दंतेवाड़ा में बाढ़ का कहर: 100 मीटर लंबा पुल बहा, बिजली-पानी ठप, सैकड़ों लोग बेघर | देखें वीडियो


दंतेवाड़ा | बस्तर संभाग का दंतेवाड़ा जिला, जो अब तक नक्सली घटनाओं और खनिज संपदा के लिए सुर्खियों में रहता था, इस बार भीषण बाढ़ की तबाही का केंद्र बना हुआ है। पिछले दिनों हुई अभूतपूर्व बारिश ने जिले में पहली बार ऐसा जल प्रलय दिखाया है, जिसने प्रशासन और आम नागरिकों को स्तब्ध कर दिया है। सबसे बड़ा नुकसान चितालंका में दंतेवाड़ा नदी पर बने करीब 100 मीटर लंबे पुल के बह जाने से हुआ है। इस पुल का निर्माण दो दशक पहले लगभग दो करोड़ रुपये की लागत से हुआ था। पुल का ढहना न केवल जिले की जीवन रेखा एनएच-63 को बाधित कर गया, बल्कि बस्तर के भीतरी इलाकों से संपर्क भी पूरी तरह टूट गया।
शहर बना जलमग्न, सरकारी दफ्तर से लेकर कॉलोनियां डूबीं
तेज़ बहाव का असर इतना व्यापक रहा कि पानी चूड़ी टिकरा वार्ड, जीएडी कॉलोनी और सुरभि कॉलोनी के घरों तक जा पहुंचा। पुलिस अधीक्षक का कार्यालय, नगर पालिका भवन, फ़िल्टर प्लांट और सर्किट हाउस जलमग्न हो गए। जिला न्यायालय और वरिष्ठ अधिकारियों के आवास तक पानी ने घेर लिया। तेज़ धार के सामने बाउंड्रीवाल और रिटेनिंग वॉल ताश के पत्तों की तरह ढह गए। सड़कों पर तीन से चार फीट पानी भर गया, जिससे शहर घंटों तक ठप रहा।
करोड़ों की लागत का पुल बहा, सड़क संपर्क पूरी तरह ठप
चितालंका पुल के साथ ही डंकनी नदी का पुराना पुल भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। गीदम-बारसूर मार्ग पर गणेश बहार नाले का पुल टूट गया। बारसूर से सातधार के बीच करीब दो किलोमीटर सड़क बह गई। नतीजतन, पूरे क्षेत्र का सड़क संपर्क बाधित है।
फ़िल्टर प्लांट का पंप हाउस डूब गया और मुख्य पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गई। परिणामस्वरूप पूरे नगर की पेयजल आपूर्ति बंद है। वहीं 11 केवी लाइन और ट्रांसफार्मर खराब होने से आंवराभाटा समेत कई क्षेत्रों में लगभग 18 घंटे तक बिजली गुल रही।
बिजली-पानी ठप, सैकड़ों परिवार बेघर होने को मजबूर
बाढ़ की तीव्रता से न केवल सरकारी ढांचा प्रभावित हुआ, बल्कि आम लोगों का जीवन भी संकट में आ गया। बिंजाम, सियानार और समलूर गांवों के लोग घर छोड़ने को मजबूर हुए। बालुद और बालपेट गांव की कई बस्तियां पूरी तरह जलमग्न रहीं।
दर्जनों मकान ध्वस्त हो गए, परिवार बेघर हो गए और लोगों को राहत शिविरों का सहारा लेना पड़ा। बाढ़ में बहकर कई टैंकर और एक पुरानी सिटी बस नदी में समा गई।
एसडीआरएफ की कड़ी मशक्कत, रस्सियों के सहारे रेस्क्यू ऑपरेशन
स्थानीय लोगों और युवाओं ने प्रशासन के साथ मिलकर बालुद पटेल पारा और कोसा पारा के 50 से ज्यादा ग्रामीणों को रस्सियों की मदद से निकालकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। अब तक जिले में 27 राहत शिविर स्थापित किए जा चुके हैं, जहां भोजन, कपड़े और दवाइयों की व्यवस्था की गई है। एसडीआरएफ और पुलिस की टीम लगातार बचाव कार्य में जुटी रही, लेकिन तेज़ बहाव और एक साथ कई जगह पानी भर जाने से अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण रहा।
मंत्री केदार कश्यप ने किया दौरा, सीएम विष्णुदेव साय ने दिए त्वरित राहत के निर्देश
बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने के लिए छत्तीसगढ़ के वन एवं पर्यावरण मंत्री केदार कश्यप दंतेवाड़ा पहुंचे। उन्होंने जीएडी कॉलोनी और सुरभि कॉलोनी का निरीक्षण किया और लोगों को पुनर्वास का भरोसा दिया।
कलेक्टर कुणाल दुदावत ने मंत्री को जानकारी दी कि नुकसान का आंकलन करने के लिए तहसीलदारों और पटवारियों की टीम सर्वे कर रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही प्रभावित परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था दी जाएगी।
वहीं, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में राहत कार्यों की गति बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा कि जनता की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी प्रभावित परिवार को असुविधा नहीं होनी चाहिए।