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ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पर रोक नहीं:इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज; 31 जनवरी को पूजा शुरू हुई थी

ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास तहखाने में 31 जनवरी की रात पूजा शुरू हुई थी।

वाराणसी के ज्ञानवापी तहखाने (व्यास तहखाना) में हिंदुओं के पूजा-पाठ पर रोक लगाने से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार 26 फरवरी को इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की पूजा के खिलाफ लगी याचिका खारिज कर दी है।

वाराणसी जिला कोर्ट ने 31 जनवरी को तहखाने में व्यास परिवार को पूजा करने का अधिकार दिया था। इसी दिन (31 जनवरी) रात में तहखाने में पूजा शुरू हुई।

हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि तहखाना लंबे समय से हमारे अधिकार क्षेत्र में रहा है। यह ज्ञानवापी का हिस्सा है और उसमें DM समेत प्रशासन ने जल्दबाजी में पूजा शुरू करा दी, जबकि इसके लिए समय था। पूजा तुरंत रोकनी चाहिए।

फैसला पढ़ते वक्त कोर्ट के तीन कमेंट

  • राज्य सरकार 1993 से ही व्यास परिवार और श्रद्धालुओं को पूजा करने से रोकती आई है। राज्य सरकार ने लगातार गलत किया है।
  • तहखाने में पूजा-पाठ को रोकना श्रद्धालुओं के हित के खिलाफ होगा।
  • सरकार ने 1993 में व्यास तहखाने में पूजा-पाठ रोक दिया। सरकार का यह कदम अवैध था।
31 जनवरी को वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद इसी दिन रात में व्यास तहखाने में पूजा हुई।
31 जनवरी को वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद इसी दिन रात में व्यास तहखाने में पूजा हुई।

ज्ञानवापी के सर्वे में ASI को क्या मिला था

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31 साल बाद 31 जनवरी की रात खुला था व्यास तहखाना
वाराणसी कोर्ट ने 31 जनवरी को व्यास परिवार को व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार दिया था। कोर्ट के आदेश के करीब 8 घंटे बाद, यानी रात 11 बजे ही तहखाने में स्थापित विग्रह (प्रतिमा) की पूजा की गई। 3:30 बजे मंगला आरती हुई। इसके बाद सुबह से बड़ी संख्या में भक्त व्यास तहखाने में दर्शन करने पहुंचे। हालांकि, उन्होंने बैरिकैडिंग से 20 फीट दूर से दर्शन किए। तहखाने में जाने का अधिकार सिर्फ व्यास परिवार को है।

मुस्लिम पक्ष ने 31 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल याचिका दाखिल करते हुए पूजा पर रोक की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए मुस्लिम पक्ष को पहले हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया था।

अंजुमन इंतजामिया (मुस्लिम पक्ष) के वकील मुमताज अहमद ने कहा था कि व्यास तहखाना मस्जिद का पार्ट है। यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इसलिए पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती।

तहखाने में 1993 से पूजा-पाठ बंद था। 31 साल बाद 31 जनवरी 2024 को यहां पूजा-पाठ शुरू हुई। वाराणसी कोर्ट के आदेश में कहा गया कि व्यास परिवार ब्रिटिश काल से तहखाने में पूजा करता रहा है। ​​​​​​व्यास परिवार के शैलेंद्र कुमार व्यास ने ही पूजा के लिए याचिका लगाई थी। कोर्ट के आदेश में तहखाने में पूजा-पाठ करने की अनुमति सिर्फ व्यास परिवार के लिए है।

ज्ञानवापी मस्जिद जिसके निचले हिस्से में व्यास तहखाने में पूजा-पाठ को लेकर आपत्ति जताई गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद जिसके निचले हिस्से में व्यास तहखाने में पूजा-पाठ को लेकर आपत्ति जताई गई है।

17 जनवरी को तहखाने का जिम्मा DM को सौंपा गया
इसके पहले कोर्ट ने 17 जनवरी को तहखाने का जिम्मा DM को सौंप दिया था। कोर्ट के आदेश पर DM ने मुस्लिम पक्ष से तहखाने की चाबी ले ली थी। DM की मौजूदगी में 7 दिन बाद यानी 24 जनवरी को तहखाने का ताला खोला गया था।

ज्ञानवापी तहखाने के सामने कॉरिडोर परिसर में नंदी जी विराजमान हैं।
ज्ञानवापी तहखाने के सामने कॉरिडोर परिसर में नंदी जी विराजमान हैं।
व्यास तहखाना में भगवान शिव, हनुमान जी गणेश जी समेत कुल पांच विग्रहों की पूजा होती है।
व्यास तहखाना में भगवान शिव, हनुमान जी गणेश जी समेत कुल पांच विग्रहों की पूजा होती है।

25 जनवरी को ASI सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई थी
ज्ञानवापी की ASI सर्वे की रिपोर्ट 25 जनवरी को देर रात सार्वजनिक हुई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, परिसर के अंदर भगवान विष्णु, गणेश और शिवलिंग की मूर्ति मिली हैं। पूरे परिसर को मंदिर के स्ट्रक्चर पर खड़ा बताते हुए 34 साक्ष्य का जिक्र किया गया है। मस्जिद परिसर के अंदर ‘महामुक्ति मंडप’ नाम का एक शिलापट भी मिला है।

ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था, उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। मूलरूप को प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया।

क्या है ज्ञानवापी मामला और इससे जुड़ा विवाद, दैनिक भास्कर ने स्पेशल सीरीज चलाई थी, इसे पढ़ने के लिए इन तीन खबरों से गुजर जाइए…

ज्ञानवापी मेगा स्टोरी एपिसोड-1:मुस्लिम शासकों ने 3 बार विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त किया, क्या वहीं बनी मस्जिद; 1000 साल की कहानी

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काशी विश्वनाथ मंदिर में सालों से जिस ओर नंदी निहार रहे हैं, उधर 31 जनवरी को हजारों नजरें टिकी थीं। 1993 में बैरिकेडिंग करके जिस व्यास तहखाने में पूजा रोक दी गई थी, 31 साल बाद वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद वहां फिर से पूजा शुरू हुई। तभी से काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद फिर सुर्खियों में है। 3 एपिसोड की स्पेशल सीरीज ‘ज्ञानवापी मेगा स्टोरी’ में इस विवाद का इतिहास, कानूनी पहलू और फ्यूचर सिनेरियो जानेंगे। पहले एपिसोड में आज इस विवाद के 1 हजार सालों की कहानी, अलग-अलग साक्ष्यों और इतिहासकारों के हवाले से

नवापी मेगा स्टोरी एपिसोड-2:अंग्रेजों ने नमाज से रोका तो मुसलमानों ने हमला कर दिया; 1936 से अब तक ज्ञानवापी की कानूनी लड़ाई

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Ankita Sharma

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