मिस्र के पिरामिड के सामने छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य, नील नदी में फहराया तिरंगा; विश्व मंच पर गूँजी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान

काहिरा/कवर्धा। छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति पंथी नृत्य ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। मिस्र में आयोजित 12वें अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव में छत्तीसगढ़ पी.डी. पंथी परिवार ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी अनुपम प्रस्तुति दी। इस महोत्सव में पहली बार गीज़ा के विश्व प्रसिद्ध पिरामिडों के सामने पंथी नृत्य की प्रस्तुति हुई, जिसने संस्कृति प्रेमियों को रोमांचित कर दिया।
इतिहास में पहली बार मिस्र के प्राचीन पिरामिडों की छांव में छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य, कर्मा नृत्य और बस्तर के आदिवासी नृत्य की गूँज सुनाई दी। यह न केवल भारतीय संस्कृति का सम्मान था, बल्कि विश्व मंच पर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत की भव्यता का परिचय भी था।
नील नदी में भारत का तिरंगा, छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक गौरव
इस महोत्सव का सबसे अविस्मरणीय क्षण तब आया जब विश्व की सबसे लंबी नदी नील में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया। यह दृश्य हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण था और इसने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
इस महोत्सव में पुनदास जोशी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (कृषि विभाग, कबीरधाम) ने मिस्र के राज्यपाल को संत गुरु घासीदास बाबा जी की स्मृति चिन्ह भेंट की और उनके संदेश “मनखे-मनखे एक समान” को विश्व मंच पर प्रचारित किया। इस आयोजन में मिस्र के राज्यपाल ने भी छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक दूतों का सम्मान करते हुए स्मृति चिन्ह भेंट किया।
सात देशों से मिला आमंत्रण, छत्तीसगढ़ की संस्कृति का वैश्विक सम्मान
छत्तीसगढ़ का यह प्रतिष्ठित पंथी नृत्य दल अब तक इटली, चीन, थाईलैंड, किर्गिस्तान, बैंकॉक और मिस्र सहित सात देशों से आमंत्रण प्राप्त कर चुका है। यह दल 17 राज्यों में प्रस्तुतियाँ दे चुका है और तीन बार राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने का गौरव प्राप्त कर चुका है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद कृषि विभाग कबीरधाम के उप संचालक अमित कुमार मोहंती, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों ने पुनदास जोशी को सम्मानित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।