ये तस्वीर नेशनल हाइवे- 130 ए की है। पोंडी से पंडरिया होते हुए मुंगेली तक 60 किमी यह सड़क पूरी तरह से खराब हो चुकी है। जगह-जगह सिर्फ गड्ढे हैं, जिससे आवागमन मुश्किल हो गया है। अगर वाहन चालक संभलकर नहीं चले, तो उनके साथ हादसे होने की आशंका बनी रहती है। हाइवे पर पोंडी से पंडरिया तक 25 किमी और पंडरिया से करीब 35 किमी दूर मुंगेली है। ये पूरी सड़क खराब हो चुकी है। पंडरिया से मुंगेली मार्ग पर पौनी, खैरा, फास्टरपुर, सिल्ली-दाबो, चातरखार के पास तालाबनुमा गड्ढे हो गए हैं। सड़क पर आवागमन करते समय वाहनों की लाइन लग जाती है। परेशानी बढ़ रही है।

देश के विशेष संरक्षित जनजाति बैगा महिलाओं को अब रोजगार से जोड़ा जाएगा। इन महिलाओं को छत्तीसगढ़ शासन के जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रायपुर व एक संस्था ने वनोपज कृषि, आजीविका व स्वास्थ्य पोषण के सुधार को लेकर प्रशिक्षण दिया। दरअसल पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा बैगा कबीरधाम जिले में हैं। ये विशेष संरक्षित जनजाति में भी शामिल हैं। ऐसे में इन्हें प्रशिक्षण के बाद रोजगार से जोड़ा जाएगा।
प्रशिक्षण में विशेष संरक्षित जनजाति बैगा महिला लीडर ने प्रस्तुतीकरण करते हुए बोड़ला ब्लॉक के बैगा बाहुल क्षेत्र में किए जा रहे जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर्यावरणीय कृषि पद्धति से टिकाऊ आजीविका, स्वास्थ्य एवं पोषण के सुधार अनुभव को साझा किया। पर्यावरणीय खेती अंतर्गत बीज चयन, बीज उपचार, कतार मिश्रित खेती एवं किचन गार्डन की जानकारी दी। बैगा महिलाओं ने वनोपज संकलन, संग्रहण, प्रसंस्करण, विपणन के अनुभवों को बताया।
जनजातीय महिलाओं के लिए लघु वनोपज के भंडारण, पैकजिंग एवं विपणन पर भी जानकारी दी गई। बताया गया कि वर्तमान में कवर्धा विधायक व वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मंशानुरूप से रोजगार के नए अवसरों का सृजन कर जैव विविधता आधारित और वन संसाधनों से बैगाओं को आर्थिक फायदा पहुंचाया जा रहा है। समिति बनाकर भी इन्हें आगे बढ़ा रहे हैं।