वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के 10 साल: पूर्व सैनिकों के प्रति देश की कृतज्ञता का प्रतीक – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना की 10वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक कदम को पूर्व सैनिकों के साहस और बलिदान के प्रति देश की कृतज्ञता का प्रतीक बताया। इस योजना के तहत सशस्त्र बलों के कर्मियों को समान पद और सेवा अवधि के लिए एक समान पेंशन का लाभ मिलता है, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि कोई भी हो। 10 साल पहले आज ही के दिन, 7 नवंबर 2015 को, मोदी सरकार ने इस योजना को लागू किया था, जिसका लाभ 1 जुलाई 2014 से प्रभावी हुआ था।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि ओआरओपी उन सैनिकों के बलिदान और साहस को श्रद्धांजलि देने का एक तरीका है, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। उन्होंने कहा, “यह योजना हमारे बहादुर सैनिकों की भलाई और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ओआरओपी लागू होने के बाद पिछले एक दशक में लाखों पेंशनधारकों और उनके परिवारों को इस योजना से लाभ मिला है।” प्रधानमंत्री ने इस योजना को सशस्त्र बलों के कल्याण के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया और कहा कि यह हमारे नायकों के प्रति देश की कृतज्ञता की पुष्टि करता है।
क्या है वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना?
ओआरओपी योजना के अंतर्गत समान पद और सेवा अवधि वाले पूर्व सैनिकों को सेवानिवृत्ति की तिथि पर निर्भर किए बिना समान पेंशन मिलती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इसे लागू करने का वादा किया था, जिसे सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने प्राथमिकता दी और 2015 में इसे लागू किया। यह योजना सशस्त्र बलों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी और इस कदम ने 25 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को सीधा लाभ पहुंचाया है। इससे पहले, विभिन्न समयों पर सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों को अलग-अलग पेंशन मिलती थी, जिससे वे लंबे समय से असंतुष्ट थे।
प्रधानमंत्री के इस निर्णय के बाद लाखों सैनिकों को पेंशन में सुधार का लाभ मिला, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया और पेंशन में समानता का सिद्धांत लागू हुआ। इस योजना का उद्देश्य न केवल पेंशनभोगियों की आर्थिक मदद करना था, बल्कि सैनिकों को सेवा के बाद भी उचित सम्मान देना था।
पीएम की सशस्त्र बलों के प्रति नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ओआरओपी योजना की सराहना करते हुए इसे प्रधानमंत्री की सशस्त्र बलों के प्रति नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि ओआरओपी ने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव लाया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार सैनिकों और उनके परिवारों की भलाई के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “ओआरओपी योजना से 25 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों को लाभ मिला है, और यह देश के बहादुर सैनिकों से किए गए वादे को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
साहस और बलिदान के लिए एक सम्मान
प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को सशस्त्र बलों के कर्मियों के बलिदान और साहस के प्रति श्रद्धांजलि बताया। उनका मानना है कि सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए जो योगदान दिया है, ओआरओपी उनके उस साहस और बलिदान को मान्यता देने का एक तरीका है। सरकार का कहना है कि ओआरओपी के माध्यम से पूर्व सैनिकों को पेंशन में समानता का लाभ देकर उनके योगदान को मान्यता दी जा रही है।
ओआरओपी का महत्व और भविष्य
ओआरओपी का उद्देश्य समान रैंक और समान सेवा अवधि के बाद सेवानिवृत्त होने वाले सभी सैनिकों को समान पेंशन देना है। इस योजना ने देश में सशस्त्र बलों की सेवा करने वाले लोगों के जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव लाया है। आने वाले वर्षों में सरकार ने ओआरओपी में सुधार करने और पेंशनधारकों के हित में नए कदम उठाने की भी बात कही है।
इस योजना ने सैनिकों को पेंशन में समानता का लाभ दिया और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार अपने बहादुर सैनिकों की भलाई के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी और उनके सम्मान तथा कल्याण के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।