जनमंचजीवन मंत्र
मिट्टी बदलने का समय है: इस मौसम में गमलों में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जो नई मिट्टी और खाद से मिलते हैं
गमले की मिट्टी बदलें जब...

गमलों की मिट्टी बदलने का समय बरसात के बाद और फरवरी-मार्च के मध्य का माना गया है। कुछ पौधे ऐसे हैं जिनकी मिट्टी बदलने की ज़रूरत नहीं होती, जैसे कैक्टस, रबर और स्नेक प्लांट। जो पौधे धीमी गति से बढ़ते हैं उनकी मिट्टी कई सालों तक बदलने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, मिट्टी की गुणवत्ता के कारण पौधों को अधिक पोषक तत्व मिलते हैं। अगर पौधे कई महीनों से बढ़ नहीं रहे हैं या उनमें बढ़वार नज़र नहीं आ रही है तो आप पौधे की मिट्टी बदल ही दें, तो बेहतर।
- बढ़ने के मौसम में पौधों का विकास रुका हुआ दिखाई दे।
- फल या फूल न आ रहे हों।
- गमले के जल निकासी छेद से जड़ें बाहर निकली हुईं दिखाई दे रही हों।
- बड़े पौधे को पानी देने के बाद भी पौधा मुरझाया हुआ दिखाई दे रहा हो।
- मिट्टी में ज़्यादा पानी हो गया हो तब।
- मिट्टी का चुनाव भी सही हो
- पौधों की मिट्टी बदलते समय पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें। दरअसल, जब पौधा लंबे समय तक एक ही माध्यम (मिट्टी) से पोषक तत्व ग्रहण करता है, तो उस मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसके अतिरिक्त पुरानी हो चुकी मिट्टी में वायु का संचार भी ठीक तरीक़े से नहीं हो पाता है जिसके कारण मिट्टी गीली रहती है। इसलिए पौधे को दोबारा गमले में लगाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करना चाहिए।
- मिट्टी तैयार करने से पहले ध्यान रखें
- अगर मिट्टी रेतीली है तो यह पौधों की जड़ों को भरपूर हवा पहुंचाएगी। परंतु, अधिक रेतीली मिट्टी जल्दी अपनी नमी और पोषक तत्वों को खो देती है, इसलिए इसमें गोबर खाद और वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं।