आईएएस संतोष वर्मा की कथित टिप्पणी पर भड़का ब्राह्मण समाज, राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की मांग तेज
सर्व ब्राह्मण समाज ने जताई कड़ी आपत्ति, छत्तीसगढ़ इकाई ने केंद्र और राज्य सरकार को भेजी मांग

रायपुर। आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज की महिलाओं को लेकर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय सर्व ब्राह्मण समाज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित मिश्रा ने कहा कि किसी जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी द्वारा इस तरह का वक्तव्य समाज की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
“नारी शक्ति के अपमान का प्रयास कभी सहन नहीं किया गया” — मिश्रा
मिश्रा ने कहा कि ऐसे बयान सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और समाज को उकसाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज सदैव ज्ञान और शौर्य दोनों का प्रतीक रहा है। मिश्रा ने चेतावनी देते हुए कहा कि नारी शक्ति को अपमानित करने का प्रयास इतिहास ने कभी सहन नहीं किया। सरकार को इस मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और किसी भी संवैधानिक पदाधिकारी को अपनी मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए।
राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने की निष्पक्ष जांच की मांग
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लेख मणि पांडे, राष्ट्रीय महामंत्री शशिकांत तिवारी और प्रदेश प्रचार सचिव दीपक पांडे ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि संतोष वर्मा की कथित टिप्पणी न केवल महिलाओं के सम्मान का अपमान है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक मर्यादा के विपरीत भी है। उनका कहना है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए इस प्रकार का वक्तव्य देना मर्यादा का घोर उल्लंघन है और इसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ इकाई ने केंद्र और राज्य सरकार को भेजी मांग
छत्तीसगढ़ इकाई एवं बेमेतरा जिला अध्यक्ष जितेंद्र शुक्ला ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री तथा राज्य सरकार से आग्रह किया कि यदि जांच में यह सिद्ध होता है कि अधिकारी ने समाज विरोधी भाषा का प्रयोग किया है, तो उन्हें उनके पद से हटाकर विधिक कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की मर्यादा सर्वोपरि है और किसी भी अधिकारी के लिए ऐसी टिप्पणी स्वीकार्य नहीं हो सकती।
सरकार से अपेक्षा: असहिष्णुता बढ़ाने वाले बयानों पर सख्ती
समाज ने कहा कि किसी भी टिप्पणी से यदि जनता में तनाव, असहिष्णुता या सामाजिक विभाजन फैलता है, तो सरकार को उसे गंभीरता से लेते हुए विधि सम्मत कार्रवाई करनी चाहिए। समाज का कहना है कि ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाना आवश्यक है, ताकि भविष्य में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी समाजों या वर्गों के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाले बयान देने से पहले सौ बार सोचें।





