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भाजपा की पहली लिस्ट का पूरा एनालिसिस:सूची में सीएम फेस के 2 मजबूत दावेदार, 29 सीटों पर नए प्रत्याशी और 7 सांसद, मैसेज दिया- चलेगी तो मोदी-शाह की

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जपा की पहली लिस्ट का पूरा एनालिसिस:सूची में सीएम फेस के 2 मजबूत दावेदार, 29 सीटों पर नए प्रत्याशी और 7 सांसद, मैसेज दिया- चलेगी तो मोदी-शाह की

जयपुर5 घंटे पहलेलेखक: किरण राजपुरोहित, स्टेट एडिटर (राजस्थान)

राजस्थान में विधानसभा चुनावों की रणभेरी बजने के 5 घंटे के भीतर भाजपा ने 6 लोकसभा सांसदों, 1 राज्य सभा सांसद और 2 पूर्व सांसदों को टिकट देकर राजनीतिक पंडितों के हर दावे को पीछे छोड़ दिया है। कयास लगाए जा रहे थे नामों की घोषणा 25 सितंबर, 1 और 5 अक्टूबर को होगी। जब ये नहीं हुई तो पार्टी के सनातनी होने की दुहाई देकर नवरात्र में सूची आने के दावे किए, जो आज धराशायी हो गए। केंद्र में जब से मोदी की सरकार आई है, तब से भाजपा हर फैसले में चौंका रही है।

सोमवार को 41 विधानसभा सीटों पर नामों की पहली सूची कई मायनों में चौंकाने वाली और कई मैसेज देने वाली है। 41 सीटों में से 29 पर नए प्रत्याशी उतारकर पार्टी ने क्लियर कर दिया है कि कोई समझौता नहीं होगा। मध्य प्रदेश में जिस तरह से पार्टी ने कई सांसदों को टिकट देकर मार्केट में सीएम चेहरे को लेकर हवा बनाई, उसी तरह यहां भी सात सांसदों को मैदान में उतारकर नई सियासी चर्चा खड़ी कर दी। दो चेहरे तो सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं।

दैनिक भास्कर ने भाजपा की पूरी सूची का एनालिसिस किया। कुछ अनसुलझे प्रश्नों को ढूंढने की कोशिश की।

भाजपा की पहली सूची से क्लियर मैसेज दिया है कि टिकटों का फैसला दिल्ली से ही होगा।
भाजपा की पहली सूची से क्लियर मैसेज दिया है कि टिकटों का फैसला दिल्ली से ही होगा।

1. पहली लिस्ट में प्रदेश के किस गुट की चली?

किसी की नहीं चली। मोदी और शाह की ही चली है। भाजपा आलाकमान ने प्रदेश नेतृत्व की बजाय खुद के सर्वे के आधार पर किए गए निर्णयों पर अधिक भरोसा जताया है। सूची में संघ को पूरी तवज्जो दी गई है।

2. सूची के माध्यम से क्या मैसेज दिया गया है?

संगठन ही मुख्य है। ये मैसेज है। मोदी और शाह ने अपने सर्वे के आधार पर टिकट बांटी है। इस सूची में एक और बात देखने को मिली। भाजपा के पास कुल 19 सीटें हैं, जहां पर तीन बार से पार्टी हार रही है। इसमें 11 सीटों पर पहली सूची में टिकट दिया गया है। इन पर उन प्रत्याशियों को उतारा गया है, जो इस बार कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

इसके अलावा एक बात और देखने को मिली कि 2018 के चुनाव और उपचुनावों में पार्टी की हार के कारणों को ढूंढकर हल निकाला गया है। संगठन के साथ जुड़े रहने वालों को टिकट देकर साधा है। जैसे- सहाड़ा, झुंझुनूं की विधानसभा सीट।

3. क्या पहली सूची में वसुंधरा गुट की नहीं चली?

ऐसा नहीं है। वसुंधरा राजे को पूरी तरह साइडलाइन नहीं किया गया है। ये बात जरूर है कि सर्वे में पिछड़ रही सीटों पर दिग्गजों को लड़ाने की रणनीति बनाई गई है। कई सीटों पर राजे समर्थकों को टिकट मिले हैं। कुछ जगहों पर टिकट कटे भी हैं। किरोड़ी लाल मीणा, शुभकरण चौधरी, बबलू चौधरी जैसे उम्मीदवार वसुंधरा के समर्थक माने जाते हैं। वहीं, उनके बड़े समर्थकों में गिने जाने वाले राजपाल सिंह शेखावत, कालूलाल गुर्जर जैसे नेताओं का टिकट कट गया है। इनके समर्थकों को अगली सूचियों में इनके नाम का इंतजार है।

वसुंधरा राजे को पूरी तरह साइडलाइन नहीं किया गया है। ये जरूर है कि उनके समर्थक माने जाने वाले कई नेताओं के टिकट कटे भी हैं।
वसुंधरा राजे को पूरी तरह साइडलाइन नहीं किया गया है। ये जरूर है कि उनके समर्थक माने जाने वाले कई नेताओं के टिकट कटे भी हैं।

4. सात सांसदों को टिकट देने के क्या मायने हैं?

