1437 हेक्टेयर में केला, टमाटर और पपीते की खेती रिकॉर्ड में 4 हजार हेक्टेयर बताकर करोड़ों का बीमा

बीमा

- राज्य व केन्द्र सरकार के करोड़ों रुपए डूब जाएंगे: आरएन पांडेय
कबीरधाम जिले में उद्यानिकी फसलों का फर्जी बीमा कराए जाने का मामला सामने आया है। ये गड़बड़ी गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद पाई गई है। जिला प्रशासन को गिरदावरी रिपोर्ट में 80 प्रतिशत का अंतर मिला है। राजस्व विभाग के गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार पूरे जिले में उद्यानिकी फसल टमाटर-केला-पपीता 1437 हेक्टेयर में ली गई है। वहीं, दूसरी ओर 4 हजार हेक्टेयर में इन्हीं फसलों का करोड़ों रुपए का बीमा हो गया है। इस तरह फर्जी बीमा कराने जाने की जानकारी सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जांच बैठा दी है।
उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक आरएन पांडेय ने बताया कि गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार गड़बड़ी सामने आई है। इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि ये सब सीएससी सेंटरों से हुआ है। क्यांेकि, फसल बीमा दो प्रकार से होते है, पहला ऋणी व दूसरा अऋणी। ऋणी किसानों का फसल बीमा संबंधित बैंक या समिति के माध्यम से होता है। वहीं अऋणी किसान खुद से सीएससी सेंटर से फसल बीमा करा सकते है। सीएससी सेंटर में केवल ऑनलाइन आवेदन करना होता है। फसल बीमा कराए जाने के लिए उद्यानिकी विभाग व फसल बीमा कंपनी द्वारा कोई जांच नहीं किया जाता है। फसल खराब होने की स्थिति में फसल बीमा कंपनी द्वारा जांच के बाद ही राशि जारी किया जाता है। ये बीमा वर्तमान में जारी खरीफ फसल के लिए है।
फर्जी बीमा सामने आने के बाद राज्य व केन्द्र सरकार के करोड़ों रुपए डूब जाएंगे। सहायक संचालक आरएन पांडेय ने बताया कि फसल बीमा के लिए किसानों को कुल प्रीमियम राशि की मात्र 5 प्रतिशत देना होता है। वहीं 50 प्रतिशत केन्द्र व 45 प्रतिशत राज्य सरकार देती है। अब तक पूरे जिले में उद्यानिकी किसानों ने प्रीमियम राशि 14 करोड़ रुपए जमा किया है। केन्द्र व राज्य सरकार ने 10-10 करोड़ रुपए जमा किया है। ये सब राशि अब डूबने के कगार पर है। हालांकि, ऐसे किसानों का पहचान कर उनके बीमा को निरस्त किया जाएगा।

उद्यानिकी विभाग: सबसे बड़ी जिम्मेदारी खुद उद्यानिकी विभाग की है। हालांकि, पूरे मामले को लेकर विभाग के सहायक संचालक आरएन पांडेय ने पल्ला झाड़ लिया है। वहीं बीमा कराए जाने व किसानों को जानकारी देने फील्ड पर विभाग के आरएचईओ (रूरल हॉर्टिकल्चर ऑफिसर) तैनात है। इनके द्वारा बीमा कराए जाने से पहले संबंधित फसल की जांच करते तो आज फर्जी बीमा का मामला सामने नहीं आता।
पूरे प्रदेश में बीते दो वर्ष से सबसे ज्यादा अपने फसलों का बीमा कराए जाने के नाम पर जिले का उद्यानिकी विभाग पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है। तब, विभाग ने खूब वाहवाही बटोरी है। लेकिन, तीसरे वर्ष में गड़बड़ी सामने आने के बाद अब किरकिरी हो रहीं है। ऐसे में दो वर्षों के बीमा की जांच कराए जाने पर बड़ा खुलासा हो सकता है। इस पूरे मामले का तब उजागर हुआ, जब जिले के अधिकारी सहसपुर लोहारा में गिरदावरी रिपोर्ट की जांच करने पहुंचे हुए थे। इसी दौरान वे जिस खेत का निरीक्षण कर रहे थे, उसमें धान का फसल लगा हुआ था। लेकिन, इसी खेत में टमाटर की फसल लगे होने को लेकर बीमा कराया गया था।
बीते 10 दिन से फसल बीमा को लेकर उद्यानिकी विभाग काफी चर्चा में रहा है। एक ओर 4 हजार किसानों को 4 करोड़ रुपए का फसल बीमा नहीं मिलने के कारण कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया गया था। तब आनन-फानन में राशि जारी की गई। बीते दो वर्ष में किसानों को रेवड़ी की तरह करीब 30 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया गया है। यहीं स्थिति इस साल भी होना था। लेकिन, प्रशासन ने संज्ञान लेकर जांच कमेटी का गठन किया गया है।
बीमा कंपनी: बीमा कराने व क्लेम राशि देने के लिए पूर्ण जिम्मेदारी बीमा कंपनी की है। कंपनी भी केवल आवेदन लेने व बीमा होने के बाद किसानों द्वारा क्लेम किए जाने पर राशि देने पर ही फोकस करती है। जबकि, बीमा कराने के दौरान जांच नहीं किया जाना भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। वर्तमान में मामला उजागर होने के बाद भंडाफोड़ हुआ है। इसी तरह भी ग्रामीण अंचल के सीएससी सेंटर भी सवाल के घेरे में है।