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800 साल पुरानी परंपरा: दंतेश्वरी मंदिर में कच्चे सूत की राखी चढ़ाकर मनाया गया ‘राखी तिहार’

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दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़। बस्तर क्षेत्र की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी को कच्चे सूत से बनी राखी चढ़ाने की 800 साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए इस साल भी ‘राखी तिहार’ धूमधाम से मनाया गया। दंतेवाड़ा के प्रसिद्ध दंतेश्वरी मंदिर में यह अनूठी परंपरा हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ निभाई जाती है। मंदिर में इस राखी चढ़ाने के बाद ही जिले में रक्षाबंधन का पर्व शुरू होता है।

परंपरा के अनुसार, मंदिर के सेवादारों द्वारा इस राखी को तैयार किया जाता है। इस साल भी सेवादारों ने मंदिर परिसर में ही सूत की राखी बनाई, जिसे बाद में विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ मां दंतेश्वरी को अर्पित किया गया। इस अवसर पर महाआरती का आयोजन भी किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया।

दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर में रक्षाबंधन के अवसर पर मां दंतेश्वरी को कच्चे सूत से बनी राखी चढ़ाते हुए सेवादार और भक्त।

यह परंपरा करीब 800 साल पुरानी है और इस दौरान इसे निभाने का काम दंतेवाड़ा के कतियाररास के मादरी परिवार के सदस्य करते आ रहे हैं। इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि कई पीढ़ियों से उनके पूर्वज इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। रक्षाबंधन के समय कच्चे सूत की राखी बनाकर माता को अर्पित करने का कार्य इस परिवार की जिम्मेदारी होती है।

राखी बनाने की प्रक्रिया भी विशेष होती है। सूत से बनाई गई राखी को सबसे पहले दंतेश्वरी सरोवर में ले जाया जाता है, जहां इसे तालाब के पवित्र जल से धोया जाता है। इसके बाद विधिवत पूजन कर राखी को मां दंतेश्वरी के चरणों में अर्पित किया जाता है।

दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर में रक्षाबंधन के अवसर पर मां दंतेश्वरी को कच्चे सूत से बनी राखी चढ़ाते हुए सेवादार और भक्त।

दंतेवाड़ा और बस्तर के लोग इस परंपरा का विशेष महत्व मानते हैं। उनका मानना है कि इस परंपरा के पूरा होने के बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार सही मायने में शुरू होता है। इस साल भी जिले के गांवों से लेकर शहर तक के लोग इस अनूठी परंपरा का हिस्सा बने और माता दंतेश्वरी के आशीर्वाद से पर्व का आनंद लिया।

Ankita Sharma

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