GST चोरी का बड़ा खुलासा: 1.64 करोड़ नकद और 400 ग्राम सोना जब्त, 172 बोगस फर्मों का सिंडिकेट बेनकाब


रायपुर। छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी के मामले में राज्य कर विभाग ने बड़ा खुलासा किया है। विभाग की बीआईयू (बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट) टीम ने जीएसटी एनालिटिक्स, इंटेलिजेंस नेटवर्क और जीएसटी प्राइम पोर्टल की मदद से बोगस फर्मों और फर्जी बिल तैयार करने वाले सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड मोहम्मद फरहान सोरठिया बताया जा रहा है, जो कर सलाहकार के रूप में कार्य करता था।
करोड़ों के राजस्व नुकसान की आशंका
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि केवल 26 फर्जी फर्मों के जरिए 822 करोड़ रुपये का ई-वे बिल जनरेट किया गया, जबकि रिटर्न में महज 106 करोड़ रुपये का टर्नओवर ही दर्ज किया गया। इससे राज्य सरकार को लगभग 100 करोड़ रुपये के जीएसटी राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है।
मास्टरमाइंड के ऑफिस से अहम दस्तावेज बरामद
राज्य कर विभाग की टीम पिछले एक माह से इस प्रकरण पर काम कर रही थी। 12 सितंबर को फरहान सोरठिया के ऑफिस में जांच की गई, जहां से 172 फर्मों की जानकारी मिली। फरहान ने अपने पांच स्टाफ को फर्मों का पंजीयन कराने, रिटर्न फाइल करने और ई-वे बिल तैयार करने का काम सौंपा था। जांच में यह भी सामने आया कि बोगस पंजीयन के लिए किरायानामा, सहमति पत्र और शपथपत्र जैसे फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते थे।
चाचा के घर से मिला नकद और सोना
17 सितंबर को फरहान के चाचा मोहम्मद अब्दुल लतीफ सोरठिया के घर पर छापेमारी की गई। यहां से अधिकारियों को 1.64 करोड़ रुपये नकद और 400 ग्राम सोने के चार बिस्किट मिले, जिन्हें जब्त कर आयकर विभाग को सूचित किया गया।
कई राज्यों में फैला नेटवर्क
जांच में यह भी पता चला है कि इस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ के अलावा पंजाब, असम, मणिपुर और ओडिशा में भी फर्जी पंजीयन लिया था। इन फर्मों के माध्यम से बोगस सप्लाई बिल और ई-वे बिल जारी किए जा रहे थे।
और भी कंपनियाँ जांच के घेरे में
विभाग को संदेह है कि इस सिंडिकेट से जुड़े कई ब्रोकर, स्क्रैप डीलर और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने वाली कंपनियां भी फर्जीवाड़े में शामिल हो सकती हैं। फिलहाल राज्य कर विभाग मामले की गहन जांच कर रहा है और आगे की विधिक कार्रवाई जारी है।
