छत्तीसगढ़

सत्ता बदली, बढ़ी उम्मीदें: डोंगरगढ़-कवर्धा-कटघोरा प्रस्तावित रेल लाइन पर अब काम शुरू होने के संकेत

लोकसभा में उठा मुद्दा, सांसद ने कहा- रेलमंत्री से चर्चा करेंगे

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छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही प्रस्तावित डोंगरगढ़-कवर्धा-कटघोरा रेलवे लाइन पर काम शुरू होने की उम्मीद जगी है। राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पांडेय ने भी इसके संकेत दिए हैं। अक्टूबर 2018 में भाजपा गवर्नमेंट के दौरान तात्कालीन केंद्रीय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने प्रस्तावित रेलवे लाइन के लिए भूमिपूजन किया था। उसी साल हुए विस चुनाव में कांग्रेस की सरकार आने के बाद काम पर ब्रेक लग गया था।

अब 5 साल बाद छग में फिर से बीजेपी सरकार में आ गई है। सत्ता में आते ही नई सरकार ने पुराने प्रोजेक्ट, जिसे कांग्रेस ने रोक रखा था, उस पर फिर से काम शुरू होने के संकेत दिए हैं। लंबे समय से कवर्धा में रेलवे लाइन की मांग की जा रही थी। वर्ष 2018 में सर्वे कर डोंगरगढ़ से कवर्धा होते हुए कटघोरा तक 277 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का प्रस्ताव बनाया था, जिसकी लागत 4821 करोड़ रुपए आंकी गई थी। केंद्रीय रेलवे मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए अपने हिस्से की राशि जारी कर दी थी। तभी छग में सत्ता परिवर्तन हुआ। कांग्रेस सरकार में आई और प्रोजेक्ट के लिए अपने हिस्से की राशि जारी नहीं की। नतीजा प्रोजेक्ट रुका रहा।

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कबीरधाम के 61 किमी में 50 गांव से गुजरेगी रेललाइन: प्रस्तावित रेललाइन प्रोजेक्ट के तहत डोंगरगढ़ से कटघोरा तक रेललाइन बिछेगी। यह रेल लाइन कबीरधाम जिले के 50 गांवों से भी गुजरेगी। लोहारा तहसील के 15 गांव, कवर्धा के 23 गांव और पंडरिया के 12 गांव अंतर्गत कुल 61 किमी की पटरी बिछाई जाएगी। यह सिंगल लाइन रहेगी, जिससे मालगाड़ी के साथ पैसेंजर रेलगाड़ी भी गुजरेगी। प्रस्तावित नई रेलवे लाइन को लेकर पंडरिया में रेलवे संघर्ष समिति ने आंदोलन कर दिया था। समिति का तर्क था कि प्रस्तावित रेल मार्ग पंडरिया ब्लॉक के छोर कंवलपुर से गुजरना है, जो नगर से 50 किमी दूर है।

इस मार्ग रूट से रेल लाइन बनने से पोंड़ी, बोड़ला, पांडातराई, पंडरिया से लोरमी क्षेत्र छूट जाएगा। इसके चलते पुरानी सर्वे के आधार पर रेल लाइन बिछाने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ, जिसे कांग्रेस ने समर्थन दिया। वर्ष 2018 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने रेलवे लाइन को भुला दिया। केंद्र व राज्य में अलग-अलग दल की सरकारें होने से पेंच फंसा रहा। इसके बाद इसे लेकर सिर्फ राजनीति होती रही है।

परियोजना का सर्वाधिक लाभ जिले के डोंगरगढ़ और कबीरधाम को मिलेगा। प्रस्तावित नई रेललाइन निर्माण से डोंगरगढ़ से कवर्धा होकर कोरबा तक यात्रियों को सुविधा मिलेगी। साथ ही कोयला, बॉक्साइड व अन्य खनिजों के परिवहन में आसानी होगी। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

सर्वे- 878 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने चिह्नांकित: प्रस्तावित रेलवे लाइन बिछाने के लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है। रेलवे लाइन के दायरे में 878 एकड़ भूमि आ रहे हैं, जिसे अधिग्रहण करने चिह्नांकित भी कर लिए हैं। सर्वे में कुल 1914 किसानों की भूमि सर्वे में आई है। इसमें पंडरिया तहसील के 305 किसान, कवर्धा के 911 और सहसपुर लोहारा के 595 किसानों की भूमि है।

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News Desk

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