शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास: 18 दिन अंतरिक्ष में बिताकर सफलतापूर्वक लौटे धरती पर


नई दिल्ली। भारत के लिए गर्व का क्षण आया जब वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिन के ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन को पूरा कर सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए। एक्सिओम स्पेस और SpaceX के सहयोग से संपन्न Axiom-4 मिशन के तहत उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया।
फ्लोरिडा से उड़ान, ISS तक 28 घंटे की यात्रा
25 जून 2025 को, शुभांशु शुक्ला ने फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से Falcon 9 रॉकेट में सवार होकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। 28 घंटे की रोमांचक यात्रा के बाद उनकी टीम अंतरिक्ष स्टेशन पहुंची, जहां उन्होंने 18 दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर और जैविक प्रक्रियाओं पर आधारित कई वैज्ञानिक प्रयोग किए।
मिशन दल में कौन-कौन थे?
Axiom-4 मिशन में शुभांशु शुक्ला के साथ अमेरिकी अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिट्सन, पोलैंड के वैज्ञानिक स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की, और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू भी शामिल थे। यह चार सदस्यीय दल पूरी तरह प्रशिक्षित और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए समर्पित था।
सुरक्षित वापसी: 22.5 घंटे की यात्रा के बाद लौटे
14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे, उनका अंतरिक्ष यान ड्रैगन ‘ग्रेस’ ISS से अलग हुआ। इसके बाद लगभग 22.5 घंटे की वापसी यात्रा के पश्चात, यान कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में मंगलवार दोपहर 3 बजे सुरक्षित उतर गया।
क्यों खास है यह मिशन भारत के लिए?
शुभांशु शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बने हैं।
उन्होंने मिशन के दौरान स्पेस फिजियोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, और स्पेस फार्मिंग जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान किया।
यह मिशन भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान में नई पहचान दिलाने वाला कदम माना जा रहा है।
अंतरिक्ष में क्या-क्या हुआ?
दल ने कोशिकाओं के व्यवहार, मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव, और स्पेस फार्मिंग पर आधारित प्रयोग किए। इन प्रयोगों से पृथ्वी पर चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाएं खुल सकती हैं, साथ ही भविष्य के चंद्रमा और मंगल अभियानों को दिशा मिलेगी।