छत्तीसगढ़ में पहली बार लिथियम ब्लॉक की नीलामी, बैलाडीला में तीन लौह अयस्क ब्लॉकों की ई-नीलामी जारी
खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता और नवाचार, 2024-25 में 11,581 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने खनिज प्रबंधन में पारदर्शिता और डिजिटल नवाचार के नए मानक स्थापित किए हैं। प्रदेश में पहली बार लिथियम ब्लॉक की नीलामी के साथ ही बैलाडीला में तीन नए लौह अयस्क ब्लॉकों की ई-नीलामी प्रक्रिया जारी है, जिसे मार्च 2025 तक पूरा किया जाएगा।
खनन क्षेत्र में तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों के चलते राज्य के खनिज राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य के गठन के समय की तुलना में खनिज राजस्व 30 गुना बढ़कर 2023-24 में 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जबकि 2024-25 में अप्रैल से फरवरी तक 11,581 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जा चुका है। सरकार की पारदर्शी खनन नीति और डिजिटल निगरानी प्रणाली से खनिज संसाधनों का सुव्यवस्थित दोहन हो रहा है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिल रही है।
खनिज ब्लॉकों की ई-नीलामी में ऐतिहासिक सफलता
प्रदेश में अब तक 44 खनिज ब्लॉकों की ई-नीलामी सफलतापूर्वक संपन्न हुई है। इनमें चूना पत्थर के 14, लौह अयस्क के 9, बॉक्साइट के 11, स्वर्ण के 3, निकल-क्रोमियम के 2, ग्रेफाइट के 2, ग्लूकोनाइट के 2 और लिथियम का पहला खनिज ब्लॉक शामिल है।
खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में क्रिटिकल एवं डीप सीटेड मिनरल्स पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब तक 10 महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की नीलामी पूरी की गई है, जिनमें लिथियम, स्वर्ण, निकल, क्रोमियम, ग्रेफाइट और ग्लूकोनाइट शामिल हैं।
देश में पहली बार लिथियम ब्लॉक की सफल नीलामी
भारत सरकार ने पहली बार लिथियम ब्लॉक की सफल नीलामी की है। कोरबा जिले के कटघोरा लिथियम ब्लॉक को मेसर्स साउथ मायकी मायनिंग कंपनी को 76% प्रीमियम राशि पर आबंटित किया गया है। इसके अलावा, सुकमा और कोरबा जिलों में भी लिथियम अन्वेषण कार्य किया जा रहा है, जहां भंडार मिलने की प्रबल संभावना है।
बैलाडीला लौह अयस्क: देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ
बैलाडीला क्षेत्र भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क भंडारों में से एक है। यहां तीन नए लौह अयस्क ब्लॉकों की ई-नीलामी जारी है, जो मार्च 2025 तक पूरी की जाएगी। इसके अलावा, कांकेर जिले के हाहालद्दी लौह अयस्क ब्लॉक की नीलामी भी अंतिम चरण में है।
खनिज राजस्व से सामाजिक विकास को बढ़ावा
खनिज राजस्व का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक विकास में लगाया जा रहा है। जिला खनिज संस्थान न्यास (DMF) के तहत 2024-25 में अब तक 1,673 करोड़ रुपये की निधि प्राप्त हुई है। इस निधि से शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और कौशल विकास के 9,362 विकास कार्यों को मंजूरी दी गई है।
खनिज अन्वेषण का विस्तार और भविष्य की योजनाएँ
प्रदेश में चूना पत्थर, बॉक्साइट, लौह अयस्क और ग्रेफाइट सहित 13 खनिज परियोजनाओं पर अन्वेषण कार्य चल रहा है। प्रारंभिक सर्वेक्षणों के अनुसार, 283 मिलियन टन चूना पत्थर, 67 मिलियन टन लौह अयस्क और 3 लाख टन बॉक्साइट का भंडार चिन्हित किया गया है।
इसके अलावा, सूरजपुर जिले के जाजावल क्षेत्र में यूरेनियम ब्लॉक के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। कोरिया जिले में कोल बेड मीथेन के लिए वेदांता लिमिटेड एवं ऑइलमैक्स को पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस दिया गया है।
खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता और नवाचार को बढ़ावा
सरकार ने खनन क्षेत्र में पर्यावरण-संवेदनशील खनन, डिजिटल निगरानी और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। सैटेलाइट इमेजरी और माइनिंग सर्विलियेंस सिस्टम के माध्यम से अवैध खनन की निगरानी की जा रही है। बेहतर कार्य करने वाले पट्टेधारियों को ‘स्टार रेटिंग’ प्रणाली के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है।
प्रदेश में राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है, जिससे गौण खनिजों के व्यवस्थित विकास और अन्वेषण को बढ़ावा मिलेगा।
छत्तीसगढ़ बनेगा भारत का प्रमुख माइनिंग हब
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार सतत विकास और पारदर्शी खनन नीति को प्राथमिकता देते हुए प्रदेश को भारत के अग्रणी औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में स्थापित कर रही है। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध खनिज संपदा और रणनीतिक पहलों के साथ भारत के माइनिंग हब के रूप में उभरने के लिए तैयार है।