संसद सत्र के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, देश के पहले कार्यरत उपराष्ट्रपति जिन्होंने सत्र के दौरान छोड़ा पद
स्वास्थ्य कारणों का हवाला, राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित


नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति को सौंपा। अपने पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत के लोकतंत्र की सेवा करना उनके जीवन का गौरवपूर्ण अनुभव रहा है।
धनखड़, संसद के चालू मानसून सत्र के दौरान इस्तीफा देने वाले देश के पहले उपराष्ट्रपति बन गए हैं। वह कार्यकाल के बीच इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं, लेकिन ऐसा कदम संसद सत्र के दौरान पहली बार देखने को मिला है।
संसद सत्र में विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही स्थगित
इस्तीफे की खबर ऐसे समय पर सामने आई जब संसद के मानसून सत्र का दूसरा दिन था। मंगलवार सुबह जैसे ही लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री से जवाब की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया।
हंगामे के चलते पहले दोनों सदनों को दोपहर 12 बजे तक स्थगित किया गया। कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही प्रदर्शन और नारेबाजी तेज हो गई, जिसके बाद संसद को 2 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष का सड़क से संसद तक प्रदर्शन
इसी बीच विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के सांसदों ने बिहार वोटर लिस्ट SIR मुद्दे को लेकर मकर द्वार के बाहर प्रदर्शन किया। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, और अन्य दलों के कई सांसद शामिल हुए।
धनखड़ का राजनीतिक और संवैधानिक सफर
18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू में जन्मे जगदीप धनखड़ एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। फिजिक्स में B.Sc और फिर LLB करने के बाद वे वकालत में सक्रिय हुए। वे राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और राजस्थान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बने।
धनखड़ ने 1989 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया और चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने। बाद में कांग्रेस और फिर 2003 में बीजेपी से जुड़कर विधायक बने।
2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए वे राज्य सरकार से कई बार आमने-सामने आए। 2022 में वे NDA की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने और भारी मतों से चुनाव जीतकर देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने।
इस्तीफे का संदेश: सेवा, सम्मान और प्रतिबद्धता
अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने लिखा:”भारत के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल मेरे लिए गौरव और सीख से भरा रहा। आज जब मैं यह पद छोड़ रहा हूं, तब भी भारत के उज्ज्वल भविष्य में मेरा पूर्ण विश्वास है।”
क्या होगा अगला कदम?
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद अब राज्यसभा का सभापति पद रिक्त हो गया है। वर्तमान में कार्यवाही उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह द्वारा संचालित की जा रही है। जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।