युक्तियुक्तकरण : कबीरधाम जिले का कोई भी विद्यालय नहीं रहेगा शिक्षक विहीन, कलेक्टर ने आज प्रेसवार्ता लेकर शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में दी जानकारी
दूरस्थ और शिक्षकविहीन विद्यालयों को मिले नए शिक्षक, अब बच्चों को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मिलेगी मुक्ति

कवर्धा। छत्तीसगढ़ सरकार की शिक्षा सुधार नीति के तहत कबीरधाम जिले में शिक्षकों और विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। जिला कलेक्टर गोपाल वर्मा ने आज प्रेसवार्ता में इस महत्त्वपूर्ण कदम की जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रक्रिया के तहत जिले के दूरस्थ, शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को अब पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हो गए हैं। इससे अब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और निरंतर शिक्षा मिल सकेगी।
कलेक्टर श्री वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की इस नीति का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शिक्षकों के असमान वितरण को दूर करना है। नगरीय क्षेत्रों में जहां अपेक्षाकृत अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, वहीं ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों की शालाएं शिक्षकों की कमी से जूझ रही थीं। इससे न केवल शैक्षिक गतिविधियां बाधित हो रही थीं, बल्कि छात्रों का परिणाम भी प्रभावित हो रहा था। अब युक्तियुक्तकरण के माध्यम से शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है, जिससे छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हुआ है।
इस प्रक्रिया से अब ग्रामीण अंचलों के विद्यार्थियों को गणित, रसायन, भौतिकी और जीवविज्ञान जैसे विषयों में विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध होंगे। शिक्षा का स्तर और वातावरण बेहतर होगा। साथ ही, जिन विद्यालयों का एक ही परिसर में समायोजन किया गया है, वहां अब एकीकृत आधारभूत सुविधाएं जैसे अच्छी बिल्डिंग, प्रयोगशाला, पुस्तकालय आदि उपलब्ध कराना संभव होगा। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी, बल्कि स्थापना व्यय में भी कमी आएगी।
कलेक्टर ने बताया कि युक्तियुक्तकरण शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप किया गया है। राज्य में जहां 212 प्राथमिक विद्यालय शिक्षकविहीन हैं, वहीं कबीरधाम जिले में केवल दो प्राथमिक शालाएं ऐसी थीं, जिन्हें अब शिक्षक उपलब्ध करा दिए गए हैं। जिले में एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या भी कम की गई है, और अब कोई भी पूर्व माध्यमिक विद्यालय शिक्षकविहीन नहीं है।
इस नीति से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को हर साल तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे न केवल पढ़ाई की निरंतरता बनी रहेगी, बल्कि ड्रॉपआउट दर में भी कमी आएगी। यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी विद्यार्थी की पढ़ाई बाधित न हो।
राज्य स्तर पर केवल 241 स्कूलों का समायोजन किया गया है, जबकि कबीरधाम जिले में केवल दो प्राथमिक शालाओं को समाहित किया गया है। शेष 1607 स्कूल जिले में यथावत संचालित रहेंगे। समायोजन केवल उन्हीं स्कूलों का किया गया है, जहां छात्रों की संख्या बहुत कम थी और आसपास बेहतर विकल्प मौजूद थे।
कलेक्टर श्री वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह प्रक्रिया कोई कटौती नहीं है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित करने की दिशा में एक दूरदर्शी और ठोस कदम है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी बच्चों को बेहतर शिक्षण सुविधाएं मिलें और किसी भी प्रकार से शिक्षा प्रभावित न हो।