छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के सुकमा में श्रीराम से जुड़ी कहानी:भूदेवी की पूजा की थी; अब यहां रामारामिन मंदिर; वनवास के दौरान पड़े थे चरण

पहाड़ी के ऊपर आज भी करीब 700 वर्ष पुराने मंदिर के अवशेष मौजूद हैं।

छत्तीसगढ़ के सुकमा का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। वनवास के दौरान भगवान श्रीराम का यहां आगमन हुआ था। राराराम स्थित भूदेवी में उन्होंने पूजा की थी। ऐसी मान्यता है कि दंडकारण्य वन में रामाराम और इंजरम से होते हुए वे आंध्र प्रदेश के भद्राचलम गए थे। अब इस जगह पर रामारामिन मंदिर स्थापित है।

रामारामिन चि‍टमिट्टीन अम्मा देवी मंदिर क्षेत्र के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। वहीं रामाराम मंदिर को राम वन गमन पथ के तहत विकसित किया गया है। यहां छत्तीसगढ़ का पहला रॉक गार्डन बनाया गया है। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने से यहां काफी टूरिस्ट आएंगे। जिससे इलाके के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

मां रामरामिन चि‍टमिट्टीन अम्मा देवी मंदिर में पुजा करते पुजारी।
मां रामरामिन चि‍टमिट्टीन अम्मा देवी मंदिर में पुजा करते पुजारी।

भूदेवी की जगह रामारामिन चि‍टमिट्टीन मंदिर की स्थापना

1834 में भूदेवी की जगह पर रामारामिन चि‍टमिट्टीन अम्मा देवी मंदिर की स्थापना सुकमा के तत्कालीन शासक रामराज देव ने की थी। रामाराम के पास होने के कारण ये मंदिर देवी रामारामिन के नाम से प्रसिद्ध है। यह प्राचीन मंदिर पहाड़ी की तलहटी में स्थित है।

रामाराम मंदिर राम वनगमन पथ में शामिल है।
रामाराम मंदिर राम वनगमन पथ में शामिल है।

पहाड़ी के ऊपर आज भी करीब 700 वर्ष पुराने मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। पिछली कांग्रेस सरकार ने रामाराम मंदिर को राम वनगमन पथ प्रोजेक्ट में शामिल कर मंदिर को संवारने का काम किया था।

मंदिर से जुड़ी कहानी

रामारामिन देवी मां चिटमिट्टीन माता मंदिर से एक प्राचीन कहानी भी जुड़ी है। देवी मां के प्रति गहरी आस्था रखने वालों का मानना है कि प्राचीन काल में वर्तमान की तरह ही वार्षिक पूजा और मेले का आयोजन होता था। पूजा के बाद रात्रि विश्राम रामाराम ग्राम किया जाता था।

रामाराम में भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान भू-देवी की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी।
रामाराम में भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान भू-देवी की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी।

स्वर्ण कलश वापस ले जाना भूला पुजारी

ऐसी कहावत है कि एक बार जल्दबाजी में शाम में पुजारी पूजन के बाद स्वर्ण कलश वापस रामाराम ले जाना भूल गया। रात्रि में उसे अचानक याद आया और वह तत्काल पहाड़ी पर स्थित पूजा स्थल पर पहुंचा। तब उसने देखा कि दो सिंह दोनों ओर विराजमान हैं। वहां पुजारी को देवी के दर्शन हुए।

देवी ने गुस्से से उससे इतनी रात के वक्त आने का कारण पूछा, तो बताया कि वो स्वर्ण कलश यहीं भूल गया था। इस पर माता ने कहा कि मेरे रहते हुए तुम्हें कलश की चिंता करने की जरूरत नहीं है। इतना कहते ही देवी ने कलश पर अपने चरण से प्रहार किया। कलश लुढ़कता हुआ पहाड़ी के नीचे जा पहुंचा और तब से उसी स्थान पर देवी के नए मंदिर का निर्माण किया गया। ये मंदिर के वर्तमान स्वरूप में विद्यमान है।

छत्तीसगढ़ का पहला रॉक गार्डन

राम वन गमन पथ के तहत सुकमा जिले के रामाराम में पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए रॉक गार्डन बनाया गया है। जो पूरे प्रदेश भर में पहला रॉक गार्डन है। रॉक गार्डन में जामवंथ गुफा भी बनया गया है। जिसके अंदर रामायण काल के दौर को कलाकृति के जरिए दिखाया गया है। ये सभी कलाकृतियां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिसे देखने रोजाना लोग रामाराम पहुंचते हैं।

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साय कैबिनेट की अब हर बुधवार होगी बैठक ।
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छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘मोदी की गारंटी’ में एक पर और मुहर लगा दी है। प्रदेश के लोगों को राम लला के दर्शन कराने के लिए अयोध्या ले जाया जाएगा। बुधवार देर शाम कैबिनेट बैठक के बाद इसकी घोषणा की गई है। वहीं साय सरकार ने प्रफुल्ल भारत को नया महाधिवक्ता नियुक्त किया है। अयोध्या में रामलला की 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने ‘राम लला दर्शन’ योजना की शुरुआत की है। योजना के तहत हर साल 20 हजार यात्रियों को दर्शन कराने के लिए अयोध्या ले जाया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में ‘राम वन गमन पथ’ का नक्शा बदलेगा:रमन कार्यकाल में बनी पुरानी समिति की रिपोर्ट पर नया प्रस्ताव बनाने अफसरों को निर्देश

छत्तीसगढ़ में 'राम वन गमन पथ' का नक्शा बदलेगा।
छत्तीसगढ़ में ‘राम वन गमन पथ’ का नक्शा बदलेगा।

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इसे लेकर पूरे देश में उत्साह और उत्सव का माहौल है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ‘राम वन गमन पथ’ मार्ग बदलने की तैयारी कर रही है। अफसरों के मुताबिक, रमन कार्यकाल में बनी पुरानी समिति की रिपोर्ट पर नया प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश सरकार से मिले हैं।

Ankita Sharma

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