विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने शिक्षकों को किया सम्मानित, “मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण समारोह” आयोजित
राजनांदगांव। भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण समारोह में 30 शिक्षकों को सम्मानित किया। यह कार्यक्रम राजनांदगांव के पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया, जहां जिले के शिक्षकों को ज्ञानदीप पुरस्कार और शिक्षा दूत पुरस्कार से नवाजा गया। समारोह में सांसद संतोष पांडेय भी उपस्थित थे।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि 5 सितम्बर का विशेष दिन शिक्षक दिवस के रूप में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में मनाया जाता है। जिन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को दिशा दी थी। उनकी इसी सोच और कल्पना के साथ उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। शिक्षा का दीपक अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है और हर युग के निर्माण में परिवर्तन के लिए हम जिन्हें आराध्य मानते हैं, शिक्षक मार्गदर्शन देते हैं। भगवान श्रीराम को गुरू वशिष्ठ के आश्रम में शिक्षा-दीक्षा मिली, भगवान श्री कृष्ण ने विश्व को गीता का ज्ञान दिया। उन्हें भी ऋषि संदीपनी के आश्रम में शिक्षा मिली। शिक्षक युग को बदलने वाले होते हैं। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को शिक्षा देकर हिन्दुस्तान का नक्शा बदल दिया। गुरू द्रोणाचार्य ने अर्जुन को ऐसी शिक्षा दी, जो हिन्दुस्तान की अद्भुत घटना मानी जाती है। स्वामी विवेकानंद के गुरू श्री रामकृष्ण परमहंस ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखे तो पंडित रविशंकर शुक्ल ने शिक्षक रहते अपनी अमूल्य सेवाएं दी। राजनांदगांव में गुरू की गौरवशाली परंपरा रही है। देश और दुनिया में इसकी कीर्ति-पताका फैली हुई है। जिले के महान साहित्यकार डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, डॉ. गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र दिग्विजय महाविद्यालय में गवाह रहे हैं तथा श्रेष्ठतम साहित्यकार के रूप में आगे बढ़े हैं। न जाने कितने ऐसे उदाहरण है, जिन्होंने देश में युग के परिवर्तन के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई तथा दुनिया में शिक्षा एवं ज्ञान के लिए एक संदेश दिया है। शिक्षकों को हमेशा सम्मान मिलता है। पहले गुरू के रूप में माता पहली शिक्षक होती है और संस्कार की पहली पाठशाला घर से प्रारंभ होती है। माता ने हम सभी को यहां तक पहुंचाया है और गुरूओं की हम पर कृपा रही है।
सम्मानित शिक्षकों का योगदान
इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री अभय जायसवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण योजना के तहत शिक्षकों को तीन श्रेणियों में पुरस्कार दिए जाते हैं: शिक्षा श्री, ज्ञानदीप, और शिक्षा दूत पुरस्कार। इस वर्ष और पिछले वर्ष के शिक्षकों को मिलाकर कुल 30 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इन शिक्षकों ने नवाचारी शैक्षिक विधियों, रेमेडियल कक्षाओं, वृक्षारोपण, और स्कूल प्रबंधन में अपने विशेष योगदान से छात्रों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुरस्कार और प्रोत्साहन
प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों को शिक्षा दूत पुरस्कार, और माध्यमिक स्तर पर ज्ञानदीप पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञानदीप पुरस्कार के तहत शिक्षकों को 7000 रुपये का चेक और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया, जबकि शिक्षा दूत पुरस्कार अंतर्गत 5000 रुपये का चेक और प्रशस्ति पत्र दिया गया।
समारोह में सम्मानित शिक्षक:
इस अवसर पर वर्ष 2023 और 2024 के लिए चयनित 30 शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिसमें राजनांदगांव, डोंगरगढ़, और छुरिया विकासखंड के शिक्षकों ने अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार प्राप्त किए।
विशेष योगदान देने वाले शिक्षकों का सम्मान
इसके अलावा, छात्रों के गृहकार्य और असाइनमेंट पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान काम करने वाले 46 शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।