युग पुरुष महाराणा प्रताप के जीवन के संघर्षों और आदर्शों के रास्तों पर चलना चाहिए– विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह
राजपूत समाज महाराणा प्रताप को स्मरण करते हुए देश, समाज सेवा के लिए हमेशा समर्पित रहे हैं– उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा
शौर्य और स्वाभिमान के प्रतीक, सनातन धर्म रक्षक, युग पुरुष महाराणा प्रताप की 484 वी जयन्ती मनाई गई
कवर्धा 16 जून 2024। भारत के शौर्य और स्वाभिमान के प्रतीक, सनातन धर्म रक्षक, युग पुरुष महाराणा प्रताप की 484 वी जयन्ती कवर्धा नगर में मनाई गई। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने युग पुरुष महाराणा प्रताप के तैल्य चित्र में दीप प्रज्ज्वलित और पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह आज कवर्धा में महाराण प्रताप जयंती कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने की। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सिंह और उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा के पहुंचने पर राजपूत क्षत्रिय समाज के पदाधिकारियों ने महाराणा प्रताप की स्मृति चिन्ह, शस्त्र भेटकर और पगड़ी पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया। कार्यक्रम में सियाराम साहू, अशोक साहू, केंद्रीय उपाध्यक्ष राजपूत क्षत्रिय समाज 3738 अनिल सिंह, नगर पालिका अध्यक्ष मनहरण कौशिक सहित पांचो परिक्षेत्र के अध्यक्षगण विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने महाराणा प्रताप जयंती की बधाई देते हुए कहा कि हमे उसी रास्ते पर चलना है, जो रास्ता भगवान श्री राम और महाराणा प्रताप ने बताया है। उन्होंने कहा कि सम्मान उसका नही होता है जो राज सिंहासन पर बैठता है। सम्मान उसका होता है, जो राज सिंहासन को छोड़कर संघर्ष के लिए जंगल, झाड़ी, पर्वतों पर घूमते हुए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि संघर्ष का नाम ही महाराणा प्रताप है,
जिन्होंने अकबर की दासता कभी स्वीकार नहीं की। महाराणा प्रताप ने इस देश के आजादी के लिए सात–सात बार हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर की विशाल सेना के साथ संघर्ष करते रहे और इसी संघर्ष में उन्होंने अपना जीवन बिताया। महाराणा प्रताप भगवान श्री राम के भक्त थे। जैसे भगवान श्री राम ने जंगल में रहकर आदिवासियों, वानर सेना को संगठित कर रावण को पराजित किया वैसे ही महाराणा प्रताप ने अरावली की पर्वत में घूमते–घूमते भील और कोल के साथ मिलकर अकबर के दांत खट्टे किए। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप अपने बच्चों के साथ घास की रोटियां खाई लेकिन कभी समर्पण और दासता स्वीकार नहीं किया।
उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप आजादी के पहले योद्धा है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए रास्ता बताया। आज इसी का परिणाम है कि हम देश के मान सम्मान के ऐसे क्षण में मौजूद है जब हिंदुस्तान में एक सांस्कृतिक परिवर्तन का शंखनाद हो चुका हैं। देश में अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला विराज चुके है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने है।
जिसकी प्रयासों से आज पूरा देश विकसित भारत की संकल्पना को साकार कर रहा हैं। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने महाराणा प्रताप जयंती की बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने स्थानीय क्षत्रिय समाज की ओर से प्रस्तुत सभी मांग पत्रों को स्वीकार करते हुए और सभी मांगों के लिए अपनी सैद्धान्तिक सहमति दी। उप मुख्यमंत्री ने समाज को संबोधित करते हुए कहा कि राजपूत क्षत्रिय समाज वह समाज है जो सनातन परंपरा मान बिंदू के लिए अपना प्राण लगा देता है। आज समाज के सभी लोग एक साथ इकट्ठा होकर महाराणा प्रताप जयंती में शामिल हुए है। उन्होंने कहा कि जब–जब समाज देश में कोई विपत्ति आई है तब–तब राजपूत समाज ने महाराणा प्रताप को स्मरण करते हुए सेवा के लिए उपस्थित हुए है।
उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के आदर्शों को मानने वाले उनके बताए रास्तों पर चलने वाला पूरा समाज सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है। उप मुख्यमंत्री ने इस आयोजन के लिए समाज को बधाई दी। इस अवसर पर सुबह महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर ध्वजारोहण एवं माल्यार्पण किया गया। दोपहर विशाल क्षत्रिय समागम सभा एवं शाम भव्य शौर्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा मे समाज के नव युवको द्वारा शौर्य का प्रदर्शन भी किया गया।
इसमें विभिन्न झांकियों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में कवर्धा नगर अध्यक्ष, राजपूत क्षत्रिय समाज चंद्रिका सिंह ठाकुर और सिंह नवयुवक मंडल अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ठाकुर के नेतृत्व एवं समाज के वरिष्ठजनों के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अनिल सिंह ठाकुर, दिलीप सिंह ठाकुर, चंद्रिका सिंह ठाकुर, कैलाश चन्द्रवंशी, चंद्रप्रकाह चन्द्रवंशी, क्रांति गुप्ता, मनिराम साहू, योगेंद्र सिंह ठाकुर, हेमलाला सिंह ठाकुर, रामसिंह, कल्याण सिंह, केहर सिंह, ख़ुमान सिंह, सुनील सिंह, मनोज सिंह, अमन सिंह, दुर्गेश सिंह, सुमित सिंह, अमन सिंह, उदय सिंह, सहित राजपूत समाज के पदाधिकारीगण और नागरिक उपस्थित थे।