नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना, जानें पूजन विधि और महत्व

आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो गया है। यह नौ दिवसीय पर्व आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना का प्रतीक है, जिसमें भक्त नौ दिनों तक देवी के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना के लिए समर्पित होता है।
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इनकी आराधना से मनोबल, आत्मबल और स्थिरता की प्राप्ति होती है। भक्तों को सांसारिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और साधक के आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त होता है।
प्रथम दिन की पूजन विधि
सुबह स्नान कर शुभ मुहूर्त में संकल्प लें।
चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर अक्षत रखें और मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
गंगाजल से अभिषेक करें।
मां को लाल वस्त्र, लाल फूल, फल और लाल चंदन अर्पित करें।
गाय के घी का दीपक जलाकर आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
गाय के घी का विशेष महत्व
पहले दिन मां शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे साधक को निरोगी काया, रोगों से मुक्ति और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
शास्त्रों के अनुसार, मां शैलपुत्री पूर्वजन्म में सती थीं, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं। भगवान शिव से विवाह के बाद, पिता द्वारा शिव के अपमान से आहत होकर सती ने योगाग्नि में अपना जीवन त्याग दिया। इसके बाद वे पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेकर शैलपुत्री के रूप में अवतरित हुईं।
पूजन मंत्र
मां शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए इस बीज मंत्र का जाप करना शुभ माना गया है:
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः।’
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करने से साधक को मानसिक शांति, शक्ति और सिद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि व्रत के नियम
शारदीय नवरात्रि व्रत के दौरान भक्तों को पांच मुख्य नियमों का पालन करना चाहिए:
सात्विक भोजन का सेवन करें।
प्रतिदिन देवी का ध्यान और आरती करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
झूठ, क्रोध और आलस्य से दूर रहें।
नियमपूर्वक व्रत और पूजन करें।
इन नियमों का पालन करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।





