विविध ख़बरें

आंवला नवमी आज:अक्षय पुण्य के लिए होगी आंवले के पेड़ की पूजा, पुराणों में शिवजी ने इस पेड़ को बताया भगवान विष्णु का रूप

Advertisement

आज आंवला नवमी है। इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन होने वाला ये व्रत स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस दिन दान, जप व तप सभी अक्षय होकर मिलते हैं। भविष्य, स्कंद, पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है। पूजा के बाद इस पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह के पाप और बीमारियां दूर होती हैं।

पद्म पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव ने कार्तिकेय को कहा है आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप है। यह विष्णु प्रिय है और इसका ध्यान करने भर से ही गोदान के बराबर फल मिलता है।

आंवले के पेड़ के नीचे श्रीहरि विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। अक्षय नवमी की पूजा संतान प्राप्ति एवं सुख, समृद्धि एवं

कई जन्मों तक पुण्य क्षय न होने की कामना से किया जाता है। इस दिन लोग परिवार सहित आंवला के पेड़ के नीचे भोजन तैयार कर ग्रहण करते हैं। इसके बाद ब्राह्मणों को द्रव्य, अन्न एवं अन्य वस्तुओं का दान करते हैं।

इस व्रत से जुड़ी मान्यताएं


1. 
इस दिन महर्षि च्यवन ने आंवला खाया था। जिससे उन्हें दोबारा यौवन मिला था, इसलिए इस दिन आंवला खाना चाहिए।

2. कार्तिक शुक्लपक्ष की नवमी पर आंवले के पेड़ की परिक्रमा करने पर बीमारियों और पापों से छुटकारा मिलता है।

3. इस दिन भगवान विष्णु का वास आंवले में होता है। इसलिए इस पेड़ की पूजा से समृद्धि बढ़ती है और दरिद्रता नहीं आती।

4. अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा आंवले के रूप में की थी और इसी पेड़ के नीचे
बैठकर भोजन ग्रहण किया था।

5. मान्यता ये भी है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी। इस वजह से अक्षय नवमी पर लाखों भक्त मथुरा-वृदांवन की परिक्रमा भी करते हैं।

News Desk

शताब्दी टाइम्स - छत्तीसगढ़ का प्रथम ऑनलाइन अख़बार (Since 2007)
Back to top button
error: Content is protected !!