Ganesh Chaturthi 2024: छत्तीसगढ़ के अद्भुत गणेश मंदिरों की कहानी: ढोलकल, बारसूर और ‘भूमि फोड़’

Ganesh Chaturthi 2024: छत्तीसगढ़ के गणेश मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्वता भी अद्वितीय है। यहां के तीन प्रमुख गणेश मंदिर, ढोलकल, बारसूर और ‘भूमि फोड़’, अपनी विशेषताओं और अनूठी कहानियों के लिए मशहूर हैं।
ढोलकल गणेश मंदिर: दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पहाड़ी पर स्थित ढोलकल गणेश मंदिर 3000 फीट ऊँचाई पर एक मनमोहक स्थल है। यहां भगवान गणेश की 3 फीट ऊँची पत्थर की मूर्ति 10वीं और 11वीं सदी के बीच नागा वंश के दौरान बनाई गई थी। यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य और ट्रेकिंग के शौक़ीन लोगों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। दंतेवाड़ा से 13 किमी दूर स्थित, ढोलकल गणेश मंदिर धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
बारसूर गणेश मंदिर: छत्तीसगढ़ के बारसूर को ‘मंदिरों का शहर’ कहा जाता है। यहां का जुड़वां गणेश मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां भगवान गणेश की दो विशाल मूर्तियां स्थित हैं। एक मूर्ति की ऊंचाई सात फीट और दूसरी की पांच फीट है, और दोनों मूर्तियां एक ही चट्टान पर बिना किसी जोड़ के बनाई गई हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा बाणासुर ने अपनी पुत्री की पूजा की सुविधा के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था। इन मूर्तियों की शानदार कलाकारी और निर्माण विधि भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
‘भूमि फोड़’ गणेश मंदिर: बालोद में स्थित ‘भूमि फोड़’ गणेश मंदिर 100 वर्षों से भी पुराना है और यहां की विशेषता यह है कि भगवान गणेश की मूर्ति जमीन से प्रकट हुई है और लगातार बढ़ती जा रही है। इस प्राचीन मूर्ति को मनोकामना पूर्ति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान गणेश स्वयं जमीन फोड़कर बाहर आए और धीरे-धीरे बढ़ते गए। इस मंदिर की छत भी बढ़ते हुए गणेश के आकार के अनुसार ऊंची बनाई गई है। भक्तों का मानना है कि जो भी सच्चे मन से यहां पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।
इन मंदिरों की अद्वितीयता और उनके धार्मिक महत्व ने छत्तीसगढ़ को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल बना दिया है, जो न केवल आस्थावानों बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।