छत्तीसगढ़

दिल में छेदऑपरेशन के बाद 50 बच्चों को मिली नई जिंदगी

Advertisement

जब जिंदगी के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब भी एक दरवाजा खुला होता है। पंडरिया की रहने वाली 11 वर्षीय ज्योति के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जिससे उसे नई जिंदगी मिली। प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाली ज्योति के दिल में जन्म से छेद था। इलाज में लाखों रुपए लग जाते, लेकिन पिता के पास इतने पैसे नहीं थे। लेकिन चिरायु के जरिए उसका फ्री में ऑपरेशन हुआ और अब ज्योति सामान्य बच्चों की तरह जिंदगी जी रही है।

ये सिर्फ एक उदाहरण है। पिछले दो साल में चिरायु ने 50 बच्चों का सफल ऑपरेशन करवाया है, जिससे इन बच्चों को नई जिंदगी मिली है। वर्ष 2022 में 45 बच्चों के जन्मजात दिल में छेद का ऑपरेशन कराया गया। वहीं इस साल 5 बच्चों को ऑपरेशन के बाद नई जिंदगी मिली। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक चिरायु कार्यक्रम अंतर्गत वर्ष 2014 से अब तक 424 बच्चों का ऑपरेशन कराया जा चुका है। स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों में स्क्रीनिंग के दौरान इन बच्चों के दिल में छेद होने का पता चला था।

रघुराज प्राथमिक स्कूल पंडरिया की 11वर्षीय छात्रा ज्योति जन्म से हृदय रोग से पीड़ित थी। बेटी की जिंदगी बचाने सर्जरी में होने वाले खर्च को लेकर उसके पिता परेशान थे। बीएमओ डॉ. स्वप्निल तिवारी ने बताया कि स्कूल में चिरायु टीम को स्क्रीनिंग के दौरान बच्ची की धड़कनें असमान्य लगीं। ईको कार्डियोग्राफी कराने पर दिल में छेद का पता चला। फिर परिवार की पूर्ण काउंसिलिंग व सहमति के बाद ज्योति को 17 अगस्त को रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया। 18 अगस्त को उसका सफल ऑपरेशन हुआ। इलाज के बाद अब ज्योति पूरी तरह से ठीक है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के जरिए उसका निशुल्क इलाज हुआ।

आरबीएसके के तहत बच्चों में 42 तरह की बीमारियों का निशुल्क इलाज होता है। जिले में चिरायु की 9 टीम संचालित है। पंडरिया ब्लॉक में 3, कवर्धा, बोड़ला व सहसपुर लोहारा ब्लॉक में 2-2 टीम तैनात है। ये टीमें स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंच बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। जन्मजात हृदय रोग व 42 अन्य तरह के रोगी बच्चों की पहचान कर उनके इलाज में मदद करते हैं।

Advertisement

News Desk

शताब्दी टाइम्स - छत्तीसगढ़ का प्रथम ऑनलाइन अख़बार (Since 2007)
Back to top button
error: Content is protected !!