कबीरधाम (कवर्धा)कवर्धाधर्म और आस्थाधार्मिक स्थलराजनीति और सामुदायिक कार्यक्रमसमाचार

सावन के दूसरे सोमवार पर कवर्धा के शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, कामिका एकादशी पर हुई विशेष पूजा-अर्चना

कवर्धा। सावन के दूसरे सोमवार और कामिका एकादशी के पावन संयोग पर कवर्धा जिले के प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। तड़के सुबह से ही बुढा महादेव, भोरमदेव और जलेश्वर महादेव डोंगरिया मंदिरों की ओर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के जयघोषों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

भोरमदेव और बुढा महादेव मंदिरों में उमड़ा कांवड़ियों का जनसैलाब

भोरमदेव और बुढा महादेव मंदिर में देश-प्रदेश से आए कांवड़ियों का जनसैलाब उमड़ा। गंगाजल, दूध, पंचामृत और शहद से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया। श्रद्धालु बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर शिव पूजा में लीन रहे। मंदिर समितियों द्वारा दर्शन, चिकित्सा, सुरक्षा और जल की पर्याप्त व्यवस्था की गई। रुद्राभिषेक, श्रृंगार, भस्म आरती और रात्रिकालीन दर्शन के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

जगह-जगह भंडारे का आयोजन, श्रद्धालुओं ने पाई प्रसादी

सुबह से ही मंदिर परिसरों और मार्गों पर भंडारे की व्यवस्था की गई है। बुढा महादेव और भोरमदेव मंदिर के पास श्रद्धालुओं द्वारा लगाए गए भंडारों में दिनभर प्रसाद वितरण का क्रम चलता रहा, जो देर रात तक जारी रहेगा। खिचड़ी, पूड़ी-सब्जी, हलवा सहित विभिन्न प्रकार की प्रसादी श्रद्धालुओं को वितरित की गई। भक्तों ने इसे भगवान शिव का प्रसाद मानकर श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया।

जलेश्वर महादेव डोंगरिया में भी रही भारी भीड़

डोंगरिया स्थित जलेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्तों की अपार उपस्थिति देखने को मिली। सुबह 4 बजे मंगला आरती के साथ मंदिर के पट खुले और पूरे दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, पूजा और प्रसाद वितरण का क्रम चलता रहा।

शिवभक्ति में डूबा कवर्धा जिला, देर रात तक जारी रहेंगे दर्शन

सावन के इस शुभ सोमवार को पूरा कवर्धा शिवमय रहा। भोरमदेव और बुढा महादेव मंदिर में कांवड़ियों और स्थानीय श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने माहौल को अत्यंत पवित्र बना दिया। कई श्रद्धालु परिवार सहित व्रत रखकर पूरे दिन शिव उपासना में लीन रहे। देर रात तक रुद्राभिषेक, विशेष आरती और दर्शन जारी रहने की संभावना है।

R.O. No. : 13538/ 51

News Desk

शताब्दी टाइम्स - छत्तीसगढ़ का प्रथम ऑनलाइन अख़बार (Since 2007)
Back to top button