अपराध (जुर्म)कबीरधाम (कवर्धा)कवर्धाछत्तीसगढ़

गृहमंत्री बोले- साधराम की हत्या विचारों से की गई:विजय शर्मा ने कहा- ये बिरनपुर की घटना से बिल्कुल अलग; NIA कर सकती है जांच

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि साधराम की हत्या हथियार से नहीं बल्कि विचारों से की गई है। ये बिरनपुर की घटना से और अलग घटना है। जरूरत पड़ने पर इसकी जांच एनआईए से भी कराई जा सकती है। मामले में UAPA लगा है, और लोगों के कश्मीर से आने-जाने का लिंक भी मिला है। डिप्टी सीएम ने ये बात विधानसभा में कही है।

प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने जो कहा, उससे इशारा मिल रहा है कि ये केस जल्द ही NIA को सौंपा जा सकता है। क्योंकि जिस तरह के केस की जांच NIA करती है कुछ-कुछ वैसे अपडेट इस केस में मिले हैं। मामला आतंकियों से कनेक्शन का भी बताया जा रहा है।

कवर्धा में इस घटना से फैला था तनाव।
कवर्धा में इस घटना से फैला था तनाव।

क्या था पूरा मामला ?

दरअसल, कवर्धा से लगे लालपुर गांव में मवेशी चरवाहा साधराम यादव की 20 जनवरी की रात गला रेत कर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के 1 नाबालिग समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेजा। घटना के बाद शहर में तनाव का माहौल बना था।

परिवार ने लौटाया 5 लाख का चेक

बता दें कि इस वारदात के बाद विहिप और बजरंग ने कवर्धा बंद और चक्काजाम कर दोषियों को फांसी की सजा की मांग की। लगातार विरोध प्रदर्शन किया गया। वहीं मृतक के परिवार ने शासन से मिले 5 लाख का चेक लौटा दिया था। फांसी की मांग की थी।

क्या है UAPA कानून ?

UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) की धारा-16 आतंकी गतिविधि को परिभाषित करती है। इसमें आतंकी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए सजा का प्रावधान है। इसमें उम्रकैद तक हो सकती है। वहीं, UAPA की धारा 18 के तहत आतंकी घटना के षड्यंत्र को परिभाषित किया गया है।

UAPA की धारा 16 में आतंकी कृत्य के लिए सजा

अगर ऐसे कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और जुर्माना किसी अन्य मामले में कारावास की सजा होगी, जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम नहीं होगी। उसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

आरोपियों के अवैध कब्जे पर चला बुलडोजर।
आरोपियों के अवैध कब्जे पर चला बुलडोजर।

क्यों लगाया गया UAPA कानून

UAPA कानून को आतंकी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए 1967 में लाया गया था। इस कानून के तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जो आतंकी गतिविधियों में संदिग्ध होते हैं। UAPA कानून राष्ट्रीय जांच एजेंसी को संदिग्ध या फिर आरोपी की संपत्ति जब्त या फिर कुर्क करने का अधिकार देता है।

UAPA कानून संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत मौलिक अधिकारों पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के इरादे से पेश किया गया था। UAPA का मकसद देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को अधिकार देना है।

बिरनपुर कांड की CBI से जांच का ऐलान

छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में बिरनपुर हिंसा की CBI जांच कराने की घोषणा कर दी है। डिप्टी CM ने कहा कि, इस प्रकरण में सेक्शन 173 CRPC के तहत विवेचना जारी है। 40 लोगों के नाम दिए गए थे, उसमें 12 लोग के नाम FIR में थे। आगे भी करवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि, भागीरथी साहू की शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध किया गया है।

Ankita Sharma

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