अमरकंटक से भोरमदेव तक 151 किमी की कांवड़ यात्रा पर निकलीं विधायक भावना बोहरा
अमरकंटक से भोरमदेव मंदिर तक सात दिवसीय पदयात्रा, पूजा-अर्चना के साथ हुई शुरुआत, छत्तीसगढ़ की सुख-समृद्धि और सांस्कृतिक एकता की कामना


कवर्धा। सावन मास के द्वितीय सोमवार को पंडरिया विधानसभा क्षेत्र की विधायक भावना बोहरा ने 151 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा माँ नर्मदा मंदिर, अमरकंटक से आरंभ होकर भोरमदेव मंदिर तक जाएगी। यात्रा का उद्देश्य धार्मिक आस्था के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य की सुख-समृद्धि और सांस्कृतिक एकता के लिए प्रार्थना करना है।
“जहां वाणी में शिवत्व हो, वहां मौन भी मंत्र बन जाता है”
यात्रा के शुभारंभ से पूर्व माँ नर्मदा और नर्मदेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की गई। विधायक बोहरा ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए लिखा: “जहां वाणी में शिवत्व हो, वहां मौन भी मंत्र बन जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन, पर्यावरण प्रेम और हमारी सनातन संस्कृति से जुड़ी एक महत्वपूर्ण रीति है।
विधायक ने स्वयं कांधे पर उठाई कांवड़
पूजा उपरांत विधायक बोहरा ने स्वयं कांधे पर कांवड़ उठाकर यात्रा का नेतृत्व किया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु, सहयोगी व स्थानीय नागरिक सहभागी हुए। उन्होंने कहा कि चाहे वह एक जनप्रतिनिधि हों या श्रद्धालु, उनके लिए धर्म के प्रति आस्था हर भूमिका में समान रूप से महत्वपूर्ण है। हम हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग हैं। यह हमारी आध्यात्मिक यात्रा है। विधायक होने के बावजूद, मैं भी कांवड़ यात्री के रूप में वही श्रद्धा और समर्पण लेकर चलती हूं।
छत्तीसगढ़ की समृद्धि के लिए संकल्पित यात्रा
यह यात्रा छत्तीसगढ़ के लोगों के सुख, शांति और समृद्धि के लिए की जा रही है। बोहरा ने इसे जन-कल्याण और सामाजिक सौहार्द का संकल्प बताया। उन्होंने कहा कि यह पदयात्रा न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि जीवन में आत्मसंयम, सहयोग और प्रकृति के प्रति सम्मान को भी दर्शाती है।
जन सहयोग और सांस्कृतिक चेतना
कांवड़ यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक सहभागी हो रहे हैं। भावना बोहरा ने सभी कांवड़ यात्रियों और श्रद्धालुओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह यात्रा आस्था, विश्वास और सनातन संस्कृति का प्रतीक है।
एक सप्ताह में तय होगी 151 किमी की दूरी
यह यात्रा प्रतिदिन तय अंतराल पर पड़ाव करते हुए लगभग सात दिनों में पूरी की जाएगी। मार्ग में विश्राम स्थलों, शिविरों और पूजा स्थलों की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु इस दौरान न केवल शिवभक्ति में लीन रहेंगे, बल्कि समाज में समरसता और अनुशासन का उदाहरण भी प्रस्तुत करेंगे।
