छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में 186 मदरसे, इनमें 2000 से ज्यादा हिंदू बच्चे:NCPCR ने कराया सर्वे, अब स्कूलों में करेंगे शिफ्ट; छात्र बोले- यहां सीख रहे कंप्यूटर-संस्कृत

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छत्तीसगढ़ के 186 मदरसों में 2000 से ज्यादा हिंदू बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। इस बात का खुलासा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को भेजे गए आंकड़ों से हुआ है। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर इन बच्चों को स्कूलों में शिफ्ट करने की तैयारी में हैं।

अधिकारियों के अनुसार इन बच्चों को क्षमता के अनुसार, उनके घर के पास स्थित स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा और उनको शिक्षा दी जाएगी।

हिंदू बच्चों का मदरसे में पहुंचने की कहानी, उन्हीं की जुबानी

दैनिक भास्कर ने इन मदरसों में पढ़ने वाले गई गैर मुस्लिम बच्चों से बात की। खास बात यह है कि बच्चों ने बताया कि उन्हें अंग्रेजी और कंप्यूटर के साथ ही संस्कृत भी पढ़ाई जाती है। सबसे पहले जानिए हिंदू बच्चों के मदरसे तक पहुंचने की कहानी। हमने उनके नाम परिवर्तित कर दिए हैं….

रायपुर के मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों ने वहां की हकीकत के बारे में बताया।

‘सर मेरा नाम शिवम है। मैं और मेरा भाई छह साल से इस मदरसे में पढ़ रहे है। मेरे पिता टाइल्स हमाली का काम करते हैं। मुझे यहां हिंदी, अंग्रेजी, कंप्यूटर के अलावा खेलकूद की शिक्षा दी जाती है। मेरी मां ने मुझे यहां पर प्रवेश दिलवाया था।’

‘ मेरा नाम शिखा है। मैं दो साल से यहां पढ़ रही हूं। मम्मी ने मुझे यहां एडमिशन दिलवाया है। मदरसे में हिंदी, अंग्रेजी, कंप्यूटर के अलावा संस्कृत भी पढ़ाई जाती है। मेरे अलावा इस मदरसे में 17 हिंदू बच्चे पढ़ रहे है। मदरसे में सब टीचर प्यार करते है, किसी भी तरह की शिकायत नहीं है।

सबसे ज्यादा गैर मुस्लिम छात्र सरगुजा-बस्तर के मदरसों में

राष्ट्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग को भेजी गई जानकारी के अनुसार, सबसे ज्यादा गैर मुस्लिम सरगुजा के मदरसों में पढ़ रहे हैं। वहीं में बस्तर के मदरसे दूसरे और महासमुंद के मदरसे तीसरे नंबर पर हैं।

रायपुर के दोंदेखुर्द स्थित मदरसे की संचालिका।

परिजनों की रजामंदी के बाद ही मदरसा लेकर आए

रायपुर के दोंदेखुर्द इलाके में मदरसा चलाने वाली संचालिका ने बताया कि, मई-जून माह में सर्वे किया जाता है। उन बच्चों की शिनाख्त की जाती हे, जो किसी कारणवश स्कूल नहीं जाते। उन बच्चों के परिजनों की समझाने के बाद बच्चों को मदरसा भेजने की नसीहत दी जाती है।

उन्होंने बताया कि, जो पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर आते है, उनको प्रवेश दिया जाता है। फिर वो चाहे किसी भी धर्म के हों। शिक्षा के लिए जाति-भेद बच्चों को नहीं सिखाना है। मदरसे में सामान्य आधुनिकीकरण की शिक्षा दी जाती है।

बोले- SCERT की किताबों से पढ़ा रहे

मदरसों के जिम्मेदारों कहते हैं कि यहां आधुनिक शिक्षा दी जा रही है। SCERT की किताबों के माध्यम से ही छात्रों को शिक्षित किया जा रहा है। मदरसों में फीस नहीं लगती और पढ़ाई सख्ती से होती है, इसलिए बच्चे प्रवेश ले रहे हैं।

मदरसा शैक्षणिक संस्था है और प्रवेश देने से हम किसी को नहीं मना कर सकते। जो भी छात्र या पालक संपर्क करता है, उसे सीट खाली होने पर प्रवेश दे दिया जाता है। छात्र पढ़ाई पर ध्यान दें, इसलिए उन पर सख्ती की जाती है। इसको धर्म से जोड़ना गलत है।

मदरसे में पढ़ाई करते हुए स्टूडेंट्स।
मदरसे में पढ़ाई करते हुए स्टूडेंट्स।

मदरसों की हालत खराब, कई बंद होने की कगार पर

प्रदेश में संचालित ज्यादातर मदरसों की हालत खराब है और वे बंद होने के कगार पर हैं। संचालक कहते हैं कि इसका बड़ा कारण है कि मदरसा बोर्ड से ही उनको आर्थिक मदद नहीं मिलती है। छह साल से बोर्ड ने फंड जारी नहीं किया है।

संचालक बताते हैं कि, बच्चों को मिलने वाले उपकरण भी नहीं दे रहे। हमेशा केंद्र और राज्य से फंड नहीं मिलने की बात करते है। नियमानुसार केंद्र से 60 और राज्य से 40 प्रतिशत फंड मिलता है। राज्य से मिलने वाला फंड ही जारी कर दें।

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मदरसा बोर्ड के प्रभारी बोले, हमे जानकारी नहीं

छत्तीसगढ़ में संचालित मदरसों की मॉनिटरिंग मदरसा बोर्ड को करनी है, लेकिन वे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेजी गई जानकारी पर अधिकृत बयान देने से बच रहे हैं। मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को शिक्षा देने के सवाल पर भी वे बयान नहीं दे रहे।

मदरसा बोर्ड के जिम्मेदारों ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पत्राचार स्कूल शिक्षा संचालक से किया था। उन्होंने ही निरीक्षण कर गैर मुस्लिम छात्रों का आंकड़ा भेजा है। इसलिए इस संबंध में उन्हें स्पष्ट जानकारी नहीं है।

उत्तराखंड में विवाद के बाद देश भर में सर्वे

दरअसल, सारा हंगामा उत्तराखंड में मदरसों में हिंदू बच्चों को इस्लामिक शिक्षा देने विवाद से शुरू हुआ है। ये उत्तर प्रदेश पहुंचा तो वहां भी मदरसों में भी गैर मुस्लिम छात्रों की संख्या ज्यादा मिली। इसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने देश भर से आंकड़ा मांगा।

मदरसों में गैर हिंदू मुस्लिम छात्रों जानकारी के लिए दिसंबर में हुए पत्राचार पर छत्तीसगढ़ में पदस्थ स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने औचक निरीक्षण किया। छात्रों का रिकॉर्ड देखा तो मदरसों में 2000 से ज्यादा हिंदू बच्चे शिक्षा लेते हुए मिले।

लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक द्वारा जारी निर्देश।
लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक द्वारा जारी निर्देश।

उपसंचालक ने जिला शिक्षा अधिकारियों को दिया निर्देश

स्कूल शिक्षा विभाग के उपसंचालक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। इसमें लिखा है कि मदरसों का भौतिक सत्यापन किया जाए और वहां पर पढ़ने वाले हिंदू छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में प्रवेश दिया जाए।

उपसंचालक ने सभी मदरसों की मैपिंग करने और हिंदू बच्चों को तत्काल प्रभाव से औपचारिक शिक्षा देने के लिए स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी आदेश तो जारी कर रहे है, लेकिन मदरसों में हिंदू बच्चों के पढ़ने के मामले में बयानबाजी देने से बच रहे हैं।

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News Desk

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