समूह बनाकर करें मछली पालन, आर्थिक स्थिति सुधारें
ट्रेनिंग . तालाब की मिट्टी व पानी के सही रखरखाव से उत्पादन बढ़ाने के टिप्स दिए

तालाब का समुचित प्रबंधन करें। उचित समय पर मछली बीज डालें। भोजन का चयन, तालाब की मिट्टी और पानी के सही रख-रखाव के साथ मछली उत्पादन की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। यह जानकारी पुरी (ओडिशा) स्थित आईसीएआर के वैज्ञानिक डॉ. राजेश प्रधान ने दी। मौका था, कवर्धा स्थित पुनाराम निषाद फिशरीज कॉलेज में 3 दिवसीय वैज्ञानिक मछली पालन प्रशिक्षण का।
प्रशिक्षण में ग्राम सेवाईकछार, बरहट्टी, छिरहा के अनुसूचित जाति के 30 किसानों ने हिस्सा लिया। सहायक प्राध्यापक डॉ. एन. सारंग ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण से प्राप्त जानकारी को उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहित किया। सहायक प्राध्यापक डॉ. पबित्र बारीक ने वैज्ञानिक मछली पालन में आधुनिक प्रगति व महत्व के विषय पर जानकरी दी। डॉ. बी नाइटिंगल देवी ने गांव के सामुदायिक तालाब का उपयोग समूह बनाकर मछली पालन से आय दोगुनी कर आर्थिक स्थिति सुधारने संबंधी जानकारी दी। सहायक प्राध्यापक डॉ. कमलेश पण्डा ने मछली उत्पादन को बढ़ाने व मछली बीमारी के प्रबंधन के लिए तालाब का जल और मिट्टी प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया।
बतख व मछली पालन के बारे में बताया : प्रशिक्षण के दूसरे दिन सभी प्रशिक्षण ले रहे किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र नेवारी (कवर्धा) का भ्रमण कराया गया। इसमें उन्हें समन्वित खेती में बतख साथ में मछली पालन, मशरूम उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट, प्राकृतिक खेती, मुर्गी पालन के बारे में जानकारी दी गई।