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20 साल में तैयार स्वर्वेद महामंदिर का इनॉगरेशन करेंगे PM:काशी में 100 करोड़ में बना 7 मंजिला मंदिर; मोदी की मां भी रहीं हैं स्वर्वेद मंदिर की अनुयायी

स्वर्वेद मंदिर के अंदर 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 और 18 दिसंबर को वाराणसी में रहेंगे। पीएम बनने के बाद काशी का यह उनका 43वां दौरा है। पीएम का यह दौरा निजी तौर पर भी उनके लिए बेहद अहम है। क्योंकि, पीएम यहां स्वर्वेद विहंगम योग संत समाज द्वारा निर्मित स्वर्वेद महामंदिर का इनॉगरेशन करेंगे। दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया के सबसे बड़े मेडिटेशन सेंटर है। महामंदिर के 100वें वार्षिकोत्सव में शामिल होंगे।

इस महामंदिर का निर्माण कराने वाले स्वर्वेद विहंगम योग संत समाज से पीएम के परिवार का पुराना संबंध है। पीएम की मां स्वर्गीय हीराबेन और भाई पंकज मोदी की आस्था का केंद्र स्वर्वेद विहंगम योग संत रहा है। पीएम की मां हीराबेन अंतिम सांस तक विहंगम योग गुरुओं से जुड़ी रहीं, तो पीएम के भाई पंकज मोदी कई समागम में शामिल हो चुके हैं।

64 हजार वर्ग फीट में तैयार हुआ 7 मंजिला इस मंदिर में एक साथ 20 हजार लोग मेडिटेशन कर सकेंगे।
64 हजार वर्ग फीट में तैयार हुआ 7 मंजिला इस मंदिर में एक साथ 20 हजार लोग मेडिटेशन कर सकेंगे।

इसलिए…पीएम का इस मंदिर से भावनात्मक जुड़ाव

पीएम का इस महामंदिर से भावनात्मक जुड़ाव भी है। महामंदिर से जुड़े लोगों ने बताया कि पीएम की मां हीराबेन स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट और संत समाज से जुड़ी थीं। लंबे समय तक वह विहंगम योग संत समाज की अनुयायी रहीं। वे सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज की उपासक थीं। स्वर्वेद के प्रथमाचार्य धर्मचंद्रदेव का साहित्य पढ़ती थीं।

करीब 30 साल तक स्वर्वेद महामंदिर की अनुयायी रहीं हीराबेन पहले के समागमों में भी शामिल रहती थीं। जब सद्गुरू आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज गुजरात पहुंचे थे, तो उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने हीराबेन को आशीर्वाद दिया। बुकलेट और स्मृति चिह्न भेंट किया। तब उनके बेटे पंकज मोदी भी साथ थे।

प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन भी विहंगम योग संत समाज की अनुयायी थीं। तस्वीर में सद्गुरु आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज के साथ हीराबेन और पंकज मोदी।- फाइल
प्रधानमंत्री मोदी की मां हीराबेन भी विहंगम योग संत समाज की अनुयायी थीं। तस्वीर में सद्गुरु आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज के साथ हीराबेन और पंकज मोदी।- फाइल

18 दिसंबर की सुबह 3 लाख लोगों को संबोधित करेंगे पीएम

पीएम गेस्ट हाउस से 18 दिसंबर की सुबह हेलिकॉप्टर से उमरहां पहुंचेंगे। यहीं, स्वर्वेद महामंदिर का निर्माण हुआ है। पीएम इसका लोकार्पण करके लोगों से संवाद करेंगे। स्वर्वेद के उद्घाटन समारोह में 3 लाख लोग जुटेंगे। उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार से बड़ी संख्या में अनुयायी पहुंच रहे हैं। इसके अलावा, कई देशों इटली, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया और अमेरिका से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

