छत्तीसगढ़

: सरकारी अधिकारियों से मिली भगत कर जीएसटी और इनकम टैक्स की चोरी

रायपुर । चना घोटाले में सबसे अहम बात नैफेड से उच्च स्तर का माल खऱीदा गया। नैफेड ने भी केंद्रीय भंडार को माल डिलीवरी किया। चना सप्लायर माफिय़ा को माल की डिलीवरी की गई। जीएसटी का वेब बिल कितना बना और कैसे बना यह जाँच का विषय है।

पूरा माल बाज़ार में बेचने पर उसकी डिलीवरी वेब बिल किसने बनाया जीएसटी किस ने ली और लाखों करोड़ रुपया का जो फ़ायदा हुआ वो किसके खाते में गया। जीएसटी के बिना और वेब बिल के बिना माल की डिलीवरी किया जाना संभव नहीं है और माल आया और गया दोनों समय वेब बिल का उपयोग होना था। माल आने-जाने का वेब बिल बनेगा तो इसकी सम्पूर्ण जांच उस वेब बिल के आधार पर जीएसटी डिपार्टमेंट के द्वारा कराया जाना अति आवश्यक है।

सेंट्रल जीएसटी की भी चोरी हुई है। स्टेट जीएसटी की चोरी हुई है। डिलीवरी चालान के आधार पर वेब बिल कितने का बने है, और वास्तविकता में वेब बिल कितना बना बताया है। हज़ारों टन चना का वेब बिल बनना बाक़ी और तमाम घपले घोटाले किस बिल के आधार पर हुए जिसकी संपूर्ण जाँच जीएसटी डिपार्टमेंट

करेगा। तो अब तक के सारे चना घोटाले सामने आ सकता है। चना घोटाले में जीएसटी की चोरी करोड़ों में हुई है, तब तो इनकम टैक्स भी करोड़ों होने की प्रबल संभावना है। चना चोरों ने जीएसटी की चोरी की इनकम टैक्स की चोरी की और सरकार को लाखों करोड़ों का नुक़सान पहुँचाया है। बाज़ार से सस्ते दर जानवरों को खिलाने वाले चना आमजनता को बांट कर भारी मात्रा में मुनाफ़ा कमाते हुए सरकार को ही सरकारी माल बनाकर सुपुर्द किया जो कि एक धोखाधड़ी है, अमानत में खयानत है और दुनिया में इससे बड़ी कोई चोरी भी हो सकती है।

ऐसे समझे चना माफिया के खेल को : आइए समझते हैं चना घोटाला कैसे हुआ सप्लायर माफिय़ा ने सरकारी चने को लेने के उपरान्त उसको प्रोसेस करके पैकिंग कर नागरिक आपूर्ति निगम को क्वालिटी कंट्रोल टेस्ट के साथ सूखा और अच्छा चना देना था, लेकिन चना माफिय़ा गैंग में नैफेड से ऊँचे स्तर की क्वालिटी का मध्यप्रदेश की खेती से उपजा हुआ ताज़ा फसल वाला चना का माल बदलकर घटिया और जानवरों के खाने वाले चने को नागरिक आपूर्ति निगम में पैकिंग की सारी शर्तों को पूरा करते हुए सप्लाई कर दिया । अब नागरिक आपूर्ति निगम ने चने की कोई टेस्ट भौतिक सत्यापन नहीं हुआ और चने की क्वालिटी भी नहीं देखी गई।

जीएसटी की करोड़ों की चोरी का पर्दाफाश : लाखों करोड़ रुपया का घोटाला शुरू होता है न चना मार्केट से लाने के लिए वेब बिल की आवश्यकता पड़ती है सरकार का हो के प्राइवेट का, जीएसटी में वेब बिल अति आवश्यक होता है कि वेब बिल का उपयोग नहीं किया गया जहां पर जीएसटी की करोड़ों रुपया की चोरी का पर्दाफाश होता है। नेफेड का चना मार्केट में : लाखों करोड़ों के बाज़ार से उच्च क्वालिटी के सरकार के पैसे से खऱीदे गए चने को ब्लैक मार्केट में मुंबई और दिल्ली और एक्सपोर्ट के मार्केट में 85 रुपये से लेकर सौ रुपये किलो तक बेचा गया। सरकार की लगाई हुई करोड़ों की रक़म को प्राप्त कर उस रक़म को भी आज तक अपने धंधे में लगाया गया और फिर थोड़ा-थोड़ा माल बाज़ार से घटिया माल खरीदा जिसे जानवर भी नहीं खाते ऐसे चने को खऱीद कर नागरिक आपूर्ति निगम को चना माफिय़ाओं ने सप्लाई किया। ये है पूरा चना घोटाले का सच्चाई और बोलता सच सामने आ रहा है।

नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों का दुस्साहस देखिए घटिया चऩा को गोदाम से लाने के उपरांत उस चने पर भी नियत खऱाब करते हुए जनता के लिए वितरण करने वाली गाड़ी पर चना लोड होकर चला चना राशन दुकानदार में नहीं पहुंच पाता। और जिसे गरीब जनता सरकारी चना समझ कर खाती है जबकि उस चने को घोड़ों को भी खाने के लिए नहीं दिया जाता है। इस तरह का खेल कर सप्लायर और अधिकारी करोड़ों का चूना लगाया। अधिकारी गले-गले तक भ्रष्टाचार में डूबे : नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी भ्रष्टाचार बरसो से डूबे हैं अब उन अधिकारियों को किसी भी प्रकार का कोई का भी डर नहीं है। सरकार का भी डर नहीं है, मंत्रालय का भी डर नहीं है और जनता का भी डर और ख़ौफ़ नहीं है । पहले तो चना को बदलने के बाद खराब और कचरे चने को भी राशन दुकान तक पहुंचने नहीं देना ये गंभीर अपराध है सरकार पूरे चने घोटाले की श्वह्रङ्ख से जाँच कराए तभी सच्चाई सामने आएगी और भ्रष्ट अधिकारी जेल जाएंगे।

Ankita Sharma

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