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CGMSC का स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बड़ा फैसला : छत्तीसगढ़ में तीन दवाओं पर बैन, दो कंपनियां ब्लैकलिस्ट

रायपुर | छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन (CGMSC) ने तीन दवाओं की आपूर्ति पर रोक लगाते हुए दो कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यह कार्रवाई अगले तीन वर्षों तक प्रभावी रहेगी। राज्य में इस कदम को जनस्वास्थ्य की दिशा में लिया गया एक बड़ा और निर्णायक फैसला माना जा रहा है।

CGMSC की सख्त कार्रवाई

कॉरपोरेशन की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, जिन दवाओं पर रोक लगाई गई है उनमें कैल्शियम (एलिमेंटल) विद विटामिन D3 टैबलेट्स, ऑर्निडाजोल टैबलेट्स और हेपारिन सोडियम 1000 IU/ml इंजेक्शन IP शामिल हैं। ये दवाएं राज्य के सरकारी अस्पतालों में वितरित की जा रही थीं। इनकी आपूर्ति करने वाली कंपनियों— फार्मेसर्स एजी पैरेंटेरल्स और फार्मेसर्स डिवाइन लेबोरेट्रीज को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।

गुणवत्ता में मिली बड़ी खामी

जानकारी के अनुसार, हेपारिन इंजेक्शन की लैब रिपोर्ट NABL प्रमाणित प्रयोगशाला से प्राप्त की गई थी, जिसमें दवा की गुणवत्ता असंतोषजनक पाई गई। दवा के रासायनिक तत्व निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने के कारण इसे उपयोग के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया। रिपोर्ट सामने आने के बाद CGMSC ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दवा और उससे जुड़ी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया।

स्वास्थ्य सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

CGMSC के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि राज्य में आपूर्ति की जाने वाली सभी दवाओं की गुणवत्ता की जांच नियमित रूप से की जाती है। किसी भी स्तर पर गुणवत्ता में कमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक, “जनस्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। छत्तीसगढ़ में लोगों की सुरक्षा और विश्वास को बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

मरीजों से सावधानी बरतने की अपील

स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे प्रतिबंधित दवाओं का सेवन तुरंत बंद करें और डॉक्टर से परामर्श लें। अस्पतालों, दवा विक्रेताओं और स्वास्थ्य केंद्रों को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि वे इन दवाओं की बिक्री और वितरण तुरंत रोक दें। विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रतिबंधित दवाओं का उपयोग किसी भी रूप में असुरक्षित हो सकता है।

तीन वर्षों तक रहेगा प्रतिबंध

दोनों आपूर्तिकर्ता कंपनियों पर लगाया गया प्रतिबंध अगले तीन वर्षों तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि में उन्हें राज्य सरकार की किसी भी दवा आपूर्ति निविदा में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। CGMSC ने चेतावनी दी है कि भविष्य में किसी भी आपूर्तिकर्ता या निर्माता द्वारा गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर इसी प्रकार की कठोर कार्रवाई की जाएगी।

Editorial Desk

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