नवरात्रि घटस्थापना और व्रत के लिए जरूरी चीजें:रविवार से शुरू होगी दुर्गा पूजा, 6 तरह से किया जा सकता है उपवास 3 घंटे पहले


15 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन है। देवी पूजा का नौ दिवसीय पर्व 23 अक्टूबर तक चलेगा। पौराणिक कथाओं के मुताबिक आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध शुरू हुआ था। नौवें दिन यानी नवमी तिथि पर देवी मां ने महिषासुर का वध कर दिया था। इसी कथा की वजह से देवी पूजा का महापर्व नौ दिनों तक चलता है। इन नौ दिनों में देवी मां के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है।
अगर आप नवरात्रि में घट स्थापना और व्रत करना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ खास तैयारियां पहले कर लें। जानिए नवरात्रि में घट स्थापना और व्रत से जुड़ी कौन-कौन सी तैयारियां करनी चाहिए, कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए…

सवाल – नवरात्रि में व्रत करने के अलग-अलग तरीके कौन से हैं?
जवाब – वैसे तो व्रत और साधनाओं के लिए कई तरह की विधियां हैं लेकिन इन 6 तरीकों से सबसे ज्यादा नवरात्रि के उपवास किए जाते हैं।
- नवरात्रि में अधिकतर लोग निराहार और निर्जला यानी भूखे-प्यासे रहकर व्रत करते हैं।
- अन्न छोड़कर फलाहार, दूध, फलों का रस पीकर भी व्रत किया जाता है।
- कुछ लोग नौ दिनों तक नमक छोड़ देते हैं, यानी बिना नमक का खाना खाते हैं।
- कुछ लोग एक समय खाना खाते हैं।
- नौ दिनों तक मौन रहकर भी व्रत किया जाता है।
- नवरात्रि में जूते-चप्पल छोड़कर भक्ति की जाती है, व्रत करने का ये भी एक तरीका है।
सवाल – किन लोगों को व्रत नहीं करना चाहिए?
जवाब – जिन लोगों को बीमारियां हैं और खाने के बाद दवाइयां लेनी होती हैं, उन्हें व्रत करने से बचना चाहिए। बीमारियां जैसे- डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, थायराइड, गैस, एसिडिटी, अपच, सिरदर्द, कमजोरी, खून की कमी आदि।
जिन लोगों को रात में देर तक जागना होता है या दिनचर्या अनियमित होती है, उन्हें भी व्रत करने से बचना चाहिए।
सवाल – नवरात्रि में व्रत करते हैं तो सेहत का ध्यान कैसे रखें?
जवाब – जिन लोगों को कोई गंभीर बीमारी है, उन्हें व्रत-उपवास करने से बचना चाहिए। अगर कोई सामान्य बीमारी है, तब अपने डॉक्टर से पूछकर ही व्रत करें।
जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें भी सेहत का ध्यान रखते हुए व्रत करना चाहिए। अन्न छोड़कर व्रत करने वाले लोगों को फल, फलों के रस का सेवन करते रहना चाहिए। व्रत के दिनों में नारियल पानी पीएंगे तो बहुत अच्छा रहेगा।
दिनभर में 3-4 लीटर पानी पीते रहें। इसके अलावा दूध भी लें। ग्रीन टी, लेमन टी भी ले सकते हैं। ज्यादा देर तक भूखे-प्यासे रहने से बचें। थोड़ी-थोड़ी में कुछ न कुछ खाते-पीते रहें। काजू-बादाम, अखरोट, अंजीर जैसे ड्रायफ्रूट्स थोड़े-थोड़े खा सकते हैं।
सवाल – नवरात्रि कब-कब आती है?
जवाब- हिन्दी पंचांग के मुताबिक साल में कुल चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन, माघ महीने में ऋतुओं के संधिकाल के समय नवरात्रि आती है। माघ और आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि आती हैं। इनमें तंत्र-मंत्र से जुड़ी साधनाएं की जाती हैं। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि सामान्य रहती है। इन दिनों में सभी लोग देवी पूजा करते हैं। चैत्र नवरात्रि मार्च-अप्रैल में आती है। आषाढ़ की जून-जुलाई में, आश्विन की सितंबर-अक्टूबर में और माघ की नवरात्रि दिसंबर-जनवरी में आती है।
ऋतुओं का संधिकाल यानी जब एक ऋतु खत्म होती हैं और दूसरी ऋतु शुरू होती है। जैसे माघ नवरात्रि के समय शीत ऋतु खत्म होती है और बसंत ऋतु शुरू है। चैत्र नवरात्रि बसंत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल में आती है। आषाढ़ में गर्मी और वर्षा का संधिकाल होता है। आश्विन नवरात्रि वर्षा और शीत ऋतु के संधिकाल में आती है।
सवाल- व्रत करने से सेहत को क्या लाभ मिलता है?
जवाब – नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल में आती है यानी एक ऋतु खत्म होती है और दूसरी ऋतु शुरू होती है। अभी वर्षा ऋतु खत्म हुई है और शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे समय में मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। इन दिनों में खान-पान और जीवन शैली में बदलाव करने से सेहत ठीक रहती है।
सीजन चेंज के दिनों में व्रत करने से खान-पान को लेकर सतर्क रहते हैं। अन्न और तेल-मसाला नहीं खाते हैं तो हमारे पाचन तंत्र को खाना पचाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। गैस, अपच जैसी पेट से जुड़ी बीमारियां ठीक हो सकती हैं।
आयुर्वेद में बीमारियों को ठीक करने की एक विधि है लंघन। इस विधि में निराहार रहकर बीमारियां ठीक की जा सकती हैं। व्रत के दिनों में फलों का सेवन करने से जरूरी ऊर्जा मिलती है।