2021 में भी शामिल हुए थे पीएम, मां को बताई थी मंदिर की भव्यता
साल 2021 में काशी में ही विहंगम योग संत समाज का 98वां वार्षिकोत्सव हुआ था। इसमें सद्गुरु सदाफलदेव महाराज के अनुयायियों को पीएम मोदी ने भी संबोधित किया था। महामंदिर से जुड़े संत ने बताया कि गुजरात पहुंचने पर पीएम ने अपनी मां हीराबेन को वाराणसी में बनने वाले विशाल स्वर्वेद महामंदिर के बारे में बताया था।

यह फोटो 2021 की है, जब काशी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी स्वर्वेद मंदिर पहुंचे थे। तब पीएम ने यहां के निर्माण को भी देखा था।- फाइल
यह फोटो 2021 की है, जब काशी दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी स्वर्वेद मंदिर पहुंचे थे। तब पीएम ने यहां के निर्माण को भी देखा था।- फाइल

चलिए…अब स्वर्वेद मंदिर को समझते हैं…
मंदिर निर्माण का प्रबंधन संभाल रहे गुजरात के व्यवसायी चिराग पटेल ने बताया, “पूरी दुनिया में बिना कमरों का सात मंजिला मेडिटेशन सेंटर कहीं नहीं है। बेहतरीन स्टोन मार्बल और अत्याधुनिक लाइटें मंदिर की सुंदरता बढ़ाती हैं। वार्षिकोत्सव में महामंदिर में 25000 कुंडी स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होगा। इसमें विज्ञान देव महाराज मंदिर से जुड़े तीन लाख श्रद्धालु शिरकत करेंगे।”

20 साल से बना रहा मंदिर
चिराग पटेल ने बताया कि स्वर्वेद महामंदिर 20 साल से बना रहा है। 3 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में श्वेत मकराना संगमरमर से तैयार होने वाले नक्काशीदार गुलाबी सैंडस्टोन बनाया गया है। इसमें 9 कमल हैं। जो स्वर्वेद के सिद्धांत के अनुसार हैं। इसमें बड़े कमल में 125 पत्तियां हैं। स्वर्वेद जो ग्रंथ हैं, उसके ऊपर स्वामी सदाफल महाराज ने 17 साल साधना करके हिमालय की गुफा में इसकी रचना की थी। जो दोहे उन्होंने ध्यान में देखे उन पर ग्रंथ लिखा। अब इन दोहों को अंदर अंकित किया गया है।

स्वर्वेद मंदिर में 9 कमल हैं। जो स्वर्वेद के सिद्धांत के अनुसार हैं। इसमें बड़े कमल में 125 पत्तियां हैं।
स्वर्वेद मंदिर में 9 कमल हैं। जो स्वर्वेद के सिद्धांत के अनुसार हैं। इसमें बड़े कमल में 125 पत्तियां हैं
वार्षिकोत्सव में महामंदिर में 25000 कुंडी स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होगा।
वार्षिकोत्सव में महामंदिर में 25000 कुंडी स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होगा।
7 मंजिला मेडिटेशन सेंटर को अत्याधुनिक लाइटों से सजाया गया है।
7 मंजिला मेडिटेशन सेंटर को अत्याधुनिक लाइटों से सजाया गया है।
स्वर्वेद मंदिर के अंदर 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं।

चलिए, अब आपको स्वर्वेद मंदिर में होने वाले 100वें वार्षिकोत्सव की तैयारियों के बारे में बताते हैं…

स्वर्वेद मंदिर में हैलीपेड तैयार: पीएम के आगमन को लेकर मंदिर परिसर में हेलीपैड बना है। पास ही जनसभा स्थल बनाया जा रहा है। मंदिर के चारों ओर पक्के रास्ते का निर्माण कराया जा रहा है। मंगलवार को पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन और DM एस. राजलिंगम ने स्वर्वेद महामंदिर पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया।

नदियों के नाम पर 22 अस्थायी नगर बसाए: उमरहां में 5 किलोमीटर की परिधि में 200 एकड़ में 22 अस्थायी नगर बसाने का काम चल रहा है। जल्द पूरा इलाका तंबुओं के शहर में तब्दील हो जाएगा। इनके नाम गंगा, यमुना, सरस्वती के साथ काशी के सप्तऋषियों के नाम पर रखे जाएंगे। 100वें वार्षिकोत्सव पर प्रवचन के लिए 3 लाख स्क्वायर फीट में जर्मन हैंगर पंडाल बनाया जा रहा है।

