अनमोल मिसाल: नेत्रदान कर कवर्धा की संगीता जैन ने मृत्यु के बाद भी बांटी रोशनी, बनीं मानवता की प्रतीक
कलेक्टर गोपाल वर्मा ने कहा - संगीता जैन का निर्णय समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत

कवर्धा। कबीरधाम जिले में वर्षों बाद नेत्रदान की एक उल्लेखनीय मिसाल पेश की गई है, जिसने सेवा, संवेदनशीलता और जागरूकता का नया अध्याय रच दिया है। जिले की 56 वर्षीय स्वर्गीय संगीता जैन ने मृत्यु उपरांत नेत्रदान कर हजारों लोगों को इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित किया है।
इस प्रेरणादायक कार्य के लिए जिले के कलेक्टर गोपाल वर्मा ने स्वर्गीय संगीता जैन के परिवार को सम्मानित करते हुए कहा, यह निर्णय समाज के लिए अनुकरणीय है। यह कार्य अनेक दृष्टिहीनों के जीवन में रोशनी लाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
नेत्रदान प्रक्रिया में संगीता जैन के पति समाजसेवी महावीर खातेड, पुत्र गौरव खातेड, रौनक खातेड और पुत्री प्रेक्षा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने इस निर्णय को सहयोग देकर समाज के प्रति एक सशक्त संदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस कार्य में त्वरित सहयोग प्रदान किया।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. क्षमा चोपड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि मृत्यु के छह घंटे के भीतर नेत्रदान संभव होता है। यह प्रक्रिया मात्र 15-20 मिनट में पूरी की जाती है और इससे न तो चेहरे की संरचना बिगड़ती है और न ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कोई बाधा आती है। कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो, नेत्रदान कर सकता है। डॉ. चोपड़ा ने यह भी स्पष्ट किया कि नेत्रदान से जुड़ी कई भ्रांतियाँ निराधार हैं, और यदि अधिक लोग इस दिशा में जागरूक हों तो लाखों दृष्टिहीन लोगों को रोशनी मिल सकती है।
स्वर्गीय संगीता जैन का यह निर्णय न सिर्फ कबीरधाम जिले बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरक उदाहरण बन गया है। उनका जीवन और उनका यह अंतिम दान समाज को यह सिखाता है कि मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन में उजाला लाया जा सकता है।