कसडोल शहर में आज सुबह एक बाघ के अचानक प्रवेश से हड़कंप मच गया। बाघ कसडोल के एक किलोमीटर के दायरे में पहुंच गया था, जिससे शहरवासियों में भय और कौतूहल का माहौल था। बाघ की उपस्थिति से लोग सकते में आ गए, लेकिन वन विभाग ने अपनी तत्परता और कुशलता से इस संकट को संभाल लिया।
यह घटना कसडोल के पास स्थित ग्राम कोट की है, जहां बाघ एक पैरे के ढेर में छिपा हुआ था। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर बाघ को ट्रैक्यूलाइज किया। शुरुआत में बाघ होश में रहा, लेकिन जल्द ही उसे बेहोश कर लिया गया और सुरक्षित रूप से काबू कर लिया गया।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बाघ ओडिशा से होते हुए बारनवापारा पहुंचा था और पिछले आठ महीनों से इस क्षेत्र में सक्रिय था। जैसे ही बाघ के कोर एरिया से बाहर जाने की सूचना मिली, विभाग ने तुरंत इस पर कार्रवाई शुरू की।
मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा, “इस सफल ऑपरेशन के बाद, बाघ को अब किसी टाइगर रिजर्व में भेजा जाएगा, ताकि उसे सुरक्षित पर्यावरण मिल सके।” बाघ की सुरक्षा के लिए उसे रेडियो कालर भी लगा दिया गया है, ताकि उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बाघ के सफल रेस्क्यू के लिए वन विभाग को बधाई दी और कहा कि राज्य को एक नया टाइगर रिजर्व, ‘गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व’ मिलने से बाघों के संरक्षण में और सुधार होगा। यह रिजर्व देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा और बाघों के लिए एक बेहतर प्राकृतिक आवास प्रदान करेगा।