पीएम मोदी ने स्वर्वेद मंदिर के निर्माण और फिर लोकार्पण की तैयारियों को लेकर जानकारी ली थी।

2500 कार्यकर्ता देखेंगे व्यवस्था: वाराणसी-गाजीपुर हाईवे के पास 20 लाख स्क्वायर फीट में 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ में 108 ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। ब्लॉक के नाम ऋषियों के नाम पर होंगे। इसमें हर ब्लॉक में 232 कुंड होंगे। ढाई हजार कार्यकर्ता यज्ञ की व्यवस्था देखेंगे।

श्रद्धालुओं के लिए 12 भोजनालय हो रहे तैयार: महायज्ञ में भारत की विभिन्न संस्कृतियों के अनुसार सात्विक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए 12 भोजनालय बनाए जा रहे हैं। हर भोजनालय में 20-20 काउंटर होंगे। इसके अतिरिक्त 6 सांस्कृतिक भोजनालय बनाए जा रहे हैं। जिसमें राज्यों के व्यंजन तैयार किए जाएंगे।

यह तस्वीर स्वर्वेद समाज के संतों की नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान की है।
यह तस्वीर स्वर्वेद समाज के संतों की नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान की है।

1981 में सदाफलदेव ने की थी विहंगम योग संत समाज की स्थापना
वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम के संस्थापक सद्गुरु सदाफल देव ने विहंगम योग संस्थान की स्थापना साल 1981 में की थी। वे इस स्वर्वेद संप्रदाय के संस्थापक और धर्मगुरु थे। वहीं धर्मचंद्रदेव महाराज इसके प्रथम आचार्य थे। उनकी विरासत को शिष्य स्वतंत्र देव महाराज ने संभाला और अब संतप्रवर विज्ञान देव महाराज स्वर्वेद संप्रदाय के विहंगम योग को निरंतर बढ़ा रहे हैं।

चिराग पटेल ने बताया कि वर्तमान में देश के 25 राज्यों में स्वर्वेद के आश्रम हैं। विहंगम योग संत समाज अपना शताब्दी महोत्सव मना रहा है। हिमालय की गुफाओं में तप साधना के जरिए अनुभूत ज्ञान को स्वर्वेद ग्रंथ के रूप में अभिव्यक्त करने वाले महर्षि सदाफलदेव महाराज ने जो लिखा हम सभी उसी का अनुसरण करते हैं। स्वर्वेद मंदिर में उनकी 113 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी।

संप्रदाय के नाम में ही स्वर्वेद का अर्थ
चिराग पटेल ने बताया, ” इस मंदिर का नाम है स्वर्वेद। स्वर्वेद 2 शब्दों से मिलकर बना है स्व: और वेद, स्व: का एक अर्थ है आत्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान। स्व: का दूसरा अर्थ है परमात्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान। जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। जिसके द्वारा स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। उसे ही स्वर्वेद कहते हैं।

इस मंदिर में किसी विशेष भगवान की पूजा नहीं, बल्कि मंत्रों के आधार पर योग और मेडिटेशन किया जाता है और सही शब्दों में कहें, तो मेडिटेशन का मंदिर है। मंदिर के अंदर 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं। इसमें कमल के आकार का गुंबद बना है। मंदिर अपने आप में बिल्कुल अद्भुत है। 2,50,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल में यह फैला है। 80,000 वर्ग फीट क्षेत्र में इसका निर्माण हो रहा है।”

25 प्रदेशों के अलावा विदेशों तक अनुयायी
यूपी के अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश के अनुयायी बड़ी संख्या में जुड़े हैं। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बंगाल, असम, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश प्रांतों के अलावा इटली, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका देशों से श्रद्धालु प्रतिवर्ष शामिल होते हैं।

Ankita Sharma

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