अमित शाह ने दी अंतिम चेतावनी: “समय रहते आत्मसमर्पण कर लें नक्सली; 31 मार्च 2026 तक लाल आतंक का समूल नाश निश्चित”


नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा हालिया अभियान की उपलब्धियों का हवाला देते हुए देश में नक्सलवाद के उन्मूलन को लेकर दो टूक संदेश दिया है। शाह ने सुरक्षा बलों की तारीफ करते हुए कहा कि सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो, छत्तीसगढ़ पुलिस और जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के संयुक्त अभियान में गरियाबंद जिले में एक करोड़ रुपये के इनामी केंद्रीय समिति सदस्य मॉडम बालकृष्ण उर्फ़ मनोज समेत दस नक्सलियों के खात्मे जैसी कार्रवाई यह संकेत देती है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। गृह मंत्री ने साफ कहा कि बचे-खुचे नक्सलियों को समय रहते आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटना चाहिए; अन्यथा उनके सामने गंभीर परिणाम होंगे।
रायपुर रेंज के अधिकारियों ने बताया कि गरियाबंद की पहाड़ी विस्तारों में हुई मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा दलों ने निर्णायक सफलता हासिल की। उसी कड़ी में कांकेर-नारायणपुर सीमा क्षेत्र में भी एक सक्रिय नक्सली जिसमें आठ लाख रुपये का इनाम था, मारा गया और घटनास्थल से हथियार व संचार उपकरण बरामद किए गए। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि कठिन भौगोलिक तथा मौसमीय हालात के बावजूद जवान सरकार की नीति और नागरिक सुरक्षा की प्रतिबद्धता के साथ तैनात हैं और उन्होंने माओवादी कार्यकर्ताओं से पुनर्वास नीति स्वीकार कर हिंसा छोड़ने का आग्रह किया।
नक्सलियों के विरुद्ध हमारे सुरक्षा बलों ने आज एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। छत्तीसगढ़ में CRPF की कोबरा कमांडो, छत्तीसगढ़ पुलिस और DRG ने जॉइंट ऑपरेशन चलाकर ₹1 करोड़ के इनामी सीसीएम मोडेम बालकृष्णा उर्फ मनोज सहित 10 कुख्यात नक्सलियों को मारा गिराया है। समय रहते बचे-खुचे नक्सली…
— Amit Shah (@AmitShah) September 11, 2025
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पुनर्वास और मुख्यधारा में लौटने वाले नक्सलियों के जीवन यापन के विकल्पों पर दोहराया जोर दिया है। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बीजापुर में हालिया 30 का आत्मसमर्पण तथा उनके पुनर्वास को राज्य की पुनर्वास नीति और सुरक्षा-विकास के संयुक्त प्रयास का परिणाम बताते हुए कहा कि यह मॉडल आगे भी अपनाया जाएगा। सरकार तथा सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों ने स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा ऑपरेशनों के साथ विकास और पुनर्वास नीतियाँ नक्सल प्रभावित इलाकों में बदलाव ला रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, हालिया सफलताएँ न केवल नक्सलियों के सामरिक क्षमताओं पर चोट हैं, बल्कि उनके जनसमर्थन और आश्रयों को भी कमजोर कर रही हैं। बावजूद इसके, सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि शेष नक्सलियों और संगठन के अवशेषों में अभी भी हिंसा और गुटबंदी की संभावनाएँ बनी हुई हैं, इसलिए सतत निगरानी और स्थानीय स्तर पर विकासात्मक पहलों की निरंतरता आवश्यक है।
केंद्र और राज्य स्तर पर यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि 31 मार्च 2026 को निर्धारित लक्ष्य केवल राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि सुरक्षा, पुनर्वास और विकास की सहचर रणनीति का प्रतिफल है। अमित शाह की चेतावनी-शैली ने पुनः यह संकेत दे दिया है कि जो नक्सली सामूहिक हिंसा जारी रखेंगे, उनके लिए कानूनी और सुरक्षात्मक कार्रवाई तय है, जबकि जो आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा को अपनाएंगे उन्हें पुनर्वास व समावेशन के अवसर दिए जाएंगे।
