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जमीन कारोबार की नई गाइडलाइन: कच्चे–पक्के लेनदेन और काले धन पर लगा पूरा ब्रेक

रायपुर। प्रदेश सरकार द्वारा जारी नई भूमि गाइडलाइन ने रियल एस्टेट कारोबार में वर्षों से चल रहे कच्चे–पक्के सौदों पर लगभग पूरी तरह रोक लगा दी है। अब किसी भी प्रकार की जमीन खरीद-फरोख्त में संपूर्ण भुगतान सिर्फ एक नंबर में ही किया जा सकेगा। इससे जमीन के क्षेत्र में काली कमाई को खपाने का खेल, जो लंबे समय से चलता रहा है, अब समाप्ति की ओर माना जा रहा है।

कच्चे–पक्के सौदों का अंत

अब तक प्रचलन यह रहा कि जमीन के सरकारी रेट यानी कलेक्टर गाइडलाइन के मुकाबले बाजार भाव अधिक होते थे। ऐसे में खरीदार सरकारी मूल्य के अनुसार ‘एक नंबर’ का भुगतान करते थे और शेष राशि ‘दो नंबर’ में देकर काला धन खपाया जाता था। लेकिन नई गाइडलाइन में दरें इस कदर बढ़ाई गई हैं कि कई क्षेत्रों में सरकारी रेट ही बाजार भाव से अधिक हो गया है। इससे कच्चे–पक्के लेनदेन की गुंजाइश लगभग समाप्त हो गई है।

काले धन की खपत पर चौतरफा रोक

विशेषज्ञों का कहना है कि नई व्यवस्था के बाद काला धन रखने वाले सबसे बड़ी उलझन में हैं। जमीन में पैसा लगाना संभव नहीं रहा और सोने जैसी निवेश वस्तुओं में पहले से ही 50 हजार से अधिक का भुगतान नगद में स्वीकार नहीं किया जाता। ऐसे में काले धन को खपाने के विकल्प तेजी से सिमटते दिखाई दे रहे हैं। किसी अन्य व्यक्ति के नाम से संपत्ति खरीदने का रास्ता भी जोखिम भरा है, क्योंकि किसी भी कार्रवाई या छापे में यह तुरंत उजागर हो जाता है।

पूर्व सरकार के फैसले का असर

कांग्रेस शासन के दौरान जमीन की गाइडलाइन वैल्यू में 30 प्रतिशत की कमी की गई थी। इससे बाजार भाव और सरकारी दर के बीच बड़ा अंतर पैदा हुआ, और काले धन को खपाने के लिए जमीन सबसे आसान माध्यम बन गई। उदाहरण के तौर पर, जिसकी कीमत बाजार में एक करोड़ रुपये थी, उसकी सरकारी कीमत घटकर 70 लाख रुपये रह गई थी। ऐसे सौदों में खरीदार 70 लाख आधिकारिक रूप से और 30 लाख नकद देकर सौदा पक्का करते थे। इसी अंतर का फायदा उठाकर रियल एस्टेट सेक्टर में करोड़ों रुपये का काला धन समाहित किया गया।

नई व्यवस्था ने बदली तस्वीर

अब जब सरकारी दरें बाजार भाव के करीब या कई क्षेत्रों में अधिक हो गई हैं, तो काले धन के लेनदेन का यह पूरा ढांचा ढह गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार के इस कदम से जमीन बाजार अधिक पारदर्शी और नियंत्रित होगा, जबकि काले धन के भंडार रखने वालों के लिए यह बड़ा झटका साबित हुआ है।

Editorial Desk

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