छत्तीसगढ़राजनीति और सामुदायिक कार्यक्रमसमाचार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अंबिकापुर में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोह में की शिरकत, जनजातीय नायकों के परिजनों को किया सम्मान

रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सरगुजा जिले के अंबिकापुर स्थित पीजी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित भव्य ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोह में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने जनजातीय समुदायों की गौरवशाली परंपराओं, सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों का योगदान भारत के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है, जो लोकतंत्र की जननी है। इसके उदाहरण प्राचीन गणराज्यों के साथ-साथ कई जनजातीय परंपराओं में भी देखे जा सकते हैं, जैसे कि बस्तर में ‘मुरिया दरबार’ – जो आदिम लोगों की संसद है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय विरासत की जड़ें छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों में गहरी हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 नवंबर से 15 नवंबर तक जनजातीय गौरव पखवाड़े को बड़े स्तर पर मनाया।

राष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि पिछले एक दशक में, जनजातीय समुदायों के विकास और कल्याण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएँ विकसित और कार्यान्वित की गई हैं। पिछले वर्ष, गांधी जयंती के अवसर पर ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ शुरू किया गया था। इस अभियान का लाभ देश भर के 5 करोड़ से अधिक जनजातीय भाई-बहनों तक पहुँचेगा। वर्ष 2023 में, 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन अभियान) शुरू किया गया। ये सभी योजनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार जनजातीय समुदायों को कितनी प्राथमिकता देती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों के विकास प्रयासों को नई ऊर्जा देने के लिए, भारत सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के वर्ष के दौरान ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ शुरू किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस अभियान के तहत देश भर में लगभग 20 लाख स्वयंसेवकों का एक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये स्वयंसेवक जमीनी स्तर पर काम करके जनजातीय समुदायों का विकास सुनिश्चित करेंगे।

राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि छत्तीसगढ़ सहित देश भर में लोग वामपंथी उग्रवाद का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सुविचारित और सुसंगठित प्रयासों से निकट भविष्य में वामपंथी उग्रवाद का उन्मूलन संभव हो पाएगा। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि हाल ही में आयोजित ‘बस्तर ओलंपिक्स’ में 1,65,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनजातीय महापुरुषों के आदर्शों का पालन करते हुए, छत्तीसगढ़ के लोग एक सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अंबिकापुर में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोह में की शिरकत, जनजातीय नायकों के परिजनों को किया सम्मान

राष्ट्रपति ने जनजातीय समाज प्रमुखों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से की मुलाकात

कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने जनजातीय समाज प्रमुखों, पीवीटीजी समुदाय के समाज प्रमुखों, जनजातीय समाज के उत्थान में विशेष योगदान देने वालों, जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम में सेनानियों के परिजनों से भेंट की। श्रीमती मुर्मू ने इन सभी के साथ समूह फोटो खिंचवाई।

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले जनजातीय जननायकों एवं सेनानियों के परिजनों का सम्मान किया। राष्ट्रपति ने सोनाखान क्रांति के जननायक शहीद वीर नारायण सिंह एवं शहीद वीर नारायण सिंह के सेनापति, परलकोट क्रांति के जननायक शहीद गेंदसिंह, झण्डा सत्याग्रह के जननायक सुकदेव पातर, भूमकाल क्रांति के जननायक बन्टु धुरवा, जंगल सत्याग्रह के जननायक शहीद रामधीन गोड़, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजनाथ भगत एवं माझी राम गोंड़ के परिजनों से भेंट की।

राष्ट्रपति ने बिरहोर जनजाति के राजेश बिरहोर, अबुझमाड़िया जनजाति के रामजी ध्रुव, बैगा जनजाति के एतवारी राम मछिया एवं पहाड़ी कोरवा जनजाति के जोगीराम से सौजन्य भेंट की और हाल-चाल पूछा। राष्ट्रपति ने इसी तरह उरांव जनजाति के मंगल उरांव, नगेशिया जनजाति के धनराम नागेश, खैरवार जनजाति के वीर सिंह खैरवार, कंवर जनजाति के संजय सिंह, नागवंशी जनजाति के लक्कू राम नागवंशी, मुरिया जनजाति के धनीराम शोरी, गोंड़ जनजाति के मोहन सिंह, पंण्डो जनजाति के विनोद कुमार पंण्डो एवं चेरवा जनजाति के डी.एन. चेरवा से भी भेंट की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अंबिकापुर में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ समारोह में की शिरकत, जनजातीय नायकों के परिजनों को किया सम्मान

पण्डो जनजाति के बसन्त पण्डो से मिलकर जाना कुशलक्षेम, शॉल भेंट कर किया सम्मान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु कार्यक्रम के दौरान पण्डो जनजाति के बसन्त पण्डो से मिलीं। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने उनका कुशल क्षेम जाना और उन्हें शॉल भेंट की। बसन्त पण्डो ने राष्ट्रपति को बताया कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद जब वर्ष 1952 में अंबिकापुर आए थे, तब वे 08 वर्ष के थे। राष्ट्रपति ने बसन्त पण्डो को गोद लिया और उनका नामकरण किया था। बसंत पण्डो को गोद लेने के बाद, पण्डो जनजाति को ’राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र’ कहलाने का दर्जा प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने बसन्त पण्डो को कहा कि आप मेरे भी पुत्र की तरह हैं।

कार्यक्रम में राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, राज्यमंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार दुर्गा दास उईके, राज्यमंत्री आवास एवं शहरी मंत्रालय भारत सरकार तोखन साहू, आदिम जाति विकास विभाग कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग मंत्री रामविचार नेताम, प्रभारी मंत्री जिला सरगुजा एवं वित्त वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री ओमप्रकाश चौधरी, पर्यटन संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग मंत्री राजेश अग्रवाल, वन एवं जलवायु परिवर्तन परिवहन सहकारिता एवं संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास समाज कल्याण विभाग मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, सरगुजा सांसद चिंतामणी महाराज, उत्तर रायपुर विधायक पुरंदर मिश्रा, जगदलपुर विधायक किरण सिंह देव, महापौर अम्बिकापुर मंजुषा भगत भी उपस्थित रहे।

Editorial Desk

शताब्दी टाइम्स - यहां विचारों की गहराई, निष्पक्ष दृष्टिकोण और विश्वसनीय पत्रकारिता का मेल मिलता है। हम समाज, राजनीति, संस्कृति और जन-सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सारगर्भित और संतुलित विचार रखते हैं।
Back to top button
error: Content is protected !!