
छत्तीसगढ़–आंध्र प्रदेश सीमा पर सोमवार देर रात सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली। कुख्यात नक्सली कमांडर, पीएलजीए बटालियन नंबर-1 के मुखिया और केंद्रीय समिति के सदस्य माडवी हिडमा को एक मुठभेड़ में मार गिराया गया। हिडमा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का सहित कुल छह नक्सली ढेर हुए हैं। यह कार्रवाई आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेदुमिल्ली क्षेत्र में ग्रेहाउंड बलों द्वारा संचालित सर्च ऑपरेशन के दौरान हुई।
गुप्त सूचना पर चला ऑपरेशन
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों को बीते दिनों सूचना मिली थी कि नक्सली शीर्ष नेतृत्व सीमावर्ती जंगलों में मूवमेंट कर रहा है। इसी के आधार पर ग्रेहाउंड जवानों ने बड़े पैमाने पर सर्चिंग शुरू की। सोमवार सुबह लगभग छह बजे जवानों की नक्सलियों से मुठभेड़ हुई, जो करीब एक घंटे तक चली। मुठभेड़ में हिडमा, उसकी पत्नी और अन्य वरिष्ठ कैडर के सदस्य मारे गए। चार शवों की पहचान हो चुकी है, जिनमें हिडमा (CCM), राजे (DVCM), चेल्लूरी नारायणा (SZCM) और टेक शंकर शामिल हैं।
26 बड़े हमलों का था मास्टरमाइंड
43 वर्षीय माडवी हिडमा बस्तर क्षेत्र में दहशत का पर्याय माना जाता था। वह 2013 के झीरम घाटी नरसंहार, 2010 के दंतेवाड़ा हमले और 2021 के सुकमा–बीजापुर हमले सहित कम से कम 26 बड़े नक्सली हमलों का प्रमुख साजिशकर्ता था। हिडमा को पीएलजीए की सबसे घातक बटालियन का कमांडर माना जाता था और उसकी प्रत्यक्ष कमान के कारण बस्तर में सुरक्षा बलों को वर्षों तक गहरी चुनौती का सामना करना पड़ा।
एक करोड़ से अधिक का इनाम, संगठन में उच्च स्तर की भूमिका
छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित कई राज्यों ने हिडमा पर एक करोड़ रुपये से अधिक का इनाम घोषित कर रखा था। CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति में वह सबसे कम उम्र का सदस्य था और बस्तर का अकेला आदिवासी प्रतिनिधि भी। बसवराजू की मौत के बाद संगठन ने हिडमा को और अधिक अधिकार देते हुए उसे केंद्रीय समिति की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी।
मुठभेड़ के बाद इलाके में गहन सर्चिंग
मुठभेड़ के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे जंगल क्षेत्र में कॉम्बिंग ऑपरेशन तेज कर दिया है। आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश कुमार गुप्ता ने पुष्टि की कि मारेदुमिल्ली क्षेत्र में हुई इस मुठभेड़ में एक टॉप माओवादी नेता सहित छह नक्सली ढेर हुए हैं और ऑपरेशन अभी भी जारी है।
बस्तर के लिए सबसे बड़ी सफलता
हिडमा की मौत को सुरक्षा एजेंसियां बस्तर में नक्सली नेटवर्क पर अब तक का सबसे बड़ा प्रहार मान रही हैं। वर्षों से फरार और जंगलों के भीतर गहरी पकड़ रखने वाले इस कमांडर का अंत होना सुरक्षा बलों के लिए एक निर्णायक उपलब्धि माना जा रहा है, जो भविष्य में नक्सली गतिविधियों को कमजोर करने में सहायक साबित हो सकती है।





