छत्तीसगढ़

हिसाब-किताब : कोविड के दौरान खर्च किए 14 करोड़ का हिसाब नहीं दे पाए , भुगतान करने वाले के नाम और पते भी पूछे

केंद्र कोरोना के दौर में श्रमिकों के परिवहन के नाम पर खर्च हुए 14 करोड़ हिसाब मांग रहा है तो राज्य अभी भी इसका भुगतान कर रहा है। बिलासपुर के अधिकारियों की मांग पर शासन ने इसके एवज में 84 लाख रुपए मंजूर कर दिए हैं। साथ ही अफसरों से जिन्हें भुगतान किया जाना है उनके नाम, पते और राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा गया है। इस तरह पिछले तीन सालों से पैसों का भुगतान जारी है। ये पैसे भी पीएम केयर्स फंड से ही जारी किए गए हैं।

28 जनवरी को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की सेक्रेटरी नीलम नामदेव एक्का ने रुपयों के भुगतान करने की जानकारी भेजी है। छत्तीसगढ़ को कोरोना की दूसरी लहर में केंद्र से 14 करोड़ रुपए मिले थे। दूसरे राज्य में फंसे लोगों को यहां लाने और उन्हें घर पहुंचाने के लिए ही आठ करोड़ तो सिर्फ परिवहन के नाम पर खर्च किए गए हैं, जबकि क्वारंटाइन सेटरों में लोगों के रहने और खाने का खर्च छह करोड़ के करीब रहा।

हैरानी की बात है कि राज्य के सात जिलों के क्वारंटाइन सेंटर में एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया, लेकिन यहां भी परिवहन के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। भारत सरकार ने अब राज्य के सभी कलेक्टरों से उनके यहां खर्च हुए पैसों का ब्यौरा मांगा।

बिलासपुर में 75 लाख रुपए खर्च किए गए
पीएम केयर फंड के तहत खर्च का आंकड़ा बता रहा है कि परिवहन के नाम पर सबसे ज्यादा सुकमा में 96 लाख रुपए लगे हैं। जबकि क्वारंटाइन सेंटर में सिर्फ 12 लाख का खर्चा है। बिलासपुर में परिवहन के नाम पर 75 लाख तो रहने खाने के नाम पर 64 लाख रुपए खर्च किए गए है। इसके अलावा रायपुर में परिवहन के नाम पर सिर्फ 16 और लोगों के रहने के नाम पर चार लाख खर्च किए गए हैं।

7 जिलों के सेंटरों में शून्य खर्च, एक करोड़ तीस लाख लुटाए
राज्य के धमतरी, दंतेवाड़ा, राजनांदगांव, कबीरधाम, गौरेला पेंड्रा मरवाही, कोंडागांव, कांकेर और मुंगेली में दूसरे राज्य से लाए गए लोगों को क्वारंटाइन सेंटरों में रखने और खाने पीने का खर्च शून्य है, लेकिन सिर्फ परिवहन में डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किया गया है। राजनांदगांव में परिवहन पर 55 लाख, जीपीएम में 48 लाख और कोंडागांव में 36 तो कांकेर में 11 लाख रुपए खर्च हुए हैं।

News Desk

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