नहीं बनेगा टाइगर रिजर्व: भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र के 39 गांवों को कराना पड़ता खाली
कबीरधाम जिले के भोरमदेव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व नहीं बनेगा। भोरमदेव अभयारण्य मामले से जुड़ी जनहित याचिका को बिलासपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने बीजेपी शासन काल में इस निर्णय का विरोध किया था। अब कांग्रेस सरकार के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला आया है।
भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। यह याचिका वन्यजीव बोर्ड द्वारा टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने के निर्णय को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से रखा, जिसमें कहा गया कि भोरमदेव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व घोषित करने से स्थानीय आदिवासियों के विकास पर विपरीत असर पड़ेगा।
साथ ही उन्हें विस्थापित कर दूसरे स्थान पर बसाना होगा। इस पर हाईकोर्ट ने अभयारण्य में टाइगर रिजर्व नहीं बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया है। छत्तीसगढ़ में तत्कालीन भाजपा सरकार ने 23 मई 2017 को राज्य वन्यजीव बोर्ड की 9वीं बैठक में भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की स्वीकृति दी थी। 14 नवंबर 2017 को 10वीं बैठक में अभयारण्य को टागर रिजर्व घोषित करने की अनुशंसा की गई थी।
39 गांवों में करीब 18 हजार आदिवासी रह रहे भोरमदेव अभयारण्य की घोषणा करने से 39 गांव को खाली कराना पड़ता। इन गांवों में 17566 आदिवासी रहते हैं। इनमें बैगा- आदिवासी समुदाय के लोग ज्यादा हैं। इन आदिवासियों को विस्थापित करने से प्राचीन संस्कृति और वनों के साथ उनसे जुड़ी आस्था को ठेंस पहुंचती। कांग्रेस ने तत्कालीन बीजेपी सरकार के इस फैसले का विरोध उस वक्त भी किया था। अब कांग्रेस सरकार के निर्णय पर हाईकोर्ट ने मुहर लगा दी है।