मीदवारी के लिए इलेक्शन चल रहे हैं। इस दौरान बुधवार सुबह (भारतीय समयानुसार) न्यू हैम्पशायर राज्य के चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत दर्ज की है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, वोट की गिनती पूरी होने से पहले ही उन्हें 55.4% वोट मिल चुके हैं, जबकि भारतीय मूल की निक्की हेली को 42% वोट हासिल हुए। दूसरी तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी से न्यू हैम्पशायर में जो बाइडेन जीत चुके हैं। उन्हें 66.8% वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर रहे डीन फिलिप्स को सिर्फ 20% ही वोट मिले हैं।

अमेरिका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इसके पहले दोनों पार्टियां; यानी रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, इस इलेक्शन के लिए अपने-अपने उम्मीदवार फाइनल करने में जुटी हैं।

निक्की हेली बोली- चुनाव से पीछे नहीं हटूंगी
इससे पहले आयोवा राज्य में हुए चुनावों में भी ट्रम्प ने जीत हासिल की थी। इसके बाद विवेक रामास्वामी और रॉन डी-सेंटिस ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया था। हालांकि, न्यू हैम्पशायर में हारने के बावजूद निक्की हेली फिलहाल ऐसा कुछ नहीं करने वाली हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, नतीजे घोषित होने के बाद हेली ने कहा- ट्रम्प ने अपनी मेहनत से जीत हासिल की है।

हेली ने आगे कहा- यह एक राज्य है, आखिरी नहीं। ये रेस अभी खत्म नहीं हुई है। अमेरिका में दर्जनों राज्यों में चुनाव बचे हैं। अगला राज्य मेरा पसंदीदा साउथ कैरोलीना है। मैं 24 फरवरी को यहां पूरी ताकत लगा दूंगी। मैं ट्रम्प को उम्मीदवारी और बाइडेन को राष्ट्रपति चुनाव में जरूर हराउंगी।

दरअसल, निक्की हेली साउथ कैरोलीना से ही आती हैं। वो 2011-17 के बीच यहां से गवर्नर भी रह चुकी हैं।

न्यू हैम्पशायर में पार्टी चुनाव न लड़ने के बावजूद जीते बाइडेन

न्यू हैम्पशायर में डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनावों में राष्ट्रपति बाइडेन का नाम न होने के बावजूद उन्होंने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की है। दरअसल, पार्टी चुनावों की तारीखों की घोषणा के बाद बाइडेन ने न्यू हैम्पशायर में देरी से चुनाव कराने की अपील की थी।

हालांकि, पार्टी ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस बात से नाराज होकर बाइडेन ने न्यू हैम्पशायर के इलेक्शन नहीं लड़ने का फैसला किया था। इसके बावजूद डेमोक्रेटिक पार्टी में उनके समर्थकों ने चुनाव में राइट-इन कैंपेन चलाया, जिससे बाइडेन चुनाव जीत गए।

अमेरिका में राइट-इन कैंपेन के तहत लिस्ट में नाम न होने के बावजूद मतदाता बैलेट पेपर पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम लिखते हैं। अगर उस उम्मीदवार को बहुमत मिलता है, तो पार्टी उसे विजेता घोषित कर देती है।

निक्की हेली बोलीं- दूसरा कार्यकाल पूरा होने तक जीवित नहीं रहेंगे बाइडेन
चुनाव नतीजे सामने आने के बाद निक्की हेली ने कहा- अगर ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुने जाते हैं, तो पिछली बार की तरह बाइडेन चुनाव जीत जाएंगे। हालांकि, 81 साल के हो चुके बाइडेन 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे और आखिरकार कमला हैरिस राष्ट्रपति बन जाएंगी।

ट्रम्प ने निक्की के इस बयान के बाद कहा कि वो भ्रम में जी रही हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने निक्की हेली को चुनाव से नाम वापस लेने का भी सुझाव दिया।

न्यू हैम्पशायर में चुनाव नतीजे आने के बाद निक्की हेली ने कहा कि वो उम्मीदवार बनने की रेस से अपना नाम वापस नहीं लेंगी।
न्यू हैम्पशायर में चुनाव नतीजे आने के बाद निक्की हेली ने कहा कि वो उम्मीदवार बनने की रेस से अपना नाम वापस नहीं लेंगी।

कॉकस और प्राइमरी चुनाव में क्या अंतर
रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पहला कॉकस आयोवा राज्य में हुआ था। दरअसल, प्राइमरी इलेक्शन को राज्य सरकार कराती है। वहीं, कॉकस पार्टी का अपना इवेंट होता है। प्राइमरी इलेक्शन में बिल्कुल वही वोटिंग प्रोसेस होता है, जो आम चुनाव में अपनाया जाता है। इस दौरान एक पार्टी का कार्यकर्ता दूसरी पार्टी के चुनाव में भी वोट डाल सकता है।

वहीं, कॉकस में एक रूम या हॉल में बैठकर पार्टी के प्रतिनिधि हाथ उठाकर या पर्ची डालकर वोटिंग कर सकते हैं। पार्टी की ही एक टीम ऑब्जर्वर की तरह काम करती है। आयोवा में ट्रम्प को 20, जबकि निक्की को 8 वोट मिले थे। नाम वापस ले चुके रॉन डी सेंटिस को 9 वोट मिले थे।

न्यू हैम्पशायर में चुनाव के बाद अगर किसी भी वक्त निक्की रेस छोड़ती हैं तो ऐसे में ट्रम्प ही रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे। अगर निक्की नाम वापस नहीं लेतीं तो बाकी 48 राज्यों में प्राइमरी या कॉकस की वोटिंग जून तक चलती रहेगी।

इस बीच, ट्रम्प या निक्की में से जिस किसी को 1215 पार्टी डेलिगेट्स (प्रस्तावक) के वोट पहले मिल गए, वो पार्टी का राष्ट्रपति उम्मीदवार होगा।

ट्रम्प ने निक्की हेली को नैंसी पेलोसी कहा, नाम का भी मजाक बनाया
19 जनवरी को ट्रम्प ने न्यू हैम्पशायर में रैली की थी। इस दौरान वो निक्की और संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी में कन्फ्यूज हो गए थे। उन्होंने निक्की को पेलोसी समझकर उन पर आरोप लगाया था कि वो 6 जनवरी 2021 को संसद में हुई हिंसा को ठीक से संभाल नहीं पाईं। इस दौरान उन्होंने कई बार हेली की जगह पेलोसी का नाम लिया।

इस पर निक्की ने कहा था- मैं उनको बेइज्जत नहीं करना चाहती, लेकिन राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों और उसके प्रेशर के बीच में हम ऐसे किसी व्यक्ति की मानसिक हालत को लेकर रिस्क नहीं ले सकते। दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और हम अटके हुए हैं। हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या अमेरिका को फिर से 2 ऐसे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चाहिए जो 80 साल के हैं। हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो बेहद एक्टिव हों।

ट्रम्प ने निक्की हेली के नाम को लेकर भी मजाक बनाया था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार निक्की को निंब्रा और निम्रदा कहकर संबोधित किया। इस पर उनकी काफी आलोचना भी हुई। दरअसल, निक्की हेली का पूरा नाम नम्रता निक्की रंधावा है।

निक्की ने 20 जनवरी को एक रैली में कहा था- ट्रम्प राष्ट्रपति बनने के लिए मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं हैं। वो कई बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ कर चुके हैं। चीन वो देश है, जिससे हमें कोविड मिला। मैंने ट्रम्प की तुलना में चीन और रूस को लेकर ज्यादा सख्त रुख अपनाया है।

Ankita Sharma

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