

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अदालत ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजने की पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। अब से हाईकोर्ट के सभी नोटिस और दस्तावेज भारतीय डाक सेवा की स्पीड पोस्ट सुविधा के माध्यम से भेजे जाएंगे।
अदालत प्रशासन के मुताबिक, इस व्यवस्था से संबंधित पक्षकारों, वकीलों और सरकारी विभागों तक नोटिस व दस्तावेज़ अधिक तेज़ी और सुनिश्चित तरीके से पहुँचेंगे। स्पीड पोस्ट की ट्रैकिंग प्रणाली अधिक सटीक होती है, जिससे अदालत को यह जानकारी मिल सकेगी कि दस्तावेज कब और किसने प्राप्त किया। इससे न्यायिक प्रक्रिया में होने वाली देरी पर रोक लगेगी और जवाबदेही भी तय की जा सकेगी।
अब तक रजिस्टर्ड डाक से भेजे जाने वाले नोटिसों को लेकर अक्सर शिकायतें मिलती थीं कि दस्तावेज़ समय पर प्राप्त नहीं हुए या जानबूझकर स्वीकार करने से इनकार कर दिया गया। इसके कारण सुनवाई की तारीखें बार-बार टलती रहती थीं। अदालत का मानना है कि नई व्यवस्था से इस तरह की बहानेबाजी और विलंब पर लगाम लगेगी।
पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डिजिटल फाइलिंग जैसे कई तकनीकी बदलावों को अपनाया है। अब स्पीड पोस्ट व्यवस्था को लागू करना उसी श्रृंखला का हिस्सा है। न्यायालय प्रशासन का कहना है कि इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि आम नागरिकों को न्याय मिलने की प्रक्रिया भी अधिक सरल और पारदर्शी होगी।