‘ऑनलाइन जुआ’ का जुनून: कर्ज में डूबे आरक्षक ने 17वीं बटालियन से चुराई इंसास रायफल, 10 लाख की फिरौती मांगकर पहुंचा जेल
कवर्धा। 17वीं बटालियन सरेखा कैंप से इंसास रायफल, 20 राउंड कारतूस और मैगजीन चोरी कर फिरौती मांगने वाला आरक्षक नरोत्तम रात्रे पुलिस के हत्थे चढ़ गया। चोरी और फिरौती के इस फिल्मी अंदाज वाले मामले ने पुलिस को भी चौंका दिया।
चोरी का मास्टरमाइंड: कर्ज में डूबा आरक्षक
आरोपी नरोत्तम रात्रे, जो दंतेवाड़ा के चिकपाल कैंप में तैनात था, ऑनलाइन जुए की लत के कारण लगभग 4 लाख रुपये के कर्ज में था। इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उसने सरेखा कैंप से रायफल चोरी करने की पूरी साजिश रची।
प्लानिंग के पीछे ‘रेकी’ का खेल
चोरी से पहले आरोपी ने एक महीने की छुट्टी ली और 15 दिन सरेखा कैंप में रहकर वहां की सुरक्षा और गार्ड ड्यूटी की बारीकियां समझीं। 03 नवंबर को वह बाइक से कैंप पहुंचा, बाउंड्री के बाहर बाइक खड़ी की और गार्ड ड्यूटी बदलने के वक्त अंदर घुसकर चोरी को अंजाम दिया।
गार्ड रूम से गायब हुई रायफल, मचा हड़कंप
रात 10 बजे गार्ड ड्यूटी बदलने के बाद जब जवानों ने हथियार चेक किए, तो रायफल, मैगजीन और 20 राउंड कारतूस गायब थे। 04 नवंबर को थाना कवर्धा में चोरी का मामला दर्ज किया गया।
‘रायफल चाहिए तो 10 लाख लाओ’: धमकी भरे मैसेज
चोरी के तीन हफ्ते बाद आरोपी ने पीड़ित जवान को अलग-अलग मोबाइल नंबरों से मैसेज कर 10 लाख रुपये की मांग की। उसने पैसे न देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। पहचान छिपाने के लिए आरोपी ने फर्जी सिम और मोबाइल का इस्तेमाल किया।
फर्जी सिम के जरिए पहुंचा साथी तक
पुलिस ने साइबर सेल की मदद से फर्जी सिम बेचने वाले साथी सुकित केसरवानी को पकड़ा। उसने बताया कि सिम आरोपी नरोत्तम को दी गई थी। इसके आधार पर पुलिस ने फिरौती के मामले में नया अपराध दर्ज किया।
पुलिस की ‘स्पेशल टीम’ ने पकड़ा चोर
पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह (IPS) के निर्देशन में विशेष जांच टीम बनाई गई। टीम में थाना प्रभारी लालजी सिन्हा, साइबर सेल प्रभारी आशीष कंसारी, और अन्य अधिकारी शामिल थे। टीम ने आरोपी द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर और फर्जी सिम का पूरा नेटवर्क खंगाला।
रायफल, मैगजीन और कारतूस बरामद
आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उसने चोरी की बात स्वीकार की। उसकी निशानदेही पर रायफल, 20 राउंड कारतूस और मैगजीन बरामद किए गए।
पुलिस की सूझबूझ से सुलझा मामला
पुलिस की तेजी और तकनीकी जांच की वजह से इस हाई-प्रोफाइल चोरी और फिरौती के मामले का पर्दाफाश हो सका। आरोपी अब जेल की सलाखों के पीछे है।