भाजपा के सर्वे में यहां पार्टी की स्थिति बहुत बेहतर नहीं बताई गई थी। बस भाजपा को अपर हैंड पर होने की बात सामने आई थी, लेकिन पार्टी ने विधानसभा सीटों की अच्छी संख्या लाने के लिए किसी तरह का जोखिम नहीं उठाया है। इस कारण 7 सांसदों के रूप में बड़े चेहरों को उतारकर पार्टी ने कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने का प्रयास किया है। इस सूची से ये भी क्लियर हो गया है कि आने वाली सूचियों में अन्य सांसद भी होंगे।

5. क्या सांसदों के लिए चुनौती होगी?

सात में से तीन सांसदों ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में झोटवाड़ा से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, तिजारा से बाबा बालकनाथ और सांचौर से देवजी पटेल की परीक्षा होगी। देवजी पटेल का हाल में विवाद सामने आ चुका है। दूसरा, पार्टी ने भागीरथ चौधरी (2003 और 2013 में अजमेर की किशनगढ़ सीट से विधायक रहे), नरेंद्र खींचड़ (2018 में मंडावा सीट से विधायक रहे) को संबंधित सीटों पर मजबूत प्रत्याशी नहीं होने के कारण टिकट दिए हैं।

6. भाजपा विधायकों के टिकट कटने के 3 बड़े कारण

– भाजपा आलाकमान के सर्वे में कमजोर सीटें बताई गईं, 11 सीटें वे जहां भाजपा लगातार हार रही है।

– जनता के सामने अधिकतर नए चेहरे रखे, जिससे पुराने नेताओं से नाराजगी से बचा जा सके।

– टिकट मांगने वालों की परफॉरमेंस भी देखी गई। अपने क्षेत्र में पैठ बनाने में विफल, जनता में कमजोर छवि वालों को मैदान से दूर रखा गया है।

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7. पहली सूची में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई स्पष्टता होती है क्या?

जिस तरह भाजपा ने मध्य प्रदेश में कई सीनियर एमपी को टिकट देकर चर्चा खड़ी की, उसी तरह जयपुर में मोदी की सभा में मंच संचालन करने वाली राजसमंद की सांसद दीया कुमारी को विद्याधर नगर (जयपुर ) से टिकट देकर नई चर्चा को जन्म दे दिया है। बाबा बालकनाथ भी मोदी गुट के बताए जाते हैं। ये दो चेहरे सीएम पद के लिए मजबूत बताए जाते हैं।

8. पार्टी ने पहली सूची में किन बातों का ध्यान रखा है?

भाजपा ने इसमें कुछ खास बातों का ध्यान रखा है। इसमें पहला है पार्टी की छवि। पहले माना जा रहा था कि बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के शिवसेना में जाने के बाद भाजपा ये सीट गुढ़ा के लिए छोड़ सकती है, लेकिन यहां पहले विधायक रह चुके शुभकरण चौधरी को मौका दिया गया है। अगर बीजेपी यहां टिकट छोड़ती तो मैसेज जाता बीजेपी का गुढ़ा से समझौता है।

दूसरा, भाजपा ने अपनी पहली सूची में हिन्दुत्व का मैसेज देने का पूरा प्रयास किया है। तिजारा से बाबा बालकनाथ को उतार दिया है। वहीं, 41 सीटों में से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को मौका नहीं दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में 200 सीटों में से मात्र 1 यूनुस खान को टोंक सीट से उतारा था।

9. भाजपा ने पायलट को कोई जवाब दिया है?

– जी हां, गुर्जर समाज भाजपा का वोट बैंक माना जाता रहा है। वसुंधरा राजे को भी इस वोट बैंक से काफी मदद मिलती रही है। वर्ष 2018 के चुनाव में सचिन पायलट के मैदान में उतरने से ये वोट बैंक कांग्रेस के पाले में स्विंग कर गया और भाजपा को काफी नुकसान हुआ। भाजपा ने इस सूची में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के अगुवाई कर चुके कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के बेटे विजय बैसला को टिकट देकर चौंका दिया है। इससे गुर्जर समाज की सहानुभूति मिलने की उम्मीद है। एक पहलू और है। वर्तमान में पायलट प्रदेश दौरा नहीं कर रहे हैं। बस वे अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में सक्रिय हैं।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को टिकट देकर भाजपा ने गुर्जर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। यह वोट बैंक 2018 में पायलट के कारण कांग्रेस के पाले में स्विंग कर गया था।
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को टिकट देकर भाजपा ने गुर्जर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। यह वोट बैंक 2018 में पायलट के कारण कांग्रेस के पाले में स्विंग कर गया था।

10. आरएसएस की कितनी चली टिकटों में?

