छत्तीसगढ़समाचार

IAS अफसरों का 638 करोड़ का NGO घोटाला उजागर, हाई कोर्ट ने CBI जांच के दिए आदेश

Advertisement

छत्तीसगढ़ में 638 करोड़ रुपये का बड़ा NGO घोटाला सामने आया है, जिसमें कई IAS अफसरों पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। राज्य निःशक्तजन स्रोत संस्थान (SRC) नाम से बनाए गए NGO और समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित पीआरआरसी के प्रबंधन में करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। अदालत में पेश दस्तावेज़ों से खुलासा हुआ है कि सरकारी विभाग का संचालन सोसाइटी के हाथों में था और कर्मचारियों के वेतन के नाम पर करोड़ों रुपये नकद निकाले जाते रहे।

मुख्य सचिव द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में 31 गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन संस्थानों का अस्तित्व ही नहीं था, उनके नाम पर करोड़ों रुपये जारी कर सरकारी खजाने से गबन किया गया। कर्मचारियों की भर्ती कागजों में दिखाकर वेतन हर महीने निकाला गया, जबकि नियुक्ति आदेश या विज्ञापन का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इसके अलावा कृत्रिम अंग और निःशुल्क उपचार के दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया जा सका।

हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए टिप्पणी की कि सार्वजनिक पद पर बैठे अधिकारियों द्वारा सत्यनिष्ठा से विचलन जनता के साथ विश्वासघात के बराबर है और ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई जरूरी है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार साबित होता है, इसलिए निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के लिए केस को CBI को सौंपा जा रहा है।

राज्य सरकार ने CBI जांच का विरोध किया था और इसे स्थानीय प्रकृति का मामला बताया, लेकिन अदालत ने दलीलों को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि SRC का पिछले 14 वर्षों से ऑडिट तक नहीं हुआ और वित्तीय अनियमितताओं पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

इस घोटाले में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री को राहत दी गई है क्योंकि याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष आरोप नहीं लगाया था। हालांकि, अदालत ने साफ किया है कि जिन अधिकारियों ने सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई और मुकदमा चलाना अनिवार्य है।

छत्तीसगढ़ का यह 638 करोड़ रुपये का NGO घोटाला अब CBI जांच के घेरे में है और अदालत की सख्त टिप्पणियों ने साफ कर दिया है कि इस मामले में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है।

Advertisement

Ankita Sharma

शताब्दी टाइम्स - छत्तीसगढ़ का प्रथम ऑनलाइन अख़बार (Since 2007)
Back to top button
error: Content is protected !!