छत्तीसगढ़: पूर्व सीएम भूपेश बघेल के घर ED की रेड, विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस विधायकों का धरना जारी

रायपुर/भिलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित निवास समेत 14 ठिकानों पर छापा मारा। यह कार्रवाई शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत हुई। ईडी ने भिलाई-3 के वसुंधरा नगर स्थित घर में दस्तावेजों की पड़ताल की और बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल से पूछताछ जारी है।
ईडी के मुताबिक, शराब घोटाले से जुड़े धन के लेनदेन में चैतन्य बघेल की संलिप्तता सामने आई है। जांच एजेंसी का दावा है कि इस घोटाले से 2161 करोड़ रुपये की अवैध आय अर्जित की गई, जिसे विभिन्न तरीकों से उपयोग किया गया। इस रेड में लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल के निवास पर भी छापेमारी की गई।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
ईडी की इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बघेल के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि जब अदालत ने सात साल पुराने केस को खारिज कर दिया, तब ईडी को भेजकर कांग्रेस को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे भाजपा की “राजनीतिक प्रतिशोध” की कार्रवाई करार दिया और कहा कि कांग्रेस डरने वाली नहीं है।
वहीं, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने बघेल के कार्यकाल में हुए घोटालों का जिक्र करते हुए कहा कि शराब घोटाला, महादेव ऐप घोटाला और कोयला घोटाला उसी समय हुए। कई लोग जेल में हैं, इसलिए ईडी की जांच सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे राजनीति से जोड़ना गलत है।
विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस विधायकों का निलंबन
ईडी की कार्रवाई को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए गर्भगृह तक पहुंच गए, जिसके बाद कई विधायकों को निलंबित कर दिया गया।
निलंबन के बाद कांग्रेस विधायक गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए और “रघुपति राघव राजा राम” भजन गाने लगे। उनका कहना था कि भाजपा सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस विधायकों से शून्यकाल में अपनी बात रखने को कहा, लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।
छत्तीसगढ़ में ईडी की इस कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रिया के बाद सियासी माहौल गरमाया हुआ है। कांग्रेस इसे भाजपा की “हताशा” बता रही है, जबकि भाजपा इसे “कानूनी प्रक्रिया” का हिस्सा कह रही है।