भाजपा ने संघ पृष्ठभूमि से और संघ से जुड़ाव रखने वाले 8 प्रत्याशियों को अपनी सूची में जगह दी है। इनमें सांसद देवजी पटेल, किरोड़ी लाल मीणा, सुशील कटारा, शत्रुघ्न गौतम जैसे नेता हैं। वहीं दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अर्जुनलाल गर्ग और ताराचंद सारस्वत जैसे नेताओं के टिकट भी संघ की सहमति से दिए जाने बताए जाते हैं।

पहली सूची की कुछ खास बातें, जो आपको जाननी चाहिए

मंत्रियों और गहलोत के सलाहकारों को घेरने की रणनीति

– राज्य के कैबिनेट मंत्री भजनलाल जाटव को घेरने के लिए वैर (भरतपुर) से 2014 से 2019 तक भरतपुर के सांसद रहे बहादुरसिंह कोली को उम्मीदवार बनाया गया है।

– जयपुर ग्रामीण से सांसद रहे वर्तमान में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया को घेरने के लिए भाजपा ने झोटवाड़ा से जयपुर ग्रामीण के सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को उम्मीदवार बनाया है।

– बसपा से कांग्रेस में आकर 2020 में गहलोत सरकार बचाने वाले राजस्थान राज्य खाद्य निगम एवं भिवाड़ी अरबन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन (विधायक) संदीप यादव के सामने अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को उतारा गया है।

– जालोर सांसद देवजी एम पटेल को मंत्री सुखराम विश्नोई के सामने और किशनगढ़ से विधायक सुरेश टांक के सामने अजमेर के वर्तमान सांसद भागीरथ चाैधरी को टिकट दिया गया है।

– कभी पायलट के करीबी रहे एवं वर्तमान में गहलोत गुट के माने जाने वाले कांग्रेस विधायक दानिश अबरार के सामने राज्यसभा सांसद डाॅ. किरोड़ी मीणा को सवाईमाधोपुर से टिकट दिया गया है।

शेखावाटी में कांग्रेस को घेरने की रणनीति

भाजपा के लिए शेखावाटी हमेशा चुनौती रहा है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा लक्ष्मणगढ़ (सीकर) से विधायक हैं। इन्हें घेरने के लिए सीकर के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया को लक्ष्मणगढ़ से टिकट दिया गया है। महरिया पहले भाजपा, इसके बाद कांग्रेस में और अब दुबारा भाजपा में शामिल हुए हैं। महरिया लंबे समय से वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे पिछला सांसद का चुनाव हार चुके हैं।

फतेहपुर सीट पर कोचिंग संचालक श्रवण चौधरी को टिकट दिया गया है। चौधरी लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय हैं और यूथ में लोकप्रिय हैं। ऐसे में इस सीट पर जातिगत और यूथ दोनों फैक्टर को देखा गया है।

शेखावाटी में कांग्रेस को घेरने के लिए भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के सामने पूर्व सांसद व मंत्री सुभाष महरिया को टिकट दिया है।
शेखावाटी में कांग्रेस को घेरने के लिए भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा के सामने पूर्व सांसद व मंत्री सुभाष महरिया को टिकट दिया है।

इन नेताओं के टिकट कटे

– नरपत सिंह राजवी, विद्याधर नगर (जयपुर)

– राजपाल सिंह शेखावत, झोटवाड़ा (जयपुर)

– गोलमा देवी, सपोटरा (करौली)

– खेमाराम मेघवाल, सुजानगढ़ (चूरू)

– कालूलाल गुर्जर, मांडल (भीलवाड़ा)

– अलका सिंह गुर्जर, बांदीकुई (दौसा)

– रामस्वरूप कोली, वैर (भरतपुर)

– अनिता सिंह, नगर (भरतपुर)

नोट : नरपत सिंह राजवी के अलावा बाकी नेता 2018 में हारे थे

भाजपा के लिए चुनौती हैं कमजोर सीटें

भाजपा ने 41 सीटों की सूची में 11 सीटें वे शामिल की हैं, जिनमें पिछले तीन चुनाव पार्टी लगातार हारी है। इनमें दांतारामगढ़, कोटपूतली, झुंझुनूं, सांचौर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, नवलगढ़, लालसोट, सपोटरा, बागीदौरा और बस्सी विधानसभा शामिल हैं।

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राजस्थान विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने सोमवार दोपहर पहली लिस्ट जारी कर दी। आचार संहिता लगने के थोड़ी ही देर बाद बीजेपी ने 41 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। 7 सांसदों सहित एक रिटायर्ड IAS को भी मैदान में उतारा गया है। इन 41 में से 39 ऐसी सीटें हैं, जो भाजपा पिछली बार (2018 विधानसभा चुनाव) हार गई थी। (पूरी खबर पढ़ें)

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भाजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव की पहली लिस्ट में 7 सांसदों को प्रत्याशी बनाया है। इन 41 नामों में 21 नए चेहरों पर दांव लगाया है। 39 से 71 साल तक के नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया है। इस सूची में 11 ऐसी विधानसभा सीटें शामिल हैं, जहां पिछले तीन बार से भाजपा चुनाव हार रही है। 41 में से 39 सीटों पर पिछली बार हार मिली थी। इनमें 6 एससी, 9 एसटी और बाकी 26 सामान्य वर्ग के उम्मीदवार है। इनमें 4 महिलाएं भी शामिल हैं। (पूरी खबर पढ़ें)

Ankita Sharma

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