कबीरधाम में ऑनलाइन सट्टा सिंडिकेट का पर्दाफाश, पहली बार BNS की धारा 112 के तहत संगठित अपराध का मामला दर्ज, दो आरोपी गिरफ्तार
आरोपियों से मोबाइल और डिजिटल सबूत बरामद, सट्टा गिरोह का मास्टरमाइंड ‘विक्रम’ अब भी फरार

कवर्धा | जिले में पुलिस ने पहली बार एक संगठित ऑनलाइन सट्टा सिंडिकेट पर बड़ी कार्रवाई करते हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 112 के तहत संगठित अपराध का प्रकरण दर्ज किया है। यह जिला के लिए एक ऐतिहासिक कार्रवाई मानी जा रही है, जो डिजिटल माध्यम से चल रहे अपराधों के विरुद्ध कड़ा संदेश देती है।
इस संयुक्त कार्रवाई का नेतृत्व थाना कोतवाली और चौकी चारभाठा की पुलिस टीमों ने किया। दबिश के दौरान ग्राम कुसूमघटा, थाना बोड़ला से दो मुख्य आरोपियों चंद्रहास चंद्रवंशी और योगेश बर्वे को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के पास से नगद राशि, तीन एंड्रॉइड मोबाइल फोन और डिजिटल ट्रांजैक्शन से जुड़े साक्ष्य बरामद किए गए हैं।
डिजिटल सट्टा नेटवर्क की गहराई तक पहुंची पुलिस
जांच के दौरान पुलिस को यह जानकारी मिली कि ये आरोपी आईपीएल के दौरान सक्रिय एक व्यापक सट्टा नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिसमें कुल 17 से अधिक सदस्य शामिल हैं। यह गिरोह ‘विक्रम’ नामक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा था, जो इस नेटवर्क का ‘सुपर मास्टर’ है। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वे मोबाइल ऐप्स, व्हाट्सएप ग्रुप, लिंक शेयरिंग और डिजिटल पेमेंट माध्यमों जैसे Google Pay, PhonePe आदि का उपयोग कर सट्टा का संचालन करते थे।
पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन से सट्टा ID, खातों में लेन-देन के रिकॉर्ड और उन ग्राहकों की जानकारी प्राप्त की है जो इस नेटवर्क के जरिए जुड़ते थे। यह नेटवर्क सुनियोजित, गोपनीय और डिजिटल तरीकों से कार्य कर रहा था, जिससे बचना आम नागरिकों और प्रशासन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो रहा था।
पहली बार BNS की धारा 112 का प्रयोग
अब तक सट्टा जैसे अपराधों पर पुलिस केवल छत्तीसगढ़ जुआ अधिनियम, 1975 के तहत मामूली धाराओं में कार्रवाई करती थी, लेकिन इस मामले में पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह (IPS) के निर्देश पर संगठित अपराध के रूप में मामला दर्ज किया गया है। BNS की धारा 112 उन अपराधों पर लागू होती है जो किसी गिरोह या नेटवर्क द्वारा आर्थिक लाभ के लिए सुनियोजित रूप से किए जाते हैं।
SP सिंह ने कहा, “अब कबीरधाम पुलिस केवल गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि नेटवर्क को जड़ से समाप्त करने के लिए संपत्ति जब्ती, बैंक खाता फ्रीज और गिरोहबंदी के आरोपों तक जाएगी। हम अब सट्टा को ‘सामान्य अपराध’ नहीं, बल्कि ‘संगठित आर्थिक अपराध’ मानते हैं।”
आरोपी फरार पुलिस ने की विशेष टीम गठित
मुख्य आरोपी ‘विक्रम’ की तलाश के लिए अलग से एक विशेष टीम गठित की गई है। पुलिस को संदेह है कि यह नेटवर्क राज्य के अन्य जिलों और संभवतः बाहरी राज्यों से भी जुड़ा हो सकता है। साइबर टीम को सभी डिजिटल ट्रांजैक्शनों की ट्रेसिंग के निर्देश दिए गए हैं।