मौसमी, जल जनित, डायरिया और मलेरिया से बचाव और सावधानी के लिए नागरिक जागरूक और सजग रहें- कलेक्टर जनमेजय महोबे
कलेक्टर ने मानसून में मौसमी और डायरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की बैठक लेकर अलर्ट रहते हुए उपचार करने के दिए निर्देश
कलेक्टर ने डायरिया के बचाव के संबंध में आमजन से की अपील कवर्धा । कलेक्टर जनमेजय महोबे ने मानसून में डायरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की बैठक लेकर अलर्ट रहते हुए जांच और उपचार करने के निर्देश दिए है। कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि डायरिया से बचाव और सावधानी के लिए लोगों को जागरूक करें। साथ ही लक्षण मिलने पर स्वास्थ्य जांच कराने के निर्देश दिए। उन्होंने वनांचल क्षेत्र सहित मैदानी क्षेत्रों और ग्रामीण अंचलों में डायरिया से बचाव के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के टीम को कार्य करने के निर्देश दिए है। कलेक्टर ने एसडीएम और बीएमओं को मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए है। कलेक्टर श्री महोबे ने डायरिया के बचाव के संबंध में आमजन से अपील भी की है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एल. राज ने डायरिया के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि डायरिया जिसे हम दस्त के नाम से जानतें हैं, यह रोग 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। दस्त कई दिनों तक रह सकता है और इससे शरीर में पानी और खनिज लवण की कमी हो जाती है। प्रतिदिन 3 या उससे अधिक बार पतला या तरल मल त्याग दस्त कहलाता है, बार-बार मल त्यागना दस्त नहीं है, न ही स्तनपान करने वाले शिशुओं द्वारा ढीला, चिपचिपा मल त्यागना दस्त है। दस्त आमतौर पर आंत्र पथ में संक्रमण का लक्षण है, जो विभिन्न प्रकार के जीवाणु, विषाणु और परजीवी जीवों के कारण हो सकता है। संक्रमण दूषित भोजन या पीने के पानी के माध्यम से फैलता है, या आसपास स्वच्छता ना रखने के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। उन्होंने बताया कि मानव मल से दूषित पानी, उदाहरण के लिए सीवेज, सेप्टिक टैंक और शौचालय भी यदि हमारे पेयजल स्त्रोत के निकट हों तो वे हमारे पेयजल को दूषित करतें हैं जिससे दस्त होने का खतरा बना रहता है, कुपोषित बच्चों को दस्त से सर्वाधिक खतरा होता है।
दस्त के लक्षणमल त्याग पर नियंत्रण खोना, जी मिचलाना, पेट में दर्द, मल में खून, बुखार और ठंड लगना, हल्का-हल्का सिरदर्द और चक्कर आना, उल्टी करना, भूख में परिवर्तन इसके प्रमुख लक्षण है।
दस्त के प्रकार
दस्त मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। तीव्र पानीदार दस्त-कई घंटों या दिनों तक रहता है और इसमें हैजा भी शामिल है। तीव्र खूनी दस्त-जिसे पेचिश भी कहा जाता है।लगातार दस्त-14 दिन या उससे अधिक समय तक रहता है।
बचाव के उपायसाफ पानी का सेवन करें अथवा पानी उबाल कर पीएं। ताजा खाने का सेवन करें, बासी खाने से परहेज करें। आस पास स्वच्छता बनए रखना। खाना खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोएं। नवजात शिशु को शुरू के 6 महीनों तक केवल स्तनपान कराएं। सफाई का खास ख्याल रखें। रोटावायरस टीकाकरण कराएं।
दस्त के इलाज के लिए प्रमुख उपाय ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) साफ पानी, नमक और चीनी का मिश्रण होता है।। ओआरएस छोटी आंत में अवशोषित हो जाता है और शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करता है। किसी भी को दस्त होने पर तुरंत ओ. आर. एस. और अतिरिक्त तरल पदार्थ तब तक दे जब तक दस्त रुक ना जाए। जिंक की खुराक दस्त की अवधि को 25 प्रतिशत तक कम कर देती है तथा मल की मात्रा में 30 प्रतिशत की कमी लाती है। पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करें। दस्त के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत मितानिन दीदी से संपर्क करें अथवा नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर उपचार कराएं।