स्वतंत्रता दिवस 2025: लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐलान – “भारत न्यूक्लियर धमकी से डरने वाला नहीं, खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा”; सुनिए, उन्होंने और क्या कहा


नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के 79वें वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने 12वें ध्वजारोहण के साथ इतिहास रचते हुए देश को संबोधित किया। सात दशक से अधिक समय में देश की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता, और जल अधिकारों से जुड़े अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री का यह भाषण तीखा, दृढ़ और स्पष्ट संदेश देने वाला रहा।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र – “दुश्मन को कल्पना से परे सजा”
अपने संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए भारतीय सेना के साहस और शौर्य की सराहना की। उन्होंने बताया कि पहलगाम में धर्म पूछकर निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वाले आतंकियों को सेना ने “मिट्टी में मिला दिया”।
22 जुलाई के बाद सेना को मिली खुली छूट के तहत भारतीय जवान सैकड़ों किलोमीटर दुश्मन की धरती में घुसकर आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर लौटे। “कई दशकों में ऐसा ऑपरेशन नहीं हुआ था। पाकिस्तान आज भी उस तबाही से उबर नहीं पा रहा है,” प्रधानमंत्री ने कहा।
न्यूक्लियर धमकी पर सख्त चेतावनी – “न्यू नॉर्मल स्थापित कर दिया”
प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान की ओर से बार-बार दी जाने वाली परमाणु हथियारों की धमकियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा – भारत ने तय कर लिया है कि न्यूक्लियर की धमकियों को अब सहा नहीं जाएगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल लंबे समय से चलता आया है, लेकिन अब यह नहीं चलेगा। आगे भी अगर दुश्मनों ने यह कोशिश की, तो हमारी सेना ही तय करेगी कि क्या जवाब देना है — और हम अमल में लाकर रहेंगे।
सिंधु नदी समझौते पर हमला – “खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा”
पीएम मोदी ने सिंधु जल संधि को एकतरफा और अन्यायपूर्ण करार दिया। उनका कहना था कि सात दशकों से इस समझौते ने भारतीय किसानों को अकल्पनीय नुकसान पहुंचाया है। भारत से निकलने वाली नदियों का पानी दुश्मनों के खेतों को सींच रहा है, जबकि हमारे किसान प्यासे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है। खून और पानी, एक साथ नहीं बहेगा।
आत्मनिर्भर भारत – राष्ट्र की ताकत का आधार
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत को देश के सामर्थ्य और आत्मसम्मान से जोड़ते हुए कहा कि यह केवल आयात-निर्यात या मुद्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की शक्ति और स्वाभिमान की कसौटी है।
उन्होंने याद दिलाया कि गुलामी के काल ने भारत को निर्भर बना दिया था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद किसानों और मेहनतकशों ने देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया। जब आत्मनिर्भरता खत्म होती है, तो सामर्थ्य भी क्षीण हो जाता है। आत्मनिर्भर राष्ट्र ही सम्मान के साथ जी सकता है।
रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी का असर
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं का प्रमाण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा – अगर हम आत्मनिर्भर न होते, तो ऑपरेशन सिंदूर इतनी तेज गति से संभव नहीं होता। मेड इन इंडिया हथियारों और उपकरणों के कारण सेना को दुश्मन पर तुरंत प्रहार करने में सफलता मिली।