रजिस्ट्री प्रक्रिया होगी आसान : जमीन की गाइडलाइन दर नियमों में बड़ा सुधार; मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में मंत्री ओपी चौधरी ने जारी किए नए नियम

रायपुर। संपत्ति पंजीयन और गाइडलाइन दर निर्धारण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में राज्य शासन ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में वाणिज्यिक कर मंत्री ओपी चौधरी द्वारा गाइडलाइन निर्धारण से संबंधित नए नियम जारी किए गए हैं। अब तक लागू पुराने नियमों में मौजूद जटिलताओं को दूर करते हुए 77 प्रावधानों को घटाकर केवल 14 गणना-आधारित प्रावधान रखे गए हैं।
वाणिज्यिक कर मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि “राज्य शासन की मंशा आम जनता के हित में भूमि मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया को सरल, युक्तिसंगत, पारदर्शी और तकनीक-आधारित बनाना है। नए प्रावधानों से न केवल रजिस्ट्री आसान होगी, बल्कि मानवीय विवेकाधिकार भी समाप्त होंगे।”
गाइडलाइन दरों की गणना अब होगी सरल
नए नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि मुख्य मार्ग के रूप में केवल राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग, मुख्य जिला मार्ग तथा 18 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों को ही माना जाएगा। पूर्व में इसकी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं थी, जिससे गाइडलाइन निर्धारण में भ्रम की स्थिति बनती थी।
अब भूमि के मूल्यांकन के लिए गणना प्रणाली पूरी तरह एकीकृत (Integrated) होगी। पहले नलकूप, सिंचित या दो फसली भूमि आदि के लिए अलग-अलग मूल्य जोड़े जाते थे, जिसे अब हटा दिया गया है।
सिंचित-असिंचित भूमि के मूल्य में संतुलन
पहले सिंचित और असिंचित भूमि के बीच अनुपातहीन मूल्य अंतर पाया जाता था। नए नियम के अनुसार, असिंचित भूमि का मूल्य सिंचित भूमि से 20 प्रतिशत कम रखा जाएगा। साथ ही अब मूल्यांकन इनक्रिमेंटल आधार पर होगा — यानी बड़ी जमीन का मूल्य छोटी जमीन की तुलना में स्वाभाविक रूप से अधिक रहेगा।
वाणिज्यिक और औद्योगिक इकाइयों के लिए समान दर
पहले वाणिज्यिक या औद्योगिक इकाइयों के लिए पूरे राज्य में अलग-अलग सामान्य दरें लागू थीं, जिससे विरोधाभास की स्थिति बनती थी। नए नियमों में इसे समाप्त कर दिया गया है। अब सभी इकाइयों पर एक समान गाइडलाइन दर लागू होगी।
कई पुराने प्रावधान हटाए गए
नए नियमों में नलकूप-ट्यूबवेल, बाउंड्रीवाल, फ्लिंट, गैर पारंपरिक फसल, या दो फसली भूमि पर अतिरिक्त मूल्य जोड़ने जैसे जटिल प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया है। अब कृषि, डायवर्टेड, नजूल और आबादी भूमि के लिए एक समान मूल्यांकन मानक लागू होगा।
नई कॉलोनियों के लिए अलग गाइडलाइन
शहरों में निरंतर बढ़ते नगरीकरण को देखते हुए नए नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि जब भी कोई नई कॉलोनी या परियोजना विकसित होगी, तो उसके लिए अलग से गाइडलाइन दर तय की जाएगी। इसके लिए गाइडलाइन पुनरीक्षण का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
नगर निगम से लेकर पंचायत तक एक समान प्रणाली
पहले नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत आदि के लिए अलग-अलग गणना प्रणाली लागू थी। अब सभी के लिए एकीकृत सिस्टम रहेगा। हेक्टेयर दर की सीमा 0.14 हेक्टेयर तय की गई है। साथ ही निर्मित संरचनाओं की दरें 21 से घटाकर केवल 8 रखी गई हैं।
सॉफ्टवेयर से स्वमेव लागू होंगे प्रावधान
राज्य शासन ने पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और स्वचालित बनाने पर जोर दिया है। अब सभी गाइडलाइन गणनाएं सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्वमेव लागू होंगी। इससे मानवीय हस्तक्षेप खत्म होगा और पूरे सